इलेक्ट्रॉनिक सिटी के नाम पर पानी की तरह बहाया पैसा, युवाओं के हाथ कुछ नहीं लगाः गरिमा दसौनी
उत्तराखंड कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड में टाटा समूह की ओर से इलेक्ट्रॉनिक सिटी बनाने के धामी सरकार के दावों की हवा निकलती नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 और 2023 में हुए इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन में भाजपाई मुख्यमंत्रियों और सरकारों ने प्रदेश का कीमती पैसा अंधाधुंध तरीके से खर्च करने का काम किया, परंतु प्रदेश के युवाओं को उन आयोजनों से कुछ हाथ ना लगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा ने कहा कि उत्तराखंड राज्य आज देश के उन चुनिंदा राज्यों में शरीक हो चुका है, जिनमें सर्वाधिक बेरोजगारी है। ना सरकारी नौकरी है और ना ही स्वरोजगार के कोई रास्ते युवाओं के सामने हैं। प्रदेश के युवाओं के लिए सब दरवाजे बंद नजर आ रहे हैं। भर्ती परीक्षाओं का आलम यह है कि एक के बाद एक प्रश्न पत्र लीक और घोटालों की खबरों ने तो जैसे देश के युवाओं को और उनके सपनों को तोड़ कर रख दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि स्वयं विभागीय सचिव ने जानकारी देते हुए बताया कि टाटा समूह अपनी सहयोगी ताइवान की कंपनियों के आने का और उनके हरी झंडी दिखाने का इंतजार करेगा। यह कि ताइवान की कंपनियां 2025 में भारत आएंगी। ऐसे में कब नौ मन तेल होगा और कब राधा नाचेगी। इसका कुछ पता नहीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा दसौनी ने कहा कि कोई भी समूह किसी प्रदेश में निवेश तब करता है, जब वहां की कानून व्यवस्था सुदृढ़ और मजबूत हो। वहां आपराधिक घटनाएं कम होती हों। प्रदेश में पानी और बिजली की कोई किल्लत न हो एवं सड़क व्यवस्था भी किसी भी निवेश में अहम भूमिका निभाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड में हो रही ताबड़तोड़ आपराधिक घटनाओं से कोई अनभिज्ञ नहीं है। अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद से जो सिलसिला चला है, वह रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। दिनदहाड़े हत्याएं, गैंग वार, प्रॉपर्टी के लिए हत्याएं, डकैती, लूट बलात्कार की घटनाओं से देखा जाए तो कुछ भी ऐसा नहीं है, जो निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा ने कहा कुल मिलाकर कहें तो धामी सरकार राज्य में कानून व्यवस्था बहाल करने में पूरी तरह से फेल साबित हुई है। पानी और बिजली तो प्रदेश के लोगों के लिए पर्याप्त नही नहीं है। चारों ओर पानी के लिए हाहाकार है। भयंकर गर्मी के बावजूद भी बिजली की कटौती चल रही है। ऊर्जा प्रदेश होने के बावजूद महंगी दरों में बाजार से बिजली खरीदनी पड़ रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि सड़क व्यवस्थाओं का आलम यह है कि अभी आगामी मानसून में ही पोल पट्टी सबके सामने आने वाली है। दसौनी ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर घोटाले के खुलासे के बावजूद मुख्यमंत्री न ही अपने उद्यान मंत्री से इस्तीफा लेने की हिम्मत कर पा रहे हैं और ना ही हजारों हेक्टेयर जंगल जल जाने के बाद भी वन मंत्री को निपटाने की हिम्मत रखते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसी तरह चार धाम अव्यवस्थाओं की वजह से चारों ओर हो रही किरकिरी पर भी वह पर्यटन एवं धर्मसव मंत्री पर भी कोई जोर नहीं चला पा रहे। हां, अलबत्ता कभी प्रधानमंत्री की नकल उतारना, तो कभी पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिष्ट की नकल उतारना उत्तराखंड के सीएम नहीं भूलते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि कभी मुख्यमंत्री पीएम मोदी की नकल करते हुए आदि कैलाश में योग दिवस पर योग करते हैं, तो कभी बुलडोजर बाबा का अनुसरण प्रकरते हैं। देश में कानून व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, पानी, बिजली, पर्यावरण, महिला सुरक्षा, किसान दुर्दशा इत्यादि पर तो ध्यान देने का किसी को समय ही नहीं है। ऐसे में किसी भी समूह का यहां निवेश करना दूर की कौड़ी दिखाई दे रही है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।