पीएम सुरक्षा में चूकः सुप्रीम कोर्ट ने कहा-पहले से तय तो कोर्ट क्यों आए, जांच को बनाई कमेटी, केंद्र और राज्य बंद करें जांच
पंजाब में पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक मामले की सुप्रीम कोर्ट में सीजेआइ एमवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच सुनवाई की गई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि पहले से ही आप लोग तय कर चुके हो तो कोर्ट क्यों आए हो।
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पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिला है। साथ ही कहा कि अगर अफसर दोषी निकलते हैं तो उन्हें टांग दिया जाए। पंजाब सरकार के वकील डीएस पटवालिया ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट चाहता है तो इस मामले में अलग से जांच कमेटी का गठन कर दे। हम उस कमेटी में सहयोग करेंगे, लेकिन हमारी सरकार और हमारे अधिकारियों पर अभी आरोप ना लगाया जाएं।
साथ ही पटवालिया ने बताया कि राज्य के अधिकारियों को 7 कारण बताओ नोटिस जारी कर कहा गया है कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जाए। याचिकाकर्ता ने हमारी समिति पर सवाल उठाए थे, लेकिन हमें केंद्रीय एजेंसी के समक्ष निष्पक्ष सुनवाई भी नहीं मिलेगी। एसएसपी को 7 कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए। सुनवाई का मौका नहीं दिया। हमें केंद्र सरकार की समिति से न्याय नहीं मिलेगा। केंद्र सरकार द्वारा निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी। कृपया एक स्वतंत्र समिति नियुक्त करें, और हमें निष्पक्ष सुनवाई का मौका दें।
पंजाब सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस दिया गया है। यह कहता है कि यह प्रथम दृष्टया एसपीजी अधिनियम के तहत दी गई जिम्मेदारियों का उल्लंघन है और VVIP की सुगम यात्रा सुनिश्चित नहीं की गई। कारण बताओ नोटिस में पहले से ही हमारे खिलाफ सब कुछ मान लिया गया है। जवाब के लिए 24 घंटे दिए गए।
इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि यह नोटिस कोर्ट आदेश से पहले जारी किए गए थे। राज्य सरकार के मन में भ्रांतियां हैं। इसमें कोई शक नहीं कि इस पूरे प्रोसेस के पालन में गड़बड़ हुई है। इस पर कोई विवाद नहीं हो सकता। यह तथ्य अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि सुरक्षा में चूक और लापरवाही हुई। ब्लूबुक में साफ है कि सुरक्षा का इंतजाम राज्य पुलिस महानिदेशक की देखरेख में स्थानीय पुलिस करती है। इसमें इंटेलिजेंस डायरेक्टर और CID समेत कई विभागों के इनपुट का योगदान होता है। खास कर जब प्रोटेक्टी पब्लिक प्लेस या खुले में आयोजित सभाओं और जलसों मे शामिल हों।
साथ ही उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से खुफिया विफलता थी। पंजाब पुलिस के DG को पीएम के काफिले को स्पष्ट सूचना देनी थी। SPG एक्ट का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है। पुलिस अधिकारी जिम्मेदार हैं। यह बहुत गंभीर है कि राज्य उनका बचाव कर रहा है। इसी के चलते केंद्रीय कमेटी बनानी पड़ी। यह इंटेलिजेंस फेलियर का नतीजा था। इसे कई बार माना भी गया है। इसलिए पंजाब के जिम्मेदार अधिकारियों पर एक्शन लेने में कोई हर्ज नहीं। VVIP की सुरक्षा में थोड़ी सी भी चूक गंभीर हो सकती है। राज्य सरकार अपने लापरवाह अधिकारियों को बचा रही है, वो अधिकारी कोर्ट के सामने अभी नहीं है। राज्य सरकार उनकी लापरवाही पर पर्दा डाल रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। जस्टिस हिमा कोहली ने तुषार मेहता से पूछा कि अगर केंद्र पहले से कारण नोटिस में सब कुछ मान रहे हैं तो कोर्ट में आने का क्या मतलब है? वहीं, जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आपका कारण बताओ नोटिस पूरी तरह से विरोधाभासी है। समिति गठित करके आप पूछताछ करना चाहते हैं कि क्या SPG अधिनियम का उल्लंघन हुआ है? फिर आप राज्य के मुख्य सचिव और डीजी को दोषी मानते हैं। किसने उन्हें दोषी ठहराया? उन्हें किसने सुना?
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में दिया था यह निर्देश
ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के वकील और केंद्र सरकार के वकील से कहा है कि उन्होंने जांच के लिए अलग-अलग जो कमिटी बना रखी है, वो सोमवार तक अपने हाथ को रोक दें। केंद्र और राज्य सरकार ने सुरक्षा में चूक के मामले की जांच के लिए कमिटी बना रखी है।
ये है प्रकरण
गौरतलब है कि बुधवार 05 जनवरी को पंजाब के फिरोजपुर में प्रधानमंत्री मोदी सड़क मार्ग से रैली के लिए जा रहे थे। इस दौरान एक फ्लाईओवर पर 15 से 20 मिनट के लिए उस वक्त फंस गए, जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने रास्ते को अवरुद्ध कर दिया। इस चूक की वजह से पीएम मोदी फिरोजपुर में बिना कार्यक्रम में हिस्सा लिए ही बठिंडा एयरपोर्ट पर वापस लौट गए। प्रधानमंत्री ने बठिंडा एयरपोर्ट के अधिकारियों से कहा कि-अपने सीएम को थैंक्स कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।