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December 23, 2024

मीनोपॉजः महिलाओं में सैक्स की इच्छा होने लगती है कम, स्वभाव में चिड़चिड़ापन, ऐसे बनाएं जीवन सुखदः डॉ. सुजाता संजय

डॉ. सुजाता संजय

दुनियाभर में हर साल 18 अक्टूबर को विश्व मीनोपोज दिवस के रूप में मनाया जाता है। ये ऐसी प्रक्रिया है, जिससे एक उम्र के बाद हर महिला को गुजरना पड़ता है। इसे लेकर महिलाओं में कई तरह की शकाएं होती हैं। हार्मोन के बदलने से महिलाओं के स्वभाव में भी बदलाव देखने को मिलते हैं। ऐसे में महिलाओं को इससे जुड़ी बातों को अच्छी तरह से जान लेना चाहिए। ताकि इस प्रक्रिया को सुखद बनाया जा सकते। बढ़ती उम्र में मीनोपॉज के लक्षण एवं उपाय के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से संजय ऑर्थोपीडिक स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर देहरादून की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता संजय यहां इसी संदर्भ में विस्तार से बताने जा रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मीनोपॉज का अर्थ
मीनोपॉज के बारे में बताते हुए डा. सुजाता संजय कहती हैं कि मीनोपॉज में मीनो का अर्थ है मासिक और पॉज का अर्थ है रूकना। यानी स्त्रियों के नियमित मासिक-चक्र के रूक जाने को मीनोपॉज कहते है। इसे रजोनिवृत्ति भी कहते है। अर्थात वह अवस्था जब मासिक रजस्राव बन्द हो जाता है। महिलाओं में प्रजनन की शक्ति समाप्त हो जाती है। साथ ही बुढ़ापे के लक्षण दिखने लगते है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस उम्र में होने लगता है मासिक चक्र अनियमित
40-45 साल की उम्र में महिलाओं का मासिक-चक्र अनियमित हो जाता है। इस दौरन अण्डाशय से अण्डों का निकलना खत्म होने लगता है। कुछ महीनों या सालों के बाद मासिक-चक्र बिल्कुल रूक जाता है। साथ ही स्त्री संबंधी हार्मोन शरीर में बनने बन्द हो जाते है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तीन अवस्थाओं में पूरी होती है प्रक्रिया
डॉ. सुजाता संजय ने बताया कि मीनोपॉज की तीन अवस्थायें होती है। प्रथम अवस्था में ओवरीज धीरे-धीरे कम काम करने लगती है और मासिक-चक्र नियमित रहता है। साथ ही कुछ लक्षण प्रकट होने लगते हैं। इस अवस्था को प्रीमेनोपॉज कहते है। दूसरी अवस्था में मासिक-चक्र बिल्कुल अनियमित हो जाता है और लक्षण तकलीफदेह होने लगते है। इस अवस्था को पेरी मीनोपॉज कहते हैं। तीसरी अवस्था वह अवस्था होती है, जिसमें एक बार मासिक-चक्र के पूरे साल तक रूक जाने के बाद पोस्ट मेनोपॉज अवस्था शुरू हो जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस तरह से होती है परेशानी
डॉ. सुजाता संजय ने मीनोपॉज के मुख्य लक्षणों में बताया कि इसमें रात को पसीना आना, नींद न आना, हॉटफ्लशेज यानी अचानक छाती, गर्दन या चेहरे पर लाली आ जाना और गर्मी सी महसूस करना आदि हैं। इस दौरान योनिद्वार में सूखापन, योनि की त्वचा का पतला हो जाना आदि समस्यायें होती है। जिसकी वजह से योनि और पेशाब की नली में इंफेक्शन की सम्भावना बढ़ जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सैक्स की इच्छा में आने लगती है कमी
इस अवस्था में सैक्स हार्मोन की कमी की वजह से कामेच्छा भी कम हो जाती है। मासिक-धर्म, अनियमित होत-होते एक दिन बन्द हो जाता है। किसी-किसी स्त्री में मासिक-धर्म अनियमित और अधिक मात्रा में होने लगता है। मीनोपॉज की अवस्था में जाने वाली लगभग सभी औरतों की मानसिक अवस्था भी प्रभावित होती है। वे चिड़चिड़ी, बिना बात के रोने वाली और अवसाद से ग्रस्त हो जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शरीर में होने लगते हैं इस तरह के परिवर्तन
इस अवस्था में जननांग में परिवर्तन के अतिरिक्त शरीर में सामान्य परिवर्तन भी स्पष्ट होने लगते हैं। छाती, पीठ के निचले भाग तथा पेट में वसा की अतिरिक्त परत जमने लगती है। स्तन के ऊतकों में परिवर्तन तथा वहां वसा के अधिक जमाव की वजह से त्वचा में सिकुड़न आ जाती है तथा स्तन ढीले होकर लटकने लगते हैं। होठों के आसपास तथा ठुड्डी पर बाल उग आते हैं। इस समय धमनियों में रक्तसंचार की अनियमितता, ओस्टियोपोरोसिस, मूत्र-संचार की तकलीफ, वजन बढ़ना आदि समस्यायें हो सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मीनोपॉज के समय घबराएं नहीं
डॉ. सुजाता संजय ने बताया कि मीनोपॉज के समय घबराएं नहीं। इन समस्याओं का मतलब यह कदापि नहीं है कि आप दिन-रात इसके बारे में सोच-सोचकर खुद को और बीमार कर लें। नियमित दिनचर्या, व्यायाम और सही खानपान से स्त्रियाँ अपने आपको स्वस्थ और सुन्दर बनाये रख सकती है। मीनोपॉज के समय-कुछ बातों का ध्यान रखते हुए आप मीनोपॉज के समय को सामान्य कर सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे कम करें परेशानी
मीनोपॉज के समय में ग्रीन टी पीने का अपने कई फायदे है। यह आपके इम्यून सिस्टम की क्षमता को बढ़ाती है साथ ही कई तरह की गम्भीर बीमारी में भी ग्रीन टी काम करती है। इसलिए आप ग्रीन टी का इस्तेमाल कर सकते है। अच्छी नींद हर किसी बीमारी के लिए दवा की जैसे काम करती है। इसलिए इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि आप कितनी भी व्यस्त क्यों नही हों, एक पूरी नींद के समय अवश्य निकलें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तनावमुक्त रहना ऐसे समय में जरूरी
जब भी हम तनाव के दौर से गुजरते है, तब हमारे शरीर में एक हार्मोन बनाता है। जो हमारे शरीर के विकास और वजन को संतुलित रखने के लिए अवरोध का काम करता है। उसका नाम है कोर्सिटोल। इसलिए हमेशा इस का बात का ध्यान रखें कि तनाव मुक्त रहने से भी आप बहुत सी परेशानियों से बच सकते हैं। साथ ही तनाव से बचे रहना आपका मीनोपॉज के समय के लिए आवश्यक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सकारात्मक रहें, अधिक पानी का करें सेवन
मेनोपॉज के समय में सकारात्मक रहें। यदि कोई भी परेशानी हो तो अपने परिवार की बड़ी महिलाओं या अपनी सहेलियों की राय लेने में हिचक ना करें। मीनोपॉज के समय में शरीर को चुस्त रखना आवश्यक है। इसलिए ऐसे समय में कुछ हल्के-फुल्के व्यायाम करते रहें। मीनोपॉज के समय में अधिक से अधिक पानी पियें। क्योंकि ये आपके शरीर के तापमान को सामान्य बनाये रखने में मदद करता हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

खुश रहकर हर समस्या का होता है निदान
खुश रहने से हर समस्या का निदान आसानी से हो जाता है। परिवर्तन चाहे जिन्दगी के हों या फिर शरीर में। ये सब हमारी जिन्दगी का हिस्सा है। इसलिए हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि कुछ बातें जो प्रकृति की तरफ से हैं, उसका सामाना खुश रहकर करें। मीनोपॉज स्त्री के जीवन का एक अह्म हिस्सा हैं और इस दौर में आने वाली परेशानियों के प्रति अपना रवैया सकारात्मक रखें। साथ ही अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह लेकर आप इसे सामान्य कर सकती हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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