डिबेट के बहाने उत्तराखंड में खलबली मचा गए मनीष, आपरेशन डैमेज में जुटे सरकार और विपक्ष, मीडिया में बने सुर्खियांः भूपत बिष्ट
आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक से डिबेट करने के बहाने देहरादून आए और उनका इंतजार कर वापस लौट गए। जैसा कि पहले से जग जाहिर था कि डिबेट होगी नहीं और हुई भी नहीं। हां इतना जरूर है कि वे डिबेट के बहाने उत्तराखंड की राजनीति में खलबली मचा गए। अभी ये जो चिंगारी सुलगी है, वो समाप्त नहीं होगी। अभी तो इसे छह जनवरी को भी आप के दूसरे हमले के रूप में देखा जा सकेगा। क्योंकि सिसोदिया ने मदन कौशिक से कहा था कि मैं देहरादून आउंगा वहां आप अपने पांच काम गिना देना। इसके बाद आप छह जनवरी को दिल्ली में आना वहां मैं दिल्ली के काम गिनवाऊंगा। इस डिबेट का नाम त्रिवेंद्र बनाम केजरीवाल मॉडल दिया गया। मसलन अभी मामला दबा नहीं है। छह जनवरी को फिर से त्रिवेंद्र बनाम केजरीवाल मॉडल को आाप पार्टी उठाएगी।
यहां से हुई थी शुरूआत
हुआ यूं कि दिसंबर माह में मनीष सिसोदिया उत्तराखंड के दौरे पर आए थे। उन्होंने तब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र को चैलेंज किया था कि आप अपने काम गिना दीजिए। साथ ही मैं गिनवा दूंगा। त्रिवेंद्र बनाम केजरीवाल मॉडल पर खुली बहस की जाए। मुख्यमंत्री की ओर से तो कोई जवाब नहीं आया, लेकिन पत्रकारों के सवाल पर शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि सिसोदिया जहां कहें वे बहस को तैयार हैं। चाहे दिल्ली बुला लें, या फिर वे उत्तराखंड आ जाएं। कौशिक ने कहा कि पांच क्या वे सौ काम गिनवा देंगे।
फिर पलटे कौशिक
बहस के लिए सिसोदिया ने तारीख फिक्स कर दी। इस संबंध में कौशिक को पत्र दे दिया कि देहरादून में वह बहस के लिए चार जनवरी को सर्वे चौक स्थित आइआरडीटी सभागार में आमंत्रित हैं। फिर उन्होंने छह जनवरी को कौशिक को दिल्ली बुलाया। ताकी उन्हें दिल्ली माडल को दिखा सकें।
एक घंटे किया इंतजार नहीं आए कौशिक
इसके बाद चार जनवरी को मनीष सिसोदिया सभागार पहुंचे। वे पूरी तैयारी के साथ आए। दिल्ली मॉडल के उन्होंने वीडियो भी चलाए। जब कौशिक नहीं आए तो उत्तराखंड सरकार पर कई आरोप लगाने के बाद वह वापस चले गए। जाते जाते मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विधानसभा डोईवाला क्षेत्र के एक स्कूल की वीडियो बना गए। वीडियो बनाने के दौरान भी बताया गया कि प्रधान की बजाय प्रधान पति ने सिसोदिया के समक्ष मोर्चा संभाला। यानी प्रधान की बजाय प्रधानपति सिसोदिया से सवाल जवाब करते नजर आए।
मीडिया में भी बने सुर्खियां
मनीष सिसिदिया मीडिया में भी सुर्खियां बने। जैसी उनकी रणनीति थी, उसके अनुरूप वो कामयाब भी हुए। मीडिया ने दो तरह की रिपोर्ट की। एक सिसोदिया के खिलाफ, दूसरी कार्यक्रम की सीधी रिपोर्टिंग। मीडिया में धडल्ले से समीक्षा का दौर शुरू हो गया। सिसोदिया की जमकर खिंचाई हुई। उत्तराखंड और दिल्ली के बीच अंतर को समझाया गया।
मीडिया रिपोर्टिंग की हैडिंग कुछ इस प्रकार हैं-
-दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिया कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक को दिल्ली आने का न्योता, दिल्ली के पांच माडल गिनाने में नाकाम हुए सिसोदिया
-दिल्ली वाले सिसौदिया जी! ये उत्तराखंड की जनता है, आप के झांसे में नहीं आने वाली
-मनीष सिसोदिया से डिबेट को नहीं पहुंचे मदन कौशिक, बोले-काम करते तो आते, सीएम की विधानसभा के स्कूल का किया दौरा
-भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान बोले, “आप” के नेता इस लायक नहीं है कि उनकी किसी बात का जवाब दिया जा सके, भाजपा को चैलेंज करने का सपना न देखें…
-UTTARAKHAND : ‘AAP’ के जाल में फंसी ‘BJP’, मदन कौशिक की कुर्सी खाली…
-मनीष बोले-चुनौती स्वीकार करने लायक नहीं राज्य सरकार
-चले थे मदन कौशिक से टकराने एक अदने से प्रधान के पति ने ही निकाल दी सिसौदिया की हवा !
आपरेशन डैमेज में जुटे सरकार और विपक्ष
मनीष सिसोदिया के देहरादून आने और यहां से वापस जाने के तुंरत बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने हरीश रावत के बहाने उत्तराखंड में रोजगार के आंकड़े जारी कर दिए। वहीं, सरकारी मीडिया सूचना विभाग ने भी- (सुशासन में सहायक हो रही सीएम क्यूआरटी, जन समस्याओं का हो रहा त्वरित निस्तारण) के बहाने त्रिवेंद्र सरकार की उपलब्धियों का बखान किया। यही नहीं विपक्ष में भी खलबली का ये आलम रहा कि नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश पहले ही बोल चुकी थी कि भाजपा को ऐसी किसी डिबेट में भाग न लेना नहीं चाहिए। वहीं, यूकेडी नेता भी इस मामले को लेकर फेसबुक में बयानबाजी कर रहे हैं। कुल मिलाकर मनीष सिसोदिया का ये दौरा उत्तराखंड की राजनीति में खलबली मचाने वाला रहा।
अगला एपिसोड होगा दिल्ली में
मदन कौशिक को नहीं आना था सो नहीं आये, लेकिन उन्हें अहसास हो गया है कि आप पार्टी के साथ बहस में पड़ना मित्र विपक्ष कांग्रेस की तुलना में कई गुना फजीहत करा सकता है। माडल मुकाबले का अगला एपिसोड अब 6 जनवरी को दिल्ली में आयोजित होना है। मदन कौशिक, भाजपा सरकार के प्रवक्ता, दिल्ली में दिल्ली सरकार को अपने सौ काम गिनाने का दावा भी कर चुके हैं।
दुखती रग के तार बार बार छेड़े
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा सरकार की दुखती रग के तार बार बार छेड़ दिए। जीरो टालरेंस या जीरो वर्क, बीजेपी एमएलए पूरन फर्त्याल किस के भ्रष्टाचार उठा रहे हैं, हरक सिंह रावत के कामकाज की जांच, टूरिस्ट स्पाट सूर्यधार झील के आसपास भूमि क्रय, दिल्ली स्कूलों में तो पिछले पांच साल से फीस वृद्धि नहीं हुई, उत्तराखंड में प्राइवेट स्कूल बेलगाम क्यूं, दिल्ली की 70 फीसदी आबादी को बिजली – पानी बिलों में छूट, दिल्ली सरकारी स्कूलों के बच्चे आईआईटी और मेडिकल में बिना महंगी कोचिंग लिए कामयाब हो रहे हैं, उत्तराखंड में स्कूलों की हालत इतनी पतली क्यूं है ?
मनीष सिसोदिया यहीं नहीं रूके और उत्तराखंड सरकार को केजरीवाल माडल के बेहतर स्कूल और हास्पीटल दिखाने के साथ वो महिलाओं के लिए फ्री बस सेवा भी मदन कौशिक को दिखाना चाहते हैं। उन्होंने पूछा कि ऐसा कौना सा नेता है जो दूध के व्यवसाय से करोड़ों की सम्पत्ति एकत्रित करने में कामयाब रहा है। तुम मेरा स्टिंग मत उछालो और मैं तुम्हारा स्टिंग नहीं बोलता हूं – यह मित्रता कहां चल रही है।
उत्तराखंड में भाजपा- कांग्रेस की मिली जुली सरकार का आरोप लगाकर मनीष सिसोदिया ने कांग्रेस को भी अपने निशाने पर रखा। आम जनता का मानना है कि सीएम भले ही बीजेपी का हो, लेकिन मंत्री तो कांग्रेस से आये नेता ही बनाये गये हैं।
मनीष सिसोदिया ने जनता को आगाह किया कि आगामी चुनाव में कांग्रेस को बिलकुल वोट ना दें क्योंकि यह वोट भाजपा में चला जायेगा। कांग्रेस के टिकट पर जीतकर एमपी और एमएलए लगातार बीजेपी ज्वाइन करते जा रहे हैं ।अरूणाचल, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, गोवा आदि में दलबदल का गंदा खेल कांग्रेस भाजपा की मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
पत्रकारों के सवालों पर कि वो बार बार दिल्ली से उत्तराखंड क्यूं आ रहे हैं – सिसोदिया ने सधा हुआ जवाब दिया ताकि चुनाव के वक्त हमें पैराशूट न बताया जाया। हमारी लड़ाई अगले चुनाव में सीधे भाजपा से है, हम जीत कर दिखायेंगे क्योंकि दिल्ली में रह रहे लाखों उत्तराखंडी प्रवासी आप पार्टी के केजरीवाल शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी माडल को अपने गांव और कस्बे में साकार देखना चाहते हैं।
उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थिति से सभी नेता परिचित हैं, लेकिन इन दलों में काम करने की नियत नहीं है और आप पार्टी अब इस राजनीति को बदलने के लिए उतरी है। चुनाव में सिसोदिया या केजरीवाल नहीं, बल्कि उत्तराखंड के ही योग्य प्रत्याशी मैदान में उतारे जायेंगे।
मदन कौशिक के बहस में न पहुंचने पर भाजपा के वरिष्ठ नेता खजाना दास ने कहा कि 18 करोड़ सदस्य वाली दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के मंत्री को नहीं, गांव के बूथ का कार्यकर्ता मनीष सिसोदिया से बात करेगा। इसलिए माननीय मंत्री जी नहीं गए।
उधर कुमायूं के दो बड़े नेताओं में आपसी चुहल जारी है – अगले चुनाव में श्रीमती इंदिरा हृदयेश मैदान में स्वास्थ्य कारणों से ना उतरें, लेकिन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने पिछले चार सालों में सात लाख रोजगार देने का दावा किया है और उन के मुकाबिल हरीश रावत ने माल्टे खाने की प्रतियोगिता और मौन व्रत से तीर चलाये हैं।
ये भी हैं सवाल
अब सवाल उठ रहे हैं कि राजनीतिक दलों को आप से डर क्यों है। यदि किसी दल से काम किया है तो जनता को पता होगा। उसे इसका लाभ भी मिलेगा। फिर सिसोदिया तो अपनी पार्टी की राजनीति चमका रहे हैं। उनके दौरे या फिर चुनौती का जवाब देने की बजाय राजनीतिक दलों के लोग क्यों बचते फिर रहे हैं। आने वाले चुनाव में आप को इसका कोई फायदा मिले या ना मिले, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि आप के निरंतर हमलों और कार्यक्रमों से उत्तराखंड में भाजपा, कांग्रेस सहित अन्य दलों में खलबली मची है।
लेखक का परिचय
भूपत सिंह बिष्ट,
स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
nice job
मनीष सिसौदिया के दौरे पर बेहतरीन समीक्षा।