मीडिया की खबर-नए साल में राज्यकर्मियों की मिलेगी डीए की सौगात, हमारा सवाल- क्यों तरसा रहे इतने दिन
मीडिया ने तो सरकार का भोंपू बनने का ही काम को अपना धर्म मान लिया है। सवाल पूछने की हिम्मत मीडिया में शायद बची ही नहीं है। यदि कर्मचारियों की बात की जाए तो भी मीडिया की खबरों को पढ़ोगे तो ऐसा लगेगा जैसे नई बात कह रहे हैं। यहां बात कर्मचारियों के लिए हर साल होने वाले डीए फेरबदल को है। हर साल केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए डीए की दरों में दो बार फेरबदल करती है। इसमें जनवरी माह से लागू होने वाले डीए को लेकर मार्च माह में होली के आसपास फैसला किया जाता है। वहीं, जुलाई माह में डीए लागू को लेकर फैसला अक्टूबर या नवंबर माह में दिवाली के आसपास किया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्यों की जाती है देरी से घोषणा
यहीं से हमारा सवाल उठता है कि जब डीए जनवरी माह में लागू किया जाना है, या फिर दूसरी घोषणा के अनुरूप जुलाई माह से लागू किया जाना है तो इसकी घोषणा देरी से क्यों की जाती है। जनवरी माह से लागू होने वाले डीए की घोषणा मार्च माह में और जुलाई माह में लागू होने वाली डीए की घोषणा अक्टूबर या नवंबर माह में दिवाली के आसपास क्यों की जाती है। जब देना ही है तो फिर कर्मचारियों को क्यों परेशान किया जाता है। इस सवाल का जवाब सरकारों को देना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अक्टूबर माह में की थी घोषणा
अक्टूबर माह में केंद्रीय कर्मचारियों को मोदी सरकार ने दिवाली से पहले महंगाई भत्ता (डीए) में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी का एलान किया था। कैबिनेट की बैठक में डीए बढ़ाने के फैसले को मंजूरी दी गई। सरकार की मंजूरी के बाद केंद्रीय कर्मचारियों का डीए 42 प्रतिशत से बढ़कर 46 प्रतिशत हो गया है। बढ़े हुए डीए को एक जुलाई, 2023 से लागू किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब उत्तराखंड की खबर देखिए
अमर उजाला में प्रकाशित खबर के मुताबिक, उत्तराखंड में राज्य कर्मचारियों को न्यू ईयर पर चार फीसदी महंगाई भत्ते की सौगात मिल सकती है। डीए की फाइल मुख्यमंत्री के पास अनुमोदन के लिए गई है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री राजधानी पहुंचने के बाद फाइल पर अनुमोदन मिल जाएगा। इस बीच राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने भी मुख्यमंत्री से चार फीसदी महंगाई भत्ते की किस्त जारी करने का अनुरोध किया है। प्रदेश मंत्रिमंडल ने डीए के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है। वित्त विभाग ने प्रस्ताव बनाकर मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दिया है। अब मुख्यमंत्री को निर्णय लेना है। वित्त मंत्री से प्रस्ताव पर पहले ही अनुमोदन प्राप्त हो चुका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस पर हमारा सवाल
हमारा सवाल ये है कि जब केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए कोई योजना लागू करती है तो राज्य सरकारें भी उसी के अनुरूप वही सुविधाएं देने का प्रयास करती हैं। सवाल उठता है कि जब डीए देना ही है तो इसमें देरी क्यों की जाती है। क्या सरकार ने धीमी गति से काम करने की ठान ली है। अब जनवरी में तो नए साल की डीए की पहली किश्त लागू होनी है। हालांकि, उसकी घोषणा भी मार्च अप्रैल में केंद्र से होगी और प्रदेश सरकार उसे कब लागू करेगी ये पता नहीं। ये मुद्दे मीडिया के लिए नहीं हैं। उनके लिए खबर ये है कि जैसा सरकार कहे या विज्ञप्ति भेजे उसे ही प्रकाशित कर दें। कर्मचारी संगठन भी सरकार हर फैसले को खुद की उपलब्धि बताकर खुद के नंबर बढ़ाने के प्रयास में लगे रहते हैं। करीब एक दर्जन से ज्यादा उनकी ऐसे मांगे अधर में लटकी हैं, जिन्हें लेकर पहले वे समय समय पर आंदोलन भी करते रहे। हालांकि, काफी समय से अब आंदोलन की कोई खबर नहीं आई।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।