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September 30, 2025

महापंडित राहुल सांकृत्यायन की बेटी ने पांच साल बाद फिर लिखा बिहार के सीएम नीतीश कुमार को विरोध पत्र

महापंडित राहुल सांकृत्यायन की बेटी जया सांकृत्यायन पड़हॉक ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फिर से पांच साल बाद विरोध पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने महापंडित राहुल सांकृत्यायन संग्रह का प्रबंधन पुनर्गठित करने और उसे बिहार म्यूजियम को देने का विरोध किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जया सांकृत्यायन ने अपने पत्र में कहा है कि हाल में उन्हें पता लगा कि बिहार सरकार पटना म्यूजियम के प्रबंधन का अधिकार बिहार म्यूजियम को देना चाहती है। महापंडित राहुल सांकृत्यायन की पुत्री होने के नाते वह इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध करती है। उन्होंने कहा कि उन्होंने इसी तरह का प्रस्ताव आने पर 12 सितंबर 2017 को भी विरोध में एक पत्र लिखा था। राहुल संग्रह को लेकर किसी भी फैसले से पहले उनके परिवार से परामर्श लिया जाना चाहिए। क्योंकि राहुल सांकृत्यायन ने यह अमूल्य संग्रह पटना म्यूजियम को दान किया था। इसके बाद बिहार सरकार ने फैसला लिया था कि राहुल संग्रह पटना म्यूजियम में ही बना रहेगा, लेकिन अब फिर से यह प्रस्ताव लाया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

आपको पता होगा कि राहुल सांकृत्यायन दुनिया में जाना-पहचाना नाम हैं। मृत्यु के बाद भी एक आजादी के सिपाही, भाषाविद, बौद्ष संस्कृत पाली पाकृत और सामाजिक विचारक के रूप में जाना ही नहीं जाता, बल्कि उनकी प्रसिद्धि और बढ़ गई है। भारत ही नहीं बल्कि यूरोप, जापान अमेरिका के अनेक विश्ववद्यालय राहुल के बौदध अध्ययन, इतिहास, पुरातत्व, साहित्य, सामाजिक राजनीतिक, यात्रा साहित्य आदि योगदान आदि पर बरसों से अध्ययन कर रहे हैं। 1920 में वह बिहार पहुंचे थे और उन्होंने वहां आजादी की लड़ाई के साथ-साथ किसानों और वंचितों के लिए संघर्ष किया। इस दौरान वह बक्सर, छपरा और हजारीबाग की जेलों में रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उनकी अध्ययनशीलता व अनुसंधान ने उन्हें महापंडित का नाम दिया। 1929 से 1930 तक जब वह तिब्बत की यात्रा कर लौटे तो काशी पंडित सभा ने 1933 में संस्कृत अध्ययन में उनके योगदान व नालंदा , विक्रमशिला व उदंतपुरी के विश्वविद्यालयों के नष्ट हो जाने के बाद खोई हुई प्राचीन पांडुलिपियों की खोज के लिए सम्मानित किया। पटना म्यूजियम में रखी तिब्बत से लाई हुई थांगका पेंटिंग अमूल्य हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

राहुल सांकृत्यायन ने तिब्बत की तीन और यात्राओं की और वहां से बहुत सी पांडुलिपियों , सिक्कों, कपड़ों व चित्रों व अन्य सामग्री की मूल व छायाप्रतियां लाएं। 1956 तक राहुल संग्रह में और भी चीजें जुड़ीं। करीब 6400 किताबें और फोटो बिहार रिसर्च सोसाइटी में संग्रहित हैं। इस संबंध में जया सांकृत्यायन का कहना है कि अगर ये चीजें लाने ले जाने में खराब हो गई तो इसका कौन जिम्मेदार होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

जया सांकृत्यायन ने कहा है कि यह प्रस्ताव उनके पिता की स्मृति, बौद्धिक विरासत देश की के लिए उनकी दृष्टि का अपमान है। बिहार सरकार राहुल संग्रह की देखरेख के योग्य नहीं है तो उनके परिवार और देश के गंभीर अनुसंधानकर्ताओं की कमेटी बनाकर इस संग्रह के भविष्य का निर्णय करने का अधिकार देना चाहिए। इसे किसी भी हालत में सरकार के नियंत्रण से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। बिहार के लिए बड़े योगदान के बावजूद राहुल सांकृत्यायन को समुचित सम्मान नहीं किया गया।
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Bhanu Prakash

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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