अपने घर पर बनाएं हर्बल गार्डेन, कई बीमारियों की रोकथाम में कारगर, जानिए उपयोगी पादपों के बारे में

सम्पूर्ण विश्व में हाहाकार मचा चुके कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर चल रही है। इसकी तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। इसके संक्रमण को टक्कर देने के लिए हर्बल को हथियार बनाया जा सकता है। ताकि आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े और आप रोगों से मुकाबला करने में सक्षम हो जाएं। यहां वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. महेंद्र पाल सिंह परमार औषधीय पादपों की जानकारी दे रहे हैं।
परंपरागत औषधीय पौधों के मिले सार्थक परिणाम
देश में कोरोना संक्रमण की शुरूआत मार्च 2020 में हुई। इस पर हम वनस्पति प्रेमियों ने कई अभिनव किए। इसके परिणाम भी अच्छे मिले। इसे कई अस्पतालों ने अपनाया। इसके तहत हर्बल गार्डन (औषधी वाटिका) पर जोर दिया गया। इन औषधियों का उपयोग कोरोना संक्रमितों के सीधे संपर्क में आने वाले कोरोना योद्धा यानी स्वास्थ्यकर्मियों ने भी अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया। इन लोगों ने इन हर्बल उत्पादों का काढ़ा पिया। उन पर संकर्मण या तो नगण्य रहा या फिर न्यून रहा।
घर में कीचन गार्डन में हर्बल पादकों को लगाना जरूरी
आज के दौर में अब सभी को एहसास हो गया है कि किस प्रकार पादप या वनस्पतियाँ हमारे लिए उपयोगी सिद्ध हो रही है। मैं सभी का ध्यान इस और आकर्षित करना चाहता हूँ कि किचन गार्डन, पुष्प वाटिका की तरह हमें अब औषधी वाटिका (हर्बल गार्डेन ) भी बनाना चाहिए। इसके चलते हम पैदा होने वाली औषधी से कई प्रकार के रोगों की रोकथाम कर सकते हैं। साथ ही अंग्रेजी दवाओं (एलोपेथ ) से बच जायेंगे। हम अनावश्यक आर्थिक बोझ के साथ साथ साइड इफेक्ट जैसे दूरगामी और दुस्परिणाम से भी बच सकते हैं।
ऐसे हर्बल गार्डेन (औषधी वाटेका )
सर्वप्रथम आप अपने घर उस जगह का चयन करें जहाँ पर आप आसानी से इस काम को कर सकते हैं। इसके लिए आप बैकयार्ड, छत, टेरिस का चयन कर सकते हैं। घर के अनुपयोगी वर्तन जैसे तेल के कंटेनर, जेरिकिन या बजार से प्लास्टिक के गमले भी उपयोग में ला सकते हैं। इनमे मिट्टी, गोबर व खाद भरकर क्षेत्र व वातावरण के अनुसार पौधे लगा सकते हैं, जो कि आपके लिए उपयोगी हो सकते हैं।
गिलोय का रोपण और औषधीय गुण
गिलोय एक औषधीय पौधा है और इसका सेवन कई बीमारियों में रामबाण इलाज के तौर पर किया जाता है। गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होने के साथ ही आयरन, फॉस्फोरस, कॉपर, कैल्शियम, जिंक, मैगनीज जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। कोरोना संक्रमण काल में गिलोय और उसकी खूबी को उन लोगों ने भी सुना होगा, जो अभी तक इससे अनजान थे। वास्तव में गिलोय बेहद गुणकारी है। शरीर निरोगी रखने में यह काफी कारगर है। गिलोय के पत्ते का स्वाद कसैला होता है।
इसके उपयोग से वात-पित्त और कफ को ठीक किया जाता है। जो सभी बीमारियों के लिए रामबाण है। इसके उत्पादन के लिए तो 12 इंच के गमले में भुरभुरी मिट्टी का उपयोग करें। साथ ही आप बगीचे की मिट्टी में 20 प्रतिशत बालू और हल्की मात्रा में जैविक खाद, जैसे कि गोबर या वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करें। मिट्टी में सिर्फ हल्की नमी बनाए रखें, और ज्यादा पानी न दें।
इस तरह, आप गिलोय की 6 से 7 इंच की टहनी को आसानी से लगा सकते हैं। ये एक बेल वाला पोधा है। इसे ऐसी जगह पर लागए जहां से आसानी से उपर किसी तार या रस्सी के सहारे जा सके। यदि गिलोय की टहनी बीच से टूट जाती है, तो टूटी हुई टहनी जड़ें बना लेती है, जिससे कि नया पौधा तैयार हो जाता है। गिलोय को बारिश के मौसम में तैयार होने में 15-20 दिन और गर्मी के मौसम में बढ़ने में 20-25 दिन लगते हैं।
तुलसी की पौध व महत्व
धार्मिक महत्ता के साथ ही तुलसी का मेडिकल साइंस में भी काफी महत्व है। यह सर्दी में एक औषधि है। कैंसर के इलाज में, अनियमित पीरियड की समस्या और यौन रोगों का इलाज करने में भी तुलसी कारगर है। आजकल कोरोना संक्रमण के रोकथाम में भी सहायक है। इसके अलावा इसमें मौजूद औषधीय तत्व रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाते है। ये पोधा आसानी से उगाया जा सकता। इसके लिए मिट्टी व उसके साथ पुराना सड़ा गोबर (ह्यूमस) मिला कर किसी 12 इंच से बड़े गमले या घर पर अन उपयोगी बाल्टी, कंटेनर पर भी उगाया जा सकता है।
तुलसी के पोधे के लिए धूप जरूरी है। अत: इसे धूप वाली जगह पर रखें। इसके लिए पानी का भी ध्यान रखना होगा। पौधे में पहली बार में ठीक से पानी डाल लीजिए, लेकिन इसके बाद आप उसे मिट्टी गीली रहने तक छोड़ दीजिए। सर्दियों में तो आप 4-5 दिन में एक बार भी पानी डाल सकते हैं। इसके अलावा, बरसात में बिल्कुल न डालें। नहीं तो तुलसी का पौधा बहुत जल्दी सड़ने लगता है।
एलोवेरा से पूरी होती है विटामिन की जरूरत
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए विटामिन-सी की जरूरत कई बार सुनी होगी। हर्बल गार्डन में एलोवेरा के पौधे लगे है। इनमें विटामिन सी के अलावा विटामिन ई और ए भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसमें मौजूद फैटी एसिड में एंटी इंफ्लेमेटरी होता है। इसको लगाने लगाना बहुत आसान है व इसे पानी की भी बहुत आवश्यकता नही होती है। एक बार लगाने से ये फैलता रहता है। इससे नयी पौध भी निकलती रहती है। जिसे हम समय समय पर अन्य गमलों में लगा सकते हैं। इसे लगाने की विधि उपरोक्त ही है। पानी ज्यादा नही देना है व इसे धूप वाली जगह पर रखना है।
आंवला कई रोगों का निदान
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आंवला बेहद उपयोगी है। इसमें कई गुण है। जैसे यह एंटी ऑक्सीडेंट है। आंवले का जूस पेप्टिक अल्सर में कारगर है। यह विटामिन का उत्तम श्रोत है। ये कोरोना संक्रमण की रोकथाम के साथ साथ वजन कम करने, खून में मौजूद गंदगी साफ करने, दस्त में आराम, हाई ब्लड प्रेशर में भी आंवला फायदेमंद है। ये पौधा जंगल में ही या खेतों में ही उगाया जा सकता है। आजकल इसकी भी बोनसाई प्रजाति घरों पर लगाई जा सकती है। इसके लिए हमें दो से तीन फिट गहरा व 15 इंच तक चौड़ा गमला उपयोग में ला सकते है। तब इसे आसानी से उगाया जा सकता है।
अश्वगंधा (Withania somnifera)
इस पोधे को भी आसानी से उगाया जा सकता है। इसे जमीन पर या गमलों पर भी उगाया जा सकता है। इसकी जड़े बहुपयोगी है। यह शरीर में रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज का निर्माण करता है। जो कैंसर सेल्स को खत्म करने और कीमोथेरपी से होने वाले साइड इफेक्ट्स से भी बचाने का काम करता है। अश्वगंधा में मौजूद ऑक्सीडेंट आपके इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करता है। जो आपको सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियों से लडने की शक्ति प्रदान करता है।
सर्पगंधा की जड़ें उच्च रक्तचाप में फायदेमंद
सर्पगंधा की जड़ों का उपयोग उच्च रक्तचाप, पागलपन, पेट की समस्या, बुखार आने पर एवं अनिद्रा में उपयोग किया जाता है। इसे बीजों से बोकर भी उगाया जाता है। इसके लिए बीज को पूर्व में गुनगुने पानी में भिगाकर 12 घंटों के लिए छोड़ दें। उसके बाद अगली सुबह बीजों को किसी कंटेनर में बो दें। पोध आने पर इन पोधों को अलग अलग गमलों में ट्रांसप्लांट करना होगा। ये भी असानी से उगते हैं ।
लहसुन एक-गुण अनेक
लहसुन सर्दी-जुकाम और अस्थमा आदि के लिए रामबाण है। लहसुन का सेवन आपके बैड कोलेस्ट्रोल को कम करता है और आपको ह्रदय को कार्डियोवस्कुलर बीमारियों से बचाता है। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं। इसमें मौजूद एलिसिन से फैट बर्निंग प्रॉसेस तेज होती है। इससे वजन कंट्रोल रखने में मदद मिलती है। लहसुन में मौजूद फाइबर्स कब्ज और पेट दर्द की प्रॉब्लम दूर करते हैं। यूटीआई से परेशान महिलाओं को भी रोज सुबह एक गिलास पानी के साथ लहसुन खाना चाहिए। लहसुन वैसे तो बजार में उपलब्ध होती है, परन्तु कई बार ताजी लहसुन का उपयोग दवा के रूप में किया जाता है। इसलिये इसकी फलियों को गमलों में बोया जा सकता है। इसकी फली के साथ पत्ती भी बहुपयोगी होती है।
हल्दी में एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण
हल्दी में एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण होते हैं। इसलिए सर्दी-ज़ुकाम और कफ की समस्या होने पर हल्दी मिले दूध का सेवन लाभकारी साबित होता है। सर्दी के मौसम में इसका सेवन करना लाभकारी होता है। साथ ही इससे हड्डियां मजबूत होती हैं। हल्दी के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। यानी इम्युनिटी बढ़ती है। हल्दी को भी किसी गमले में उगाया जा सकता है। इसके लिए हल्दी के प्रकन्द को गमले में रख दें। इसे नम जगह पर रखें व कुछ इसके उपर मल्च करके रख दें। यह काफी लम्बी फसल होती है, पर जब जरूरत पड़े तो सावधानी से निकाल उपयोग में लाया जा सकता है ।
अदरक से सर्दी खांसी का बेहतर इलाज
सर्दी-खांसी के लिए अदरक को रामबाण माना गया है। इसका पानी पीने से सर्दी-खांसी से तुरंत राहत मिलती है। नियमित सेवन से सर्दी-खांसी पास भी नहीं फटकती। नियमित रूप से सुबह खाली पेट अदरक का पानी पीने से पेट हमेशा साफ रहता है। इससे पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है। इसके अलावा इस पानी को पीने से हमारे शरीर में पाचन के लिए जरूरी कई तरह के तरल रसायन की मात्रा बढ़ती है, जिससे कब्ज आदि की समस्या दूर हो जाती है। डायबिटीज के रोगियों के लिए भी अदरक के पानी का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। नियमित रूप से अदरक का पानी पीने से शरीर में शुगर का लेवल हमेशा संतुलित रहता है। अदरक में भरपूर मात्रा में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो फेफड़ा, प्रोस्टेट ग्रंथि, कोलोन, ओवेरियन, ब्रेस्ट, स्किन और पेन्क्रिएटिक कैंसर के खतरे को कम करने का काम करते हैं। ये पोधा भी हल्दी की तरह ही गमले में उगाया जा सकता है। इसे भी हल्दी की तरह ही उगाया जा सकता है।
स्टीविया Stevia rebaudiana
इसे मीठी तुलसी भी कहते हैं,यह नेचुरल शुगर फ्री है, जिसमें मिठास शक्कर से ज्यादा है। डायबीटिज के मरीजों के लिए मीठा तैयार करते समय शक्कर या शुगर फ्री की जगह इसकी पत्ती का चूर्ण डाला जा सकता है। इसकी पत्ती चबाने के बाद 6 घंटे तक जीभ पर मीठे का असर नहीं होता। ये पोधा आसानी से उगाया जा सकता है। एक बार उगने के बाद ये बार बार उगता रहता है। इसके बीज अपने आप झड़ते रहते हैं और उगते रहते हैं। इसकी लिए भी तुलसी के पोधे के जैसे गमले की आवश्यकत्ता होती है।
लेमन ग्रास
लेमनग्रास एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लामेंटरी और एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर होती है, जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से आपको बचाए रखने में मददगार होती है। वहीं दिमाग तेज करने के लिए भी यह बेहतरीन है। शरीर के विभिन्न हिस्सों में होने वाले दर्द को समाप्त करने के लिए लेमनग्रास की चाय पीना काफी लाभकारी हो सकता है। खास तौर से सिरदर्द और जोड़ों के दर्द में यह बेहद फायदेमंद है।
हींग
हींग महज मसाला नहीं, बल्कि औषधि है। अपच होने की स्थिति में यह कारगर है ही, इसके अलावा दर्द निवारक भी है। महावारी का दर्द भी इसके सीमित सेवन से काफी हद तक कम होता है। इसके अलावा पुरुषों में ताकत बढ़ाने में भी यह कारगर है।
हर्बल गार्डन में ये पौधे भी
अश्वगंधा, धतूरा, कढी पत्ता, नींबू, तेजपत्ता, नींव, घ्रतकुमारी आदि पौधे भी हर्बल गार्डन में लगाए गए हैं।
लेखक का परिचय
नाम -डॉ. महेंद्र पाल सिंह परमार ( महेन)
शिक्षा- एमएससी, डीफिल (वनस्पति विज्ञान)
संप्रति-सहायक प्राध्यापक ( राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी)
पता- ग्राम गेंवला (बरसाली), पोस्ट-रतुरी सेरा, जिला –उत्तरकाशी-249193 (उत्तराखंड)
मेल –mahen2004@rediffmail.com
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।