अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में देश विदेश के 50 से अधिक विशेषज्ञ जुटे, कैंसर के अनुसंधान और समाधान पर चर्चा
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पंडित ललित मोहन शर्मा श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश के मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग, एम्स ऋषिकेश व कैंसर केयर एंड रिसर्च अकैडमी (CRCA) के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हो गया है। इस सम्मेलन का विषय “इंटीग्रेटिव ऑंकोलॉजी और सिस्टम मेडिसिंस इमर्जिंग ट्रेंड्स एंड थैरेपीयूटिक पोटेंशियल है। इसमें देश-विदेश के लगभग 50 से अधिक प्रबुद्ध कैंसर विशेषज्ञ प्रतिभाग कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उच्च शिक्षा उन्नयन समिति के उपाध्यक्ष प्रो. देवेंद्र भसीन, विशिष्ट अतिथि श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपतिप्रो एनके जोशी, एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रो मीनू सिंह, एम्स के डीन रिसर्च प्रो शैलेन्द्र एस हांडू, विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश के निदेशक प्रो एमएस रावत, श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव दिनेश चन्द्रा, सम्मलेन के आयोजक एवं विज्ञान संकाय डीन प्रो. गुलशन कुमार धींगरा, बायोकेमेस्ट्री विभाग एम्स ऋषिकेश की विभागाध्यक्ष प्रो. अनीसा आतिफ मिर्ज़ा, CRCA व प्रोफेसर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के निदेशक प्रो राना प्रताप सिंह ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस दौरान परिसर के कॉमर्स संकायअध्यक्ष प्रोफेसर कंचन लता सिन्हा, कला संकाय अध्यक्ष प्रो डीसी गोस्वामी, डीएसडब्ल्यू, प्रोफेसर प्रशांत सिंह व श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय परिसर व एम्स की अन्य फैकल्टी के साथ ही देश विदेशो से आये अन्य प्रतिभागिय व परिसर के छात्र छात्राएं मौजूद थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्य अतिथि प्रो देवेंद्र भसीन ने आयोजकों को इस समसामयिक विषय पर आयोजित इस सममेलन के लिए शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आज के युग में सबसे अधिक घातक कैंसर है। इसमे मरीज को जागरूकता की कमी के कारण भी अपनी जान गवानी पड़ती हैं। इसलिए जागरूरता की अत्यन्त आवश्यकता है। अपने भाषण में कैंसर पर हो रही अनुसंधान व जागरूकता पर जोर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
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एम्स ऋषिकेश की निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने कैंसर के आधुनिक तकनीकी से इलाज के साथ-साथ आयुर्वेदिक तकनीक के साथ कैंसर के इलाज व बचाव के बारे में अवगत कराया। इस दौरान प्रो मीनू ने तीनों संस्थाओं के बीच संयुक्त शोध साझा करने पर जोर दिया। प्रो राणा प्रताप सिंह ने कहा कि विकसित भारत 2024 के प्रधानमंत्री के विजन पर चर्चा की। कहा कि इसमे स्वास्थ्य प्रबंधन की एक मुख्य भूमिका होगी। क्योंकि स्वस्थ व्यक्ति से स्वस्थ देश रहेगा। उन्होंने औषधीय पौधों पर अनुसंधान पर भी अधिक जोर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रो. अनीसा आतिफ ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कैंसर के विभिन्न प्रकारों के बारे में बताया। साथ ही कैंसर वैज्ञानिकों का परिचय करवाया। प्रोफेसर गुलशन कुमार धींगरा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा दो दिवसीय कार्यशाला की रूपरेखा को विस्तार से बताया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर एमएस रावत ने देश विदेश से आए हुए सभी वक्ताओं का विश्वविद्यालय परिसर की ओर से अभिवादन एवं स्वागत किया एवं कहा की इस प्रकार के कार्यशालाओं से कैंसर अनुसंधान को बढ़ावा अवश्य मिलेगा। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव दिनेश चंद्र ने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से भविष्य में इस प्रकार के सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा, जिससे कैंसर के क्षेत्र में अनुसंधान कर रहे शोधार्थियों व वैज्ञानिकों को बढ़ावा मिलेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अंत मे धन्यवाद प्रस्ताव एम्स ऋषिकेश की बेला गोयल ने ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन श्रीदेव सुमन परिसर ऋषिकेश की वनस्पति विज्ञान विभाग की डॉ प्रीति खंडूरी ने किया।कार्यक्रम के प्रथम सत्र में डिपार्टमेंट ऑफ़ माइक्रोबायोलॉजी बायोकेमेस्ट्री एंड मॉलेक्युलर जेनेटिक्स रेड कार स्कूल बायोमेडिकल एंड हेल्थ साइंस न्यू व्हाट न्यू जर्सी यूएसए के प्रोफेसर रेमंड बी ब्रिज ने फॉस्फेटिडिलसेरिन एक्सपोजर, तनाव और कोशिका मृत्यु: कैंसर में प्रतिरक्षा विनियमन पर व्याख्यान दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसी क्रम में प्रोफेसर जैरी चिपुक, आइकॉन स्कूल ऑफ़ मेडिसिन एंड माउंट्स ने एटीएफ5-आश्रित माइटोकॉन्ड्रियल अनफोल्डेड प्रोटीन प्रतिक्रिया ऑन्कोजेनिक भाग्य का समन्वय पर जानकारी दी। डिपार्टमेंट ऑफ़ फार्मास्यूटिकल साइंस यूनिवर्सिटी का कोलोरेडो डेनवर यूएसए से प्रोफेसर राजेश अग्रवाल ने Ptch+ – चूहों में बेसल सेल कार्सिनोमा वृद्धि और प्रगति के खिलाफ सिलिबिनिन प्रभावकारिता पर जानकारी थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम के तृतीय तकनीकी सत्र में प्रोफेसर सीवी राव ने कैंसर रोकथाम और औषधि विकास केंद्र, पीसी स्टीफेंसन ओक्लाहोमा कैंसर सेंटर, ओयूएचएससी, ओक्लाहोमा सिटी, यूएसए ने मोटापे से जुड़े कोलोरेक्टल कैंसर की रोकथाम और उपचार के लिए PGE 2/IL-23/FXR को लक्ष्य बनाने में व्याख्यान दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसी क्रम में स्कूल ऑफ मेडिसिन, ओरेगन हेल्थ एंड साइंस सेंटर, यूएसए से प्रोफेसर संजय मल्होत्रा ने ओवेरियन कैंसर से लड़ने वाले कारक के बारे में व्याख्यान दिया। स्पेशल सेंटर फॉर सिस्टम्स मेडिसिन, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रोफेसर राकेश के त्यागी ने जिनोम रिसेप्टर्स द्वारा डीएनए और हिस्टोन में रासायनिक संशोधनों के माध्यम से जीन अभिव्यक्ति को विनियमित करने की प्रक्रिया को समझाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसी क्रम में प्रोफेसर अशोक कुमार, औषधीय और औषधि विज्ञान विभाग, फार्मेसी कॉलेज, ह्यूस्टन विश्वविद्यालय, ह्यूस्टन, संयुक्त राज्य अमेरिका, ने कैंसर कैचेक्सिया के दौरान कंकाल की मांसपेशियों की नए नियामकता पर व्याख्यान दिया। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर गुलशन कुमार ढींगरा, प्रोफेसर अनीता आतिफ, उत्तरांचल यूनिवर्सिटी देहरादून के प्राचार्य प्रोफेसर अजय सिंह, गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार से डॉ गगन माटा तथा श्री देव सुमन परिसर ऋषिकेश की प्रोफेसर कंचन लता सिंह ने की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम के अगले सत्र में स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो रूपेश चतुर्वेदी ने टी-हेल्पर कोशिका उपप्रकारों के सटीक वर्गीकरण के लिए एकीकृत मॉडलिंग मैं व्याख्यान दिया। आंतरिक चिकित्सा और पैथोलॉजी विभाग, ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए के प्रोफेसर सुजित बसु ने कोलन कैंसर में न्यूरोट्रांसमीटर/न्यूरोहॉर्मोन डोपामाइन की भूमिका पर प्रकाश डाला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम के अगले सत्र में के एच अस्पताल के अध्यक्ष प्रोफेसर प्रभु दास पटेल ने मुख कैंसर का आनुवंशिक परिदृश्य: कम्प्यूटेशनल और बायोमॉलिक्यूलर दृष्टिकोण का उपयोग पर चर्चा की। इस तकनीकी सत्र की अध्यक्षता दून मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी हेड प्रोफेसर शैलाभ जौहरी, एम्स ऋषिकेश से डॉ सरमा साहा, गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार की डॉ संगीता मदान ने की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम के चतुर्थ तकनीकी सत्र में साउथ डकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए की डॉक्टर कमल रैना ने टीएनबीसी ट्यूमरोजेनेसिस के खिलाफ प्राकृतिक गैलेक्टागॉग एस्पैरागस रेसमोसस (रूट एक्सट्रैक्ट-शतावरी) के साथ स्तन ग्रंथि वास्तुकला मॉड्यूलेशन का प्रभाव की जानकारी प्रतिभागियों को दी। डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर उत्तर प्रदेश के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. शरद मिश्रा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में कैंसर पर आर्सेनिक प्रदूषण का प्रभाव और इसका संभावित उपचार विषय पर जानकारी दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम के अगले सत्र में जूलॉजी विभाग दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आलोक चंद्र भारती ने सर्वाइकल कैंसर के साथ कैंसर स्टेम कोशिकाओं मैं कैंसर की पुनरावृत्ति पर पर अपना व्याख्यान दिया। इस सत्र की अध्यक्षता श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश के प्रोफेसर डीसी गोस्वामी प्रोफेसर प्रशांत सिंह तथा गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज बस्ती के प्राचार्य तथा हेड डिपार्टमेंट ऑफ़ फिजियोलॉजी डॉ मनोज कुमार ने की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सभी आमंत्रित वक्ताओं तथा अध्यक्षता कर रहे विषय विशेषज्ञों को स्मृति चिह्न भेंट किए गए। इस सम्मेलन की आयोजन सचिव डॉ बिंदु देवी व डॉ बेला गोयल ने कहा कि अगले दिन के कार्यक्रम एम्स ऋषिकेश में संपन्न होंगे। इसमें अन्य कैंसर वैज्ञानिक अपने अनुसंधान को साझा करेंगे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।