वाह री सरकार, कोविड नियम विधायक ने तोड़े और कर दिया दरोगा का तबादला, भाकपा माले ने उठाए सवाल
रुड़की से भाजपा विधायक प्रदीप बत्रा का हाल ही में मसूरी में चालान कर दिया गया। इस चालान के बाद पुलिस ने चालान करने वाले दरोगा की पीठ थपथपाने की बजाय उल्टे ही उसका तबादला कर दिया।
ये है घटनाक्रम
13 जून को मसूरी में परिवार संग घूम रहे रुड़की से भाजपा के विधायक प्रदीप बत्रा का पुलिस ने चालान काट दिया था। आरोप है कि वे माल रोड पर बिना मास्क लगाए घूम रहे थे। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने जब उन्हें मास्क नहीं पहनने पर टोका तो वह उनसे उलझ गए और तीखी नोकझोंक हुई। मसूरी कोतवाली पुलिस के अनुसार माल रोड पर घूमने के दौरान विधायक बत्रा के परिजनों ने मास्क लगाया था, पर विधायक ने मास्क नहीं लगाया था। इसके चलते विधायक का पांच सौ रुपये का चालान किया गया।
विधायक का तर्क
उधर, विधायक प्रदीप बत्रा ने कहा था कि मैं आम आदमी की तरह परिवार के साथ मसूरी गया था। वहां एक पुलिसवाला लोगों से अभद्रता कर था। मैंने उसे रोकने का प्रयास किया। उसके बाद मैं होटल चला गया। उसने मेरा चालान काटा या नहीं, ये मुझे नहीं पता। बता दें कि शनिवार और रविवार को बड़ी संख्या में पर्यटक मसूरी पहुंचे थे। पुलिस ने कोविड 19 की गाइडलाइन का पालन नहीं करने और कोरोना कर्फ्यू के दौरान घूमने पर भी कई पर्यटकों के चालान किए।
इसके बाद किया गया तबादला
बिना मास्क पहने मसूरी में में घूम रहे रुड़की के विधायक प्रदीप बत्रा का चालान काटने वाले दरोगा नीरज कठैत का तबादला कालसी कर दिया गया। चालान काटने को लेकर हुई बहस का वीडियो भी सोशल मीडिया में खूब वारयल हुआ। इस वीडियो में दरोगा की तरफ चालान होने पर नोट फेंकने एवं बहस को दिखाया गया। इसे लेकर बुधवार 16 जून को रुड़की के विधायक प्रदीप बत्रा ने डीजीपी अशोक कुमार से मुलाकात कर बताया कि चालान मामले में वीडियो का एक ही भाग दिखाया जा रहा है। साथ ही उनका आरोप है कि बहस की शुरुआत और दरोगा की टिप्पणी को हटा दिया गया है। इसी शाम को दरोगा का तबादला कालसी कर दिया गया।
ये दिया गया तर्क
दूसरी तरफ, बताया जा रहा है कि दारोगा की ओर से इस मामले में एक बयान भी दिया गया, जो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया। इस पर पुलिस अधिकारियों ने नाराजगी भी जताई थी। उन्हें हटाए जाने की एक वजह इस वीडियो व बयान को भी माना जा रहा है। उधर, विधायक ने दारोगा के विरुद्ध जांच की मांग की है। जिसकी जिम्मेदारी पुलिस अधीक्षक नगर सरिता डोबाल को सौंपी गई है। चर्चा यह भी है कि जांच प्रभावित न हो, इसलिए दारोगा का तबादला किया गया। हालांकि, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) योगेंद्र सिंह रावत का कहना है कि दारोगा को मसूरी में तीन साल हो चुके थे। इसी कारण नियमावली के आधार पर उनका तबादला कालसी किया गया।
भाकपा माले ने उठाए सवाल
उत्तराखंड में भाकपा (माले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर दरोगा के खिलाफ तबादले की कार्रवाई पर सवाल उठाए। इसमें कहा गया कि विधायक का चालान करने वाले वाले सब इंस्पेक्टर का मसूरी से कालसी ट्रान्सफर कर दिया गया है। देहारादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का बयान अखबारों में ही पढ़ा कि यह रूटीन ट्रांस्फर है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर ट्रांसफर रूटीन कार्रवाई कार्यवाही ही होती है। वहीं, यदि इस रूटीन कार्यवाही का रूट जब सत्ता पक्ष के एक विधायक के चालान के बाद खुलता है तो फिर ऐसे ट्रांसफर के रूटीन होने पर संदेह होता है।
विधायक के मसूरी घूमने पर सवाल
उन्होंने कहा कि बहरहाल, ट्रांस्फर तो रूटीन हो सकता है, लेकिन जब प्रदेश में कोरोना के चलते लॉकडाउन लागू हो तो रुड़की के सत्तापक्ष के विधायक का परिवार समेत मसूरी में देर रात घूमना तो रूटीन नहीं कहा जा सकता। जब कोविड कर्फ्यू के चलते लॉकडाउन है तो रुड़की के विधायक प्रदीप बत्रा अपने परिवार के साथ मसूरी में क्यूं घूम रहे थे?
शासन की एसओपी का दिया हवाला
इंद्रेश मैखुरी के मुताबिक उत्तराखंड शासन की ओर से 14 जून 2021 को मुख्य सचिव ओमप्रकाश की ओर से जारी एसओपी में राज्य में 15 जून 2021 से 22 जून 2021 तक कोविड कर्फ्यू घोषित किया गया है। इस एसओपी के बिन्दु संख्या 14(D)(vi) में कहा गया है कि-होटल, रेस्तरां, भोजनालयों और ढाबों को केवल खाद्य पदार्थों की TakeAway / होम डिलिवरी के लिए रसोई संचालित करने की अनुमति होगी। होटल, ढाबे और रेस्तरां में बैठ कर भोजन करना पूरी तरह निषिद्ध होगा।
विधायक को कैसे मिला होटल
उन्होंने कहा कि जब होटल में बैठ कर खाने की अनुमति भी नहीं है तो विधायक और उनके परिवार को मसूरी में रहने और खाने के लिए होटल कैसे मिला? इस मामले में न केवल विधायक प्रदीप बत्रा, बल्कि उस होटल पर भी कार्यवाही होनी चाहिए, जिसने उत्तराखंड सरकार की कोविड नियंत्रण के लिए जारी एसओपी का उल्लंघन करते हुए विधायक प्रदीप बत्रा और उनके परिवार को ठहराया।
कोरोना रिपोर्ट के नियम पर भी उठाए सवाल
उन्होंने कहा कि एसओपी के बिन्दु संख्या 14(E)(vi) में कहा गया है कि-जिला देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल, नैनीताल एवं उधमसिंह नगर के मैदानी क्षेत्रों से पर्वतीय क्षेत्रों में जाने वाले समस्त यात्रियों के लिए RT PCR / TrueNat / CBNAAT / RAT नेगेटिव रिपोर्ट होना अनिवार्य है। मसूरी चूंकि पर्यवतीय क्षेत्र है और विधायक और उनका परिवार हरिद्वार जिले के मैदानी क्षेत्र से वहां गए। इसलिए इस बात की जांच की जानी चाहिए कि विधायक और उनके परिवार के पास ऐसी रिपोर्ट थी अथवा नहीं।
क्या कराया गया था रजिस्ट्रेशन
उन्होंने कहा कि यात्रा करने के लिए एसओपी के अनुसार स्मार्ट सिटी के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। इसलिए इस बात की भी जांच की जानी चाहिए कि विधायक और उनके परिवार ने यात्रा करने से पहले स्मार्ट सिटी के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया या नहीं।
जब सब बंद तो मसूरी घूमने की अनुमति कैसे
उन्होंने कहा कि एसओपी का बिन्दु संख्या 7 कहता है कि -समस्त सामाजिक / राजनीतिक / खेल गतिविधियां / मनोरंजन / शैक्षिक / सांस्कृतिक समारोह / other gatherings and large congregation अग्रिम आदेशों तक बंद रहेंगे। जब इस तरह की सब गतिविधियां बंद हैं तो विधायक और उनके परिवार को मसूरी घूमने की अनुमति कैसे हो सकती है ?
मुकदमा दर्ज करने की मांग
उन्होंने कहा कि ऐसे में स्पष्ट है कि रुड़की के विधायक प्रदीप बत्रा और उनके परिवार ने कोविड कर्फ्यू के लिए जारी एसओपी का उल्लंघन किया गया है। एसओपी के बिन्दु संख्या 14(N)(i) में उल्लेख है कि COVID-Curfew का उल्लंघन करने वाले किसी व्यक्ति के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 (Section 51 to 60), महामारी अधिनियम 1897 एवं IPC की धारा 188 के प्रावधानों के अंतर्गत कानूनी कार्यवाही की जाएगी। अतः विधायक प्रदीप बत्रा, उनके परिवार एवं मसूरी में उनको ठहराने वाले होटल के विरुद्ध उक्त धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जाए। उन्होंने कहा कि जब कानून की निगाह में सब समान हैं, इसलिए निश्चित ही विधायक पर भी वही कार्रवाई की जानी चाहिए, जो कोविड कर्फ्यू का उल्लंघन करने पर किसी आम नागरिक पर की जा रही है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।