वाशिंग मशीन में धुलाई के लिए छोड़ रहे हैं कई नेता कांग्रेस, राजेंद्र भंडारी सबसे बड़ा उदाहरण, मतदाता भी करें मनन और चिंतन
इन दिनों उत्तराखंड में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने का सिलसिला चल रहा है। ऐसे लोगों में पूर्व विधायक और लोकल बाडी स्तर के नेता तो थे, लेकिन वर्तमान विधायक राजेंद्र भंडारी के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने की घटना से भले ही कांग्रेस असहज हो गई हो, लेकिन ये भी जगजाहिर है कि भंडारी भी वाशिंग मशीन में धुलाई के लिए ही बीजेपी में शामिल हुए। कारण ये है कि उनकी पत्नी रजनी भंडारी चमोली की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। उन्हें बीजेपी सरकार ने दो बार बर्खास्त किया। दोनों ही बार वह हाईकोर्ट से राहत लेने में कामयाब रही। सवाल ये भी है कि कितनी बार वह ऐसी राजनीति का मुकाबला कर सकती हैं। ऐसे में राजेंद्र भंडारी ने बीजेपी में जाकर वाशिंग मशीन में धुलाई का विकल्प चुनकर खुद की राजनीति और पत्नी की सुरक्षा का रास्ता अपनाया। अभी ऐसे कई लोग बीजेपी में जा सकते हैं, जो कांग्रेस से जुड़े रहे और उन पर कोई ना कोई जांच चल रही है। कारण ये है कि बीजेपी जिन विपक्षी नेताओं पर पर आरोप लगाती रहती है, यदि वे भाजपा में चले जाते हैं तो उनके सारे पाप धुल जाते हैं। साथ ही जांच भी बंद हो जाती है। यानि बीजेपी की वाशिंग मशीन से उन पर सारे आरोप समाप्त हो जाते हैं। मतदाताओं को भी मनन और चिंतन करना चाहिए कि क्या ऐसी राजनीति लोकतंत्र के लिए सही है। कहीं आपका वोट खराब हो नहीं हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विधानसभा अध्यक्ष ने मंजूर किया इस्तीफा
बद्रीनाथ से विधायक रहे राजेन्द्र भंडारी ने रविवार को कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था। राजेंद्र भंडारी का इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष ने भी मंजूर कर लिया और अब 17 मार्च से बद्रीनाथ विधानसभा सीट रिक्त हो गई। वहीं, उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष संगठन एवं प्रशासन मथुरा दत्त जोषी ने बताया कि बद्रीनाथ के कांग्रेस विधायक राजेन्द्र भण्डारी द्वारा दल-बदल कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण किये जाने का संज्ञान लेते हुए प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने दल-बदल कानून के अन्तर्गत विधायक राजेन्द्र भण्डारी की विधानसभा सदस्यता रद्द किये जाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र प्रेषित किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
छात्र जीवन से ही राजनीति में हैं भंडारी
चमोली जनपद के पोखरी विकास खंड के नैली ऐंथा गांव निवासी राजेंद्र भंडारी ने छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत की थी। वर्ष 2002 से 2007 तक वे चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष रहे। 2007 में नंदप्रयाग विधानसभा से वे निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में जीते और भाजपा की खंडूड़ी सरकार में 2012 तक खेल मंत्री रहे थे। वर्ष 2012 में उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा और बदरीनाथ विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए। तब वे हरीश रावत सरकार में अंतिम छणों में तीन माह तक कृषि मंत्री रहे। वर्ष 2017 में वे महेंद्र भट्ट से चुनाव हार गए थे और 2022 में फिर विधायक बने। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पत्नी को दो बार किया गया बर्खास्त
राजेंद्र भंडारी की पत्नी रजनी भंडारी रुद्रप्रयाग की जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। 10 जनवरी 2024 को उन्हें विभिन्न आरोपों में सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। इस पर उन्होंने हाई कोर्ट नैनीताल की शरण ली और सरकार के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। इससे पहले पूर्व में भी 25 जनवरी 2023 को उन्हें बर्खास्त किया गया था। तब भी उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिली थी। उन पर अपने पद और अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप है। उन पर वर्ष 2012-13 में नंदा राजजात के निर्माण कार्यो में टेंडर में गड़बड़ी का आरोप है। आरोप है कि कुछ कार्यों में एकमात्र निविदाओं को मंजूर किया गया। अब देखना ये है कि पति के बीजेपी में जाने पर रजनी भंडारी को कितनी राहत मिलेगी। वहीं, यदि देखा जाए तो बीजेपी में शामिल होने वाले कई नेता ठेकेदारी पृष्ठभूमि के भी हैं। जब ठेके मिलने ही बंद हो जाएंगे तो उनका काम धंधा भी चौपट हो जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्या ईडी के रडार वाले भी ज्वाइन करेंगे बीजेपी
हालांकि, कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वालों में कितनों पर क्या जांच चल रही है, इसका हमें ज्यादा पता नहीं है, लेकिन कांग्रेस छोड़ने वाले कुछ नाम ऐसे हैं, जिन पर कोई ना कोई जांच चल रही है। इनमें उत्तराखंड कांग्रेस की प्रदेश महासचिव व रुद्रप्रयाग की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा ने भी हाल ही में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच की कार्रवाई में कांग्रेस ने उनका साथ नहीं दिया। लक्ष्मी पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की करीबी मानी जाती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वहीं, डॉ. हरक सिंह रावत की पुत्रवधु अनुकृति गुसाई ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दिया। पिछला विधानसभा चुनाव वह कांग्रेस के टिकट पर लड़ी थी। हरक सिंह रावत भी ईडी और सीबीआई के रडार में हैं। ऐसे में वह भी यदि कांग्रेस छोड़ते हैं तो कोई आश्यर्च की बात नहीं होगी। चर्चा ये है कि ये तीनों ही (हरक, लक्ष्मी, अनुकृति) बीजेपी में जाने का प्रयास कर रहे हैं। इससे पहले हरक सिंह रावत पांच बार राजनीतिक दल छोड़ चुके हैं। वह पूर्व में दो बार बीजेपी में रह चुके हैं। बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में जाने से हरक की मुसीबत बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में उनके लिए भी बीजेपी की धुलाई मशीन ही सबसे बेहतर विकल्प होगी। यदि बीजेपी का आलाकमान उन्हें स्वीकारता है तब। कारण ये है कि हरक सिंह रावत को बीजेपी से बर्खास्त किया गया था।
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