कोरोना से जंग जीतने वाले न पालें गलतफहमी, मास्क न लगाया तो दूसरों को करेंगे संक्रमित, वैक्सीन आने पर भी मास्क जरूरी
कोरोना को लेकर तरह तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं। कई लोगों को अब ऐसा लग रहा है कि कोरोना का टीका लगाने के बाद सब ठीक हो जाएगा और उन्हें मास्क नहीं पहनना पड़ेगा। वहीं, कोरोना से जंग जीत चुके लोग भी मास्क के प्रति लापरवाह हो रहे हैं। ये उनकी बहुत बड़ी गलतफहमी है। कोरोना से जंग जीतने वालों के शरीर में जो एंटीबाडी बनती है, जरूरी नहीं कि वह दोबारा संक्रमण को झेल सके। यदि झेल भी लिया तो ऐसा नहीं है कि वह व्यक्ति अन्य लोगों को कोरोना नहीं फैला सकता है। ऐसे में जब भी दो या उससे अधिक व्यक्ति एक दूसरे के निकट आएं तो सिर्फ एकमात्र समाधान है कि मास्क लगाएं। यहां इसी तरह की जिज्ञासा के संबंध में एम्स ऋषिकेश की कोविड 19 कम्युनिटी टॉस्क फोर्स के नोडल अधिकारी एवं वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. संतोष कुमार विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
कोरोना से जंग जीतने पर तीन माह में पूरी तरह से बनती है एंटीबॉडी
डॉ. संतोष कुमार के मुताबिक किसी व्यक्ति को कोरोना होता है तो उसे अस्पताल में भर्ती करने के बाद जब डिस्चार्ज किया जाता है तो करीब 17 दिन तक वह आइसोलेशन में रहता है। व्यक्ति के शरीर में दो सप्ताह बाद एंटीबाड़ी बननी शुरू होती है। अच्छी एंटीबॉडी को न्यूट्रीलाइजन एंटीबाडी कहा जाता है। इसे विकसित होने में तीन माह का समय लग जाता है। ऐसे में कोरोना से स्वस्थ हुए लोगों को मास्क पहनने, शारीरिक दूरी, किसी व्यक्ति और वस्तु को छूने के बाद हाथों को साफ करना बेहद जरूरी है।
फोटोः डॉ. संतोष कुमार।
दोबारा भी हो सकता है इंफेक्शन
ऐसा नहीं है कि शरीर में एंडीबाडी बनने के बाद किसी व्यक्ति को कोरोना का इंफेक्शन दोबारा नहीं हो। व्यक्ति के शरीर में जो एंटीबाडी बनती है, वह तीन माह बाद कम भी होने लगती है। ये व्यक्ति के शरीर की क्षमता पर निर्भर करता है। ऐसे व्यक्ति यदि मास्क नहीं पहनेंगे और कोरोना के नियमों का पालन नहीं करेंगे तो उनको दोबारा से संक्रमित होने का खतरा बना रहेगा। ऐसे भी कुछ मामले देश में आ चुके हैं।
ठीक होने वाला दूसरों को फैला सकता है कोरोना
आजकल देखा जा रहा है कि जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं। वे ही मास्क लगाने में लापरवाही बरत रहे हैं। इस संबंध में लोकसाक्ष्य ने राजनीतिक, धार्मिक, व्यापारिक संगठनों के कई कार्यक्रमों के दौरान ऐसी लापरवाही को इंगित किया है। इस सवाल के जवाब में डॉ. संतोष कुमार का कहना है कि कोई व्यक्ति कोरोना से जंग जीत गया तो वह दूसरों को कोरोना तब फैला सकता है, जब वह मास्क नहीं पहनेगा। उन्होंने कहा कि यदि वह मास्क नहीं लगाता और कोरोना संक्रमित के संपर्क में आता है तो कोरोना के वायरस उसके शरीर में भी प्रवेश करेंगे। यदि उस व्यक्ति में एंटीबाडी अच्छी है तो हो सकता है कि उसे कुछ नहीं हो। इसके बावजूद यदि वह खांसता है, छींकता है या फिर किसी दूसरे व्यक्ति से निकट से बात करता है और दोनों के मास्क नहीं लगे हैं, तो दूसरा व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो सकता है। इसमें एक बात और है कि यदि पहले स्वस्थ हो चुके व्यक्ति की एंटीबाडी कमजोर हो गई तो वह भी दोबारा संक्रमित हो जाएगा।
वैक्सीन आने के बाद भी लगाना पड़ेगा मास्क
डॉ. संतोष कुमार के अनुसार यदि कोरोना की वैक्सीन आ गई तो भी टीका लगाने वाले को मास्क लगाना पड़ेगा। क्योंकि ऐसा नहीं है कि टीका लगाते ही वह संक्रमित नहीं हो सकता। टीका प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगा। एंडीबाडी बनने में समय लगेगा। ऐसे में यदि टीका लगाने वाला किसी संक्रमित के संपर्क में आता है तो उसे भी कोरोना का खतरा हो सकता है। टीके की दो डोज लगेंगी। पहली डोज के बाद दूसरी डोज का नंबर एक माह बाद आएगा। इस दौरान भी सतर्कता और सावधानी की जरूरत है। डोज लगने के बाद भी शरीर में प्रोटेक्शन के सिमटम्स धीरे धीरे विकसित होते हैं। ऐसे में मास्क तब भी जरूरी होगा।
संक्रमण के हो सकते हैं दूरगामी परिणाम
डॉ. संतोष कुमार के मुताबिक कोरोना संक्रमण के दूरगामी परिणाम भी देखे जा रहे हैं। तीन माह बाद भी लोगों को दूसरी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे कई केस देखे गए हैं। इसलिए कोरोना के तीन नियम शारीरिक दूरी, नाक व मुंह को मास्क से ढकना और किसी वस्तु व व्यक्ति को स्पर्श करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन या सैनिटाइजर से साफ करना जरूरी है।
मास्क को लेकर भ्रांतियां
डॉ. संतोष कुमार के मुताबिक सर्जिकल और मेडिकल मास्क सिर्फ सात से आठ घंटे तक की सुरक्षित हो सकते हैं। इसलिए कपड़े से बना मास्क पहनना सबसे बेहतर है। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि हम मास्क पहनकर घर से निकलते हैं और फिर जब वापस घर आते हैं तो सबसे पहला काम ये होना चाहिए कि मास्क को धो लें। ताकि उसे घर का कोई दूसरा सदस्य न छू सके। हो सकता है मास्क संक्रमित हो। उन्होंने कहा कि कपड़े का मास्क आसानी से धोया जा सकता है। ऐसा मास्क की सबसे ज्यादा सुरक्षित है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।