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March 11, 2025

मुजफ्फरनगर गोलीकांडः दून और रामपुर तिराहे में दी गई शहीदों को श्रद्धांजलि, सीएम ने की कई घोषणाएं

मुजफ्फरनगर गोलीकांड की बरसी पर आज उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह रावत ने देहरादून में कचहरी स्थित शहीद स्मारक स्थल पहुंचकर शहीदों को नमन किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी।

दो अक्टूबर 1994 में दिल्ली प्रदर्शन के लिए जा रहे आंदोलनकारियों को यूपी के रामपुर तिराहे पर रोका गया और उन पर पुलिस ने गोलियां बरसाई। यही नहीं, महिलाओं से साथ अभद्र व्यवहार भी किया गया। मुजफ्फरनगर गोलीकांड की बरसी पर आज उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह रावत ने देहरादून में कचहरी स्थित शहीद स्मारक स्थल पहुंचकर शहीदों को नमन किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड राज्य आन्दोलनकारियों के संघर्ष के परिणामस्वरूप ही हमें नया राज्य मिला। शहीद राज्य आन्दोलनकारियों के सपने के अनुरूप राज्य का विकास हो, इसके लिए सरकार प्रयासरत है। उत्तराखण्ड के समग्र विकास के लिए राज्य सरकार कृतसंकल्प है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड को देश का आदर्श राज्य बनाने के लिए हम सभी को एकजुट होकर कार्य करना है, जिससे कि राज्य आन्दोलन के शहीदों के सपनों के अनुरूप प्रदेश का चहुंमुखी विकास किया जा सके।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राज्य आन्दोलनकारियों के कल्याण के लिए वचनबद्ध है। राज्य आन्दोलनकारियों के आश्रितों (पति/पत्नी) को भी राज्य आन्दोलनकारी की मृत्यु के पश्चात 3100 रूपये प्रतिमाह पेंशन प्रदान करने का शासनादेश किया गया है। 31 दिसंबर 2021 तक छूटे राज्य आन्दोलनकारियों का चिह्नीकरण कार्य जारी रहेगा।
इस अवसर पर केन्द्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने भी शहीद उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

रामपुर तिराहा पहुंचे सीएम धामी, शहीदों को किया नमन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी सरकार शहीदों के सपनों और राज्य आन्दोलनकारियों की भावनाओं के अनुरूप उत्तराखण्ड को हर क्षेत्र में आगे बढ़ायेगी। जनता, सरकार के भाव को समझे। यह बात उन्होंने उत्तराखंड शहीद स्मारक रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी शहीदों की पुण्य स्मृति पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कही।
की कई घोषणाएं
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राज्य आन्दोलनकारियों के हित में कई घोषणायें कीं। जिनमें राज्य आन्दोलनकारियों को सरकारी अस्पतालों की तर्ज पर राजकीय मेडिकल कालेजों में मुफ्त उपचार उपलब्ध करवाने, उद्योग धंधों में राज्य आन्दोलकारियों और उनके परिजनों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार देने और विभिन्न विभागों में सेवारत राज्य आन्दोलनकारियों को हटाये जाने सम्बंधी मामले में ठोस पैरवी करना शामिल है।

आंदोलनकारियों की हर समस्या का होगा समाधान
सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मैं उन शहीदों को नमन करता हूं जिनके सर्वोच्च बलिदान की वजह से हमें उत्तराखंड राज्य मिला है। राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान खटीमा, मसूरी एवं मुजफ्फरनगर में लाखों आंदोलनकारियों ने भाग लिया जिसमें से कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। उन्होंने कहा उत्तराखंड राज्य का विकास शहीदों के सपनों के अनुरूप किया जाएगा। इसके लिए हमारी सरकार लगातार कार्य कर रही है। राज्य आंदोलनकारियों से जुड़ी समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 1 सितम्बर 2021 को घोषणा की थी कि राज्य आन्दोलनकारियों के चिह्नीकरण की प्रक्रिया फिर से शुरू की जायेगी, उसका शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। हमारी सरकार जो भी घोषणा करेगी उसको हर हाल में धरातल पर उतारा जायेगा।


गिनाई सरकार की उपलब्धियां
सीएम ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों एवं शहीदों का सपना था कि युवाओं को रोजगार के लिए भटकना न पड़े, इसके लिए हमारी सरकार ने पहली कैबिनेट में यह फैसला लिया कि विभिन्न विभागों पर रिक्त चल रहे 24000 पदों पर भर्ती निकालेंगे, जिनमें आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए हर जिले में कैंप लगाए जा रहे हैं। इसक अलावा कोरोना से प्रभावित व्यवसायियों और स्वयं सहायता समूहों को क्रमश: 200 और 118 करोड़ के राहत पैकेज घोषित किये गये हैं, जिनका पैसा प्रभावितों के खाते में आने लगा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में नईपहल करते हुए हमारी सरकार मरीजों को सरकारी अस्पतालों में 207 जांचें मुफ्त में करवाने की सुविधा दे रही है। कोरोना के कारण अनाथ और बेसहारा हुय बच्चों के भरण पोषण की जिम्मेदारी भी सरकार उठा रही है। इस अवसर पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, केंद्रीय मंत्री एवं सांसद मुजफ्फरनगर श्री संजीव बालियान, उत्तराखण्ड के कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीस्वरानंद, भाजपा उत्तराखण्ड प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, मुजफ्फरनगर के विधायक प्रमोद उडवाल, राजेन्द्र अन्थवाल, प. महावीर शर्मा एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

आंदोलनकारियों ने किया शहीदों को नमन
मुजफ्फरनगर में शहीद स्मारक पर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने शहीदों को नमन किया। इस मौके पर उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि जब तक आंदोलनकारियों के हत्यारों को सजा नहीं मिल जाती चैन से नहीं बैठेंगे। उन्होंने इस मौके पर मुजफ्फरनगर शहीद स्मारक पर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ शहीदों का स्मरण करते हुए कहा कि विगत सरकारों में कुछ कमी ही रही। इसकी वजह से 27 साल गुजर जाने के बाद भी हम दोषियों को सजा नहीं दिलवा पाए। उन्होंने कहा मुजफ्फरनगर कांड हमारी आन बान और शान पर एक धब्बा है और जब तक जीवित रहेंगे, इस धब्बे को मिटाने के लिए लगातार संघर्षरत रहेंगे।

इससे पूर्व धीरेंद्र प्रताप देहरादून स्थित शहीद स्मारक पर गए और वहां भी शहीद स्थल पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की और न्याय दो हिसाब दो यात्रा में शहीद स्थल से घंटाघर स्थित उत्तराखंड के गांधी स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी की मूर्ति तक पदयात्रा में शामिल हुए।

कचहरी स्थित शहीद स्मारक स्थल पर राज्य आंदोलनकारी मोहन खत्री ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके साथ ही उन्होंने गांधी और शास्त्री जयंती के उपलक्ष्य में रेडक्रास सोसाइटी के माध्यम से डीआईटी कॉलेज के छात्रों के साथ मिलकर पेसलविड कॉलेज तक सफाई अभियान चलाया।
27 साल बाद भी नहीं मिला न्यायः कर्नल कोठियाल
उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता कर्नल (सेनि.) अजय कोठियाल ने रामपुर तिराहा कांड के शहीदों को नमन किया। उन्होंने कहा कि जिन शहीदों की शहादत की बदौलत हमें पृथक राज्य मिला, आज 27 साल बीतने के बावजूद भी अभी तक राज्य के आंदोलनकारियों और रामपुर तिराहा कांड में हुए शहीदों को न्याय नहीं मिल पाया है। रामपुर तिराहा कांड के गुनहगारों को आजतक भी सजा नहीं मिल पाई है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों की उत्तराखंड में सरकारें रही हैं, लेकिन दोनों ही दल आजतक आंदोलनकारियों और शहीदों के परिजनों को न्याय दिलाने में नाकाम ही साबित हुए।
उन्होंने कहा कि हम उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों की मांगों को जायज मानते हुए उनका पूर्ण समर्थन करते हैं। कर्नल कोठियाल ने कहा कि जिन सपनों को लेकर इस पृथक राज्य का सपना देखा गया था और लडाई लड़ी गई थी, वो सपना आज तक साकार नहीं हो पाया है। आज भी प्रदेश विकास से कोंसों दूर है। उत्तराखंड आंदोलन में अपनी जान की बाजी लगाने वाले आंदोलनकारी आज तक चिह्नित नहीं हुए हैं, इससे बडे दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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