विश्व धरोहर फूलों की घाटी के अब छह माह बाद होंगे दीदार, शीतकाल के लिए पर्यटकों की आवाजाही बंद
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी में पर्यटकों की आवाजाही शीतकाल के लिए बंद कर दी गई है। अब छह माह बाद ही पर्यटक यहां आकर प्राकृतिक सुंदरता का दीदार कर सकेंगे।
फूलों की घाटी में स्वतः ही तरह तरह के फूल खिलते हैं। यहां की रंगत देखने लायक होती है। चमोली जिले में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब के लिए पैदल मार्ग है। करीब 14 किलोमीटर लंबे इस रास्ते पर हेमकुंड से पांच किलोमीटर पहले घांघरिया है। घाघरिया से फूलों की घाटी से लिए रास्ता जाता है।
लक्ष्मण मंदिर के नाम से बनी लक्ष्मण गंगा
हेमकुंड साहिब के कपाट कुछ दिन पूर्व बंद हो गए हैं। अब वन विभाग ने फूलों की घाटी पर प्रवेश को भी बंद कर दिया है। यहां हेमकुंड से गोविंदघाट तक एक नदी बहती है। इस नदी के किनारे ही हेमकुंड तक पैदल मार्ग जाता है। हेमकुंड में लक्ष्मण लोकपाल मंदिर है। इसी मंदिर के नाम पर हेमकुंड से गोविंदघाट तक पहुंचने वाली नदी का नाम लक्ष्मण गंगा पड़ा है।
फूलों की घाटी की तरफ से भी दूसरी नदी पहुंचती है। इस नदी का नाम फूलों की घाटी के नाम से पुष्प गंगा पड़ा है। इन नदियों का जल निर्मल है। साथ ही काफी तेज ढलान और नदी में बड़े बड़े पत्थर होने के कारण दोनों नदियों का शोर भी पर्यटकों को अपनी ओर आकृषित करता है। पुष्प गंगा नदी घांघरिया में लक्ष्मण गंगा नदी में मिल जाती है।
इस साल लॉकडाउन से कम पहुंचे पर्यटक
विश्व धरोहर फूलो की घाटी में इस साल कोरोना और लॉकडाउन के चलते अब तक 932 देशी और विदेशी पर्यटक ही पहुंचे। इनमें 11 विदेशी पर्यटक शामिल है। इस साल अब तक पार्क प्रसाशन को 1,42,900 रुपये की आय हुई है। वहीं, पिछले साल 17452 देशी विदेशी पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे और और वन विभाग को 27 लाख से अधिक की आय हुई थी।
दुर्लभ प्रजाति के फूल और वन्यजीव
फूलों की घाटी में अब शीतकाल में दुर्लभतम प्रजाति के वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास के लिए पांच वड़ियारो को संरक्षित किया जा रहा है। घाटी में वन्य जीवों की निगरानी के लिए 10 कैमरों से नजर रखी जा रही है। वैसे तो घाटी एक जून से खुलती है, लेकिन इस बार कोरोनाकाल के चलते एक अगस्त से घाटी में पर्यटकों को जाने की इजाजत दी गई।
चमोली गढ़वाल से नवीन कठैत की रिपोर्ट।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।