वित्त सचिव के साथ राज्य कर्मचारियों की बैठक, इन मुद्दों पर हुई चर्चा, पूछे सवाल, मिला ये जवाब

उत्तराखंड के सरकारी कर्मचारियों की विभिन्न समस्याओं को लेकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने वित्त एवं सहकारिता विभाग के सचिव दिलीप जावलकर से मुलाकात कर उनके साथ बैठक की। इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। वित्त सचिव को संगठन के विभिन्न लंबित मुद्दों की याद दिलाई गई। बैठक में परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरूण पांडे एंव महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट शामिल हुए। इस दौरान परिषद नेताओं ने हर बिंदुओं पर सवाल पूछे और शासन से जवाब भी मिला। ये जवाब गोली है या टाफी है, ये कर्मचारी ही जानते हैं। क्योंकि उनकी मांगों का समाधान पिछले तीन चार साल से नही हो रहा है। इक्का दुक्का मांग को छोड़कर। कर्मचारियों ने कई बार आंदोलन की चेतावनी जरूर दी, लेकिन आम आदमी की तरह वे भी डरे हुए हैं। चार साल से लोकसाक्ष्य में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की 20 मांगे लिखी जा रही हैं। हर बार मांगों की संख्या घटने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में ना तो कर्मचारी संगठन में दम है, जो अपनी मांग मनवा ले और ना ही सरकार की मंशा उनकी मागों को पूरा करने की है। हो सकता है कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद को हमारे आंकलन से ऐतराज हो। फिर भी सच्चाई ये है कि किसी भी कर्मचारी संगठन में 11 साल में इतना दम नहीं रहा कि वे अपनी सारी बात मनाने के लिए सरकार को झुका दें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वार्ता के मुख्य बिंदु
1.एसीपी के अन्तर्गत 10, 16 एंव 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नत वेतनमान दिये जाने के लिए विभिन्न विभागों में तीन पदोन्नति न प्राप्त कर सकने वाले कार्मिकों का संवर्गवार आंकड़ा वित्त विभाग के पास एकत्र हो चुका है। तद्नुसार उक्त सुविधा को पूर्व की भॉति बहाल किया जाय। इस बिंदु पर आश्वासन दिया गया कि जून के प्रथम सप्ताह में बैठक आयोजित कर निर्णय किया जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
2.वेतन समिति के सम्मुख विभिन्न संवर्गों की वेतन विंसगति दूर करने के लिए मजबूत पैरवी की गयी। साथ ही 12.8.2022 की वार्ता में वेतन समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाय। जवाब ये मिला कि जून के प्रथम सप्ताह में बैठक आयोजित कर निर्णय किया जायेगा।
3.यात्रा अवकाश सुविधा की संशोधित दरें व व्यवस्थाओं के सम्बध में मा0 मंत्रीमण्डल द्वारा निर्णय कर दिया गया है किन्तु शासनादेश आतिथि तक लम्बित है। अतः शासनादेश तत्काल जारी किया जाय। टाफी ये दी गई कि आगामी सप्ताह में शासनादेश निर्गत कर दिया जायेगा।
4.वाहन भत्ता प्रतिमाह 1200 रूपये में बढोत्तरी की मांग परिषद की ओर से की गयी थी। इसके आधार पर वाहन भत्ते की दरों में वृद्धि की गयी। वृद्धि का लाभ 2013 के शासनादेश द्वारा वाहन भत्ता प्राप्त कर रहे कार्मिकों को नहीं प्राप्त हो रहा है। परिषद की मांग है कि अपर मुख्य सचिव वित की अध्यक्षता में आहुत बैठक में बनी सहमति के अनुसार वंचित कार्मिकों को भी वाहन भत्ते की बढी दरों का लाभ अनुमन्य किया जाय। मिली ये टाफी कि मंत्रीमण्डल की आगामी बैठक में प्रस्तुत किया जायेगा।
5.एनपीएस के स्थान पर अन्य राज्यो यथा पंजाब एंव राजस्थान की भांति पुरानी पेशन व्यवस्था लागू की जाय। मिसा ये जवाब भारत सरकार की भांति कार्यवाही की जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
6.परिषद के संज्ञान में यह भी आया है कि राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से मात्र कटौती की धनराशि से ही भुगतान किया जा रहा है, जबकि समस्त राज्यकर्मी एंव पेशनर चिकित्सा प्रतिपूर्ति के हकदार हैं। इसलिए चिकित्सा प्रतिपूर्ति एंव चिकित्सालयों के भुगतान हेतु कम पड रही धनराशि को सरकार वहन करे। मिला आश्वासन कि जून के प्रथम सप्ताह में बैठक आयोजित कर निर्णय किया जायेगा।
7.आठवें वेतन आयेाग के सम्बध में भारत सरकार द्वारा अपने अर्द्धशासकीय पत्र के माध्यम से राज्यों से सुझाव आमन्त्रित किये गये हैं। उक्त के क्रम में मांग है कि परिषद को आमन्त्रित कर उसके सुझावों को सम्मलित करते हुए भारत सरकार को राज्य सरकार प्रेषित करें। ये मिला जवाब कि जून के प्रथम सप्ताह में बैठक आयोजित कर निर्णय किया जायेगा।
8.सेवा निवृत्त कार्मिकों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति हेतु बिल आहरण वितरण अधिकारी अथवा सम्बन्धित कोषागार के माध्यम से प्रस्तुत करने की व्यवस्था चिकित्सा विभाग द्वारा जारी शासनादेश में की गयी है। किन्तु वित्त विभाग से शासनादेश जारी न होने के कारण कतिपय कोषागार इस सम्बन्ध में आनाकानी कर रहे हैं। अतः इस हेतु वित्त विभाग द्वारा भी शासनादेश निर्गत किया जाय। ये भी मिली मिठी गोली हर बार की तरह- शीघ्र ही वित्त विभाग के स्तर से शासनादेश निर्गत किया जायेगा।
9.समस्त वर्दीधारियों को पुलिस कर्मियों की भांति सुविधाए अनुमन्य किये जाने की मांग पर शासन स्तर पर कार्यवाही लम्बित है। कृपया मांग पूर्ण करायी जाय। हर बार की तरह इसमें भी मिला आश्वासन सम्बधित विभागों से सूचना प्राप्त कर कार्यवाही की जा रही है।
10.दिनांक 30 जून एवं 31 दिसम्बर को सेवा निवृत्त होने वाले कार्मिकों को वेतनवृद्वि के लाभ के शासनादेश में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी किये गये शासनादेशानुसार संशोधित किया जाय। मिला आश्वासन परीक्षणोपरान्त निर्णय लिया जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
11.हरियाणा, राजस्थान एंव पंजाब राज्यों ,द्वारा राशिकरण की कटौती के समय में की गयी कमी के दृष्टिगत उत्तराखण्ड के सेवा निवृत्त एंव सेवारत कार्मिकों के राशिकरण की कटौती पर भी समय में कमी की जाय। बताया गया कि इस सम्बध में गठित समिति की आख्या अभी प्राप्त नहीं हुई है, शीघ्र ही आख्या प्राप्त कर कार्यवाही की जायेगी।
12.वर्कचार्ज कर्मियों को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये निर्देशानुसार अनुमन्य की गयी पेंशन एंव ग्रेच्युटी के भुगतान को लेकर आ रही समस्या के निराकरण हेतु शासन व सरकार के स्तर से कार्यवाही कर समस्या का समाधान किया जाय। बताया गया कि मंत्रीमण्डलीय समिति की सिपारिश के आधार पर कार्यवाही की जायेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नोटः हो सकता है मेरे इस नोट को पढ़कर कर्मचारियों को ये खबर पेट दर्द करने वाली लगे, लेकिन चार साल से मैने नोट किया कि इनमें यानि उत्तराखंड के अधिकांष कर्मचारी संगठनों में दमखम खत्म हो गया है। अपनी मांगे मनवाने के लिए इनके बस में आंदोलन करना नहीं रहा है। एक दिन आंदोलन की चेतावनी के ड्रामा तो करते हैं, लेकिन फिर चुप हो जाते हैं। सच ये है कि अधिकारों के लिए लड़ने की क्षमता इनकी खत्म हो चुकी है। खबरें ये होती हैं कि उनसे वार्ता की। इसके अलावा शायद ही इनके पास कोई ऐसा जवाब है कि इस मांग को लेकर आंदोलन किया हो और सफलता पाई हो। मेरी नजर में तो सरकार के साथ सब कुछ सेटिंग है। यदि अभी नहीं जागे तो इन्हें भविष्य इन लोगों को भी कोई माफ नहीं करेगा। हालांकि, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की ओर से लड़ाई लड़ी जा रही। फिर भी अधिकारों के लिए बोल्ड निर्णय लेना पड़ेगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।