संयमित मन व स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी है ध्यान: डॉ. विजय धस्माना

उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जौलीग्रांट में परम् श्रद्धेय गुरुदेव डॉ.स्वामी राम की शिक्षाओं पर आधारित ‘साइंस ऑफ जॉयफुल लिविंग’ पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में लोगों को स्वस्थ मन और स्वस्थ शरीर की अवधारणा के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हिमालयन कॉलेज ऑफ नर्सिंग के मदर-टेरेसा ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना, डॉ. विजेंद्र चौहान, डॉ. प्रकाश केशवया व डॉ.हेमचंद्र पांडे ने परम् श्रद्धेय गुरुदेव डॉ. स्वामी राम के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया। डॉ. स्वामी राम की योग व ध्यान पर आधारित शिक्षाओं पर कार्यशाला विभिन्न चरणों में आयोजित की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एसआरएचयू के महानिदेशक (शैक्षणिक विकास) डॉ. विजेंद्र चौहान ने शरीर और मन के बीच अभिन्न संबंध के बारे में विस्तृत जानकारी दी। साथ ही मानसिक शांति को बढ़ावा देने में ध्यान की भूमिका पर जोर दिया। हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एचआईएमस) की उपप्रधानाचार्य (प्रशासन) व हिमालयन अस्पताल की वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रेनू धस्माना ने कहा कि एक संतुलित आहार पर ही उसका संपूर्ण स्वास्थ्य निर्भर करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. प्रकाश केशवया ने योग एवं विज्ञान के समन्वय पर विस्तृत जानकारी साझा करते हुए कहा कि साथ ही कहा कि सांसों के लिए प्रणायाम व मन को शान्त रखने के लिए ध्यान अति आवश्यक। नर्सिंग सलाहकार डॉ. कैथी ने सांस-संबंधी और शारीरिक व्यायाम प्रशिक्षण दिया। कार्यशाला के अंतिम सत्र में विशेषज्ञ वक्ताओं ने प्रतिभागियों के संतुष्टपूर्ण जवाब दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
70 फीसदी बीमारियां मन के विकार से उत्पन्न
एसआरएचयू जौलीग्रांट के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि वर्ष 1968 में गुरूदेव डॉ.स्वामी राम ने कहा था कि 70 फीसदी शारीरिक बिमारियां मन के विकार से उत्पन्न से होती हैं। मन को संयमित करने के लिए ध्यान जरूरी है। ध्यान के माध्यम से शारीरिक रोगों पर काबू पाया जा सकता है। वर्तमान में अत्याधुनिक मेडिकल साइंस भी यही बात कह रहा है। भय, मानसिक अवसाद, उदासीनता के बीच स्वस्थ मन के साथ कैसे रहें योग यह बताता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शरीर और मन के बीच की कड़ी है श्वास
अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि शरीर और मन के बीच की कड़ी है श्वास। स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी है मन का शांत होना। मन को शांत करने के लिए जरूरी है ध्यान। मन के शांत होने से सकारात्मक ऊर्जा हमारे भीतर रहेगी। ध्यान करने में समय जरूर लगता है, लेकिन बेहद आसान है। रोजाना दो बार जरूर ध्यान करें।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।