गैस सिलेंडर खुला छोड़कर मां और दो बेटी ने समाप्त की जीवनलीला, नोट लिखकर छोड़ा-माचिस ना जलाना
घर से मुखिया की कोरोना से मौत के बाद से अवसाद में आए परिवार ने खौफनाक कदम उठाया। एक महिला और उसकी दो बेटियों ने घर में रसोई गैस खुली छोड़कर जीवनलीला समाप्त करने का रास्ता चुना।

घटना दिल्ली के वसंत विहार इलाके की है। शनिवार देर शाम एक फ्लैट में एक ही परिवार के तीन सदस्य मृत पाए गए। मृतकों की पहचान मंजू और उसकी बेटियों अंशिका और अंकु के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि घर के मुखिया यानि मंजू के पति की साल 2021 में अप्रैल में कोरोना के कारण मौत हो गई थी। इसके बाद से परिवार काफी अवसाद में था। मंजू बीमारी के कारण बिस्तर पर थी।
पुलिस को सूचना मिली थी कि वसंत अपार्टमेंट के हाउस नंबर 207 अंदर से बंद है। घर के अंदर के लोग दरवाजा नहीं खोल रहे हैं। इसके बाद एसएचओ स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे तो देखा कि दरवाजे और खिड़कियां चारों तरफ से बंद हैं। फ्लैट अंदर से बंद था। पुलिस ने दरवाजा खोला तो पाया कि गैस सिलिंडर आंशिक रूप से खुला था।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक शनिवार को रात आठ बजकर 55 मिनट पर पुलिस को सूचना मिली कि वसंत विहार स्थित वसंत अपार्टमेंट का फ्लैट नंबर 207 अंदर से बंद है। घर के लोग कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट मिला। अंदर के कमरे की तलाशी लेने पर तीन शव बिस्तर पर पड़े मिले और कमरे में तीन छोटी-छोटी अंगीठी रखी हुई थीं। पुलिस ने कहा कि ऐसा माना जा रहा है कि उनकी मौत दम घुटने से हुई है।
बताया जा रहा है कि घर के अंदर के सारे रोशनदान को पॉलीथिन से पैक किया गया था। घर में अंगीठी जलाई गई। घर का गैस सिलेंडर आंशिक रूप से खोल दिया गया। इसके बाद मां और बेटियों ने दम तोड़ दिया। पुलिस जब घर के अंदर दाखिल हुई तो एक नोट मिला, जिसमें लिखा था, Too much deadly gas. दरवाजा खोलने के बाद माचिस या लाइटर न जलाएं। घर में काफी खतरनाक जहरीली गैस भरी हुई है। दरअसल, ये नोट इसलिए लिखा गया था कि मौत के बाद जब पुलिस अंदर दाखिल हो तब कोई हादसा न हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।