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May 30, 2025

मासिक धर्म शर्म नहीं, समझ जरूरी, ये है एक प्राकृतिक प्रक्रियाः डॉ. सुजाता संजय

डॉ. सुजाता संजय

हर साल 28 मई को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार देहरादून में संजय ऑर्थेापीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता संजय ने महिलाओं में इस प्राकृतिक प्रक्रिया के प्रति किशोरियों को जागरूक किया। उन्होंने वेबिनार के माध्यम से कई नर्सिंग छात्र छात्राओं को भी मासिक धर्म के प्रति जागरूक किया। साथ ही बताया कि ये शर्म की बात नहीं है। इसके प्रति समझ जरूरी है। क्योंकि मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने बताया कि इस वर्ष विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस की थीम एक साथ पीरियडफ्रेंडली वर्ल्ड है। यह दिन दुनिया भर में किशोरियों और महिलाओं के लिए मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बनाए रखने के महत्व पर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 2014 में की गई थी। तब से यह दिन एक वैश्विक अभियान का रूप ले चुका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ. सुजाता संजय ने कहा कि मासिक धर्म को स्त्री के शरीर की शुचिता के बोझ व कलंक से आजाद कर उसे इस नजरिए से देखा जाए कि मासिक धर्म तो प्रत्येक लड़की की जिंदगी का हिस्सा है। यह हर महिला के शरीर में होने वाला एक स्वाभाविक विकास है। यह लड़की की जिंदगी का ऐसा संक्रमण काल है कि इससे वह किशोरावस्था में प्रवेश करती है और फिर बालिग। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि सभी लड़कियों के जीवन में इस तरह के बदलाव का अहम वक्त होता है। ऐसे वक्त में उन्हें परिवार, सहेली, समुदाय, अध्यापक, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के उचित परामर्श, जानकारी की सख्त जरूरत होती है। ताकि वे विभिन्न भ्रांतियों के जाल में आने से बचें और मासिक धर्म के दारौन स्कूल मिस नहीं करें। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा मुल्क है, जहां किशोर लड़कियों की तादाद बहुत अधिक है। अनुमान सुझाते हैं कि भारत में करीब 110 मिलियन किशोर लड़कियों में मासिक धर्म स्वच्छता और उसके निस्तारण के ज्ञान की कमी है। ये उनकी शिक्षा व स्वास्थ्य को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

डॉ. सुजाता संजय ने बताया कि मासिक धर्म कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया से हर महिला को गुजरना पड़ता है। इसके बावजूद, आज भी भारत सहित कई देशों में इस विषय पर खुलकर बातचीत नहीं होती। शर्म, संकोच और अज्ञानता के कारण न केवल लड़कियों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है, बल्कि उनकी शारीरिक सेहत भी प्रभावित होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि मासिक धर्म पर बात करना, समझ बढ़ाना और स्वच्छता अपनाना ही इस दिवस का उद्देश्य है। यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम अपने घर, स्कूल और समाज में इस विषय को सामान्य मानें। बेटियों को शिक्षित करें और उन्हें एक स्वस्थ और सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार दें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ. सुजाता संजय ने कहा कि मासिक धर्म के प्रति जागरूकता जरूरी है। क्योंकि यह माहवारी के दौरान चुप रहने की धारणा को तोड़ देगा और इस समय लड़कियों को सामान्य होने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इससे अन्य अंतर-जुड़े किशोरायों से जुडे मुद्दों जैसे बाल विवाह, पोषण और शिक्षा के बारे में भी जागरूकता पैदा होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ. सुजाता संजय ने बताया कि मेरे क्लीनिक में अनेक किशोरियाँ और महिलाएं केवल इस कारण से स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित होती हैं। क्योंकि वे मासिक धर्म के दौरान उचित स्वच्छता नहीं अपनातीं हैं। जैसे बार-बार सैनिटरी नैपकिन न बदलना, गंदे कपड़े का प्रयोग करना, या संक्रमण के लक्षणों को नजरअंदाज करना। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि संक्रमण की स्थिति में भविष्य में प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। सही जानकारी, स्वच्छ साधनों की उपलब्धता और आत्मविश्वास ही इस स्थिति को बदल सकते हैं। मैंने ऐसी लड़कियों को देखा है जो पहली बार मासिक धर्म के आने पर डर जाती हैं। क्योंकि उन्हें पहले से कोई जानकारी नहीं होती। कई बार माताएं, शर्म के कारण, इस विषय पर बात नहीं करतीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि यह चुप्पी आगे चलकर गंभीर मानसिक व शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकती है। इसलिए मैं हर माता-पिता, शिक्षक और अभिभावक से अनुरोध करती हूँ कि वे अपनी बेटियों को इस विषय पर सही जानकारी दें। खुलकर संवाद करें और उन्हें आत्मविश्वास दें।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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