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November 7, 2024

झूठ की बुनियाद पर आगे बढ़ रहा मीडिया, अब पीएम मोदी को शांति के नोबेल पुरस्कार का फैलाया जा रहा है झूठ

भारत के मीडिया की स्थिति अब ऐसी हो गई है कि आने वाले दिनों में जल्द ही किसी खबर पर कोई विश्वास नहीं करेगा। हालांकि, अभी भी एक बड़ा वर्ग विश्वास कम ही कर रहा है। क्योंकि सरकार की खामियों से ध्यान भटकाने के लिए मीडिया ऐसी झूठी खबरों को प्रचारित करने लगता है, जिससे दूसरे मुद्दों से लोगों का ध्यान हट जाए। साथ ही प्रधानमंत्री की बिगड़ती छवि को फिर से उभारने में सफलता मिल सके। ऐसे में अब मीडिया ने दो दिन से पीएम नरेंद्र मोदी को शांति का नोबेल पुरस्कार का प्रबल दावेदार बताना शुरू कर दिया। वो भी नोबेल कमेटी के डिप्टी लीडर के हवाले से। अब इसकी भी सच्चाई सामने आ गई है कि पूरी खबर भ्रामक प्रचारित की गई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विपक्ष ने बीजेपी के खिलाफ अपनाया है आक्रमक रुख
इन दिनों संसद के दोनों सदनों में हंगामा चल रहा है। विपक्ष पीएम मोदी और अडानी के संबंधों को लेकर सवाल उठा रहा है। साथ ही अडानी मामले में जेपीसी जांच की मांग कर रहा है। वहीं, सत्ताधारी दल बीजेपी के सांसद भी सदन में हंगामा कर रहे हैं। वे राहुल गांधी पर विदेश में भारत का अपमान करने का आरोप लगा रहे हैं। राहुल गांधी ने लंदन में बोला था कि भारत में लोकतंत्र समाप्त हो गया है। विपक्ष को संसद में बोलने नहीं दिया जाता है। माइक बंद कर दिया जाता है। सदन नहीं चलने पर करीब 16 विपक्षी दल के सांसद हर दिन संसद परिसर में आंदोलन भी कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

लोकसभा में 18 मिनट तक बंद रही माइक की आवाज
राहुल के बयान बीजेपी ने भारत का अपमान करार दिया और आज भी सदन नहीं चलने दिया। वहीं, सदन में सत्ताधारी दल के नेताओं ने तो अपनी बात रख रहे हैं और राहुल से माफी मांग रहे हैं, लेकिन जब विपक्ष बोल रहा या मांग कर रहा तो उनकी आवाज माइक म्यूट कर दबाई जा रही है। आज शुक्रवार को भी करीब 18 मिनट तक लोकसभा के माइक म्यूट रहे। ऐसे में जो राहुल ने विदेश में बोला, उसमें गलत क्या था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अब फैलाया जा रहा है ये झूठ
पिछले दो दिनों से नोबेल कमेटी के डिप्टी लीडर एसले तोजे के हवाले से मीडिया चैनलों और फेसबुक, व्हाट्सएप ग्रुपों में झूठ फैलाया जा रहा है। दावा किया जा रहा था कि नोबेल कमेटी के डिप्टी लीडर ने प्रधानमंत्री को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किए जाने का प्रबल दावेदार बताया है। दावा किया गया कि तोजे ने कहा है कि पीएम मोदी ने विश्व भर में शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है। यह दावा किया गया कि तोजे ने रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान दोनों देशों के शासनाध्यक्षों को समझाने में अहम भूमिका अदा की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तोजे ने भारतीय मीडिया के इस दावे को किया खारिज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोबेल का शांति पुरस्कार दिए जाने की कथित तौर पर वकालत करने वाले नोबेल कमेटी के डिप्टी लीडर ने इस दावे को पूरी तरह से फर्जी करार दिया है। डिप्टी लीडर एसले तोजे ने बताया है कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार का दावेदार नहीं बताया है और उनके नाम से यह फेक न्यूज फैलाया जा रहा है।
तोजे ने कहा कि वह भारत में राजनीति और विकास पर चर्चा करने आए हैं। उनके नाम से फर्जी ट्वीट वायरल हुए जिसमें यह दावा किया गया कि उन्होंने पीएम मोदी को नोबेल के शांति पुरस्कार ने नवाजे जाने का प्रबल दावेदार बताया है। तोजे ने कहा कि वह इस फेक न्यूज़ को सिरे से खारिज करते हैं और इस पर अपनी ऊर्जा खर्च करने की कोई ज़रूरत नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस ने कसा तंज
तोजे के इस खंडन को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने ट्विटर हैंडल पर साझा करते हुए कहा कि वह खुद पीएम मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार का प्रबल दावेदार बताए जाने के दावे को सुनकर अचंभित थे। तोजे ने भी इस फर्जी दावे का खण्डन किया है। गोदी मीडिया ने इस फर्जी दावे को तो खूब प्रचारित किया लेकिन अब तोजे के खंडन को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

वहीं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी को नसीहत दे डाली है। दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री को अपने प्रचार तंत्र को झूठ फैलाने से रोकने के लिए कहा है। कांग्रेस नेता ने कहा है कि वैसे ही लोगों का विश्वास प्रधानमंत्री के प्रति घटने लगा है। यह झूठ फैलने की हद है।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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