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November 11, 2024

कार्पोरेटपरस्त मोदी सरकार को बदलने के संकल्प के साथ मजदूर और किसानों के महापड़ाव का समापन

केंद्र की मोदी सरकार को कार्पोरेटपरस्त सरकार बताते हुए इसे बदलने के संकल्प के साथ देहरादून में मजदूरों और किसानों के तीन दिवसीय महापड़ाव का आज मंगलवार 28 नवंबर को समापन हो गया। केंद्रीय ट्रेड यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर इस तरह के महापड़ाव के आयोजन हर राज्यों की राजधानी में आयोजित किए गए। इसके तहत उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क में इसका आयोजन किया गया। इसमें प्रदेश भर से श्रमिक और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अंतिम दिन जिला प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल और राष्ट्रपति को ज्ञापन भी प्रेषित किए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

महापड़ाव के तीसरे दिन विभिन्न मांगों सहित सिलक्यारा टनल फंसे मजदूरों को सकुशल बाहर निकालने, स्किम वर्कर्स में आशा वर्कर्स, आंगनवाड़ी, भोजन माताओं की समस्याओं पर चर्चा की गई। परिवहन निगम में लेखा परीक्षा की रिपोर्ट में आर्थिक भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच, नगर निगम में कार्यरत कम्पनियों के श्रमिको की बहाली की मांग की गई। साथ ही जनगीत भी गाए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने करोनाकाल मे आपदा को अवसर में बदलते हुए मजदूरों के हित वाले 44 श्रम कानूनों में से 29 प्रभाशाली कानूनों के स्थान पर चार श्रम संहितायें बना दी। जो कि कारपोरेट के पक्ष में बनाई गई। इससे मजदूरों को गुलाम बनाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। कारखानों सहित सरकारी संस्थानों में मजदूरों को निकालना तो आम बात हो गयी है। मजदूरों के बीच भय का माहौल बनाया जा रहा है। ताकि उनका शोषण किया जा सके। सरकार देशी विदेशी कम्पनियों को आकर्षित करने के लिए सस्ता मजदूर उपलब्ध कराकर मजदूरों के श्रम कानूनों को समाप्त करने की साजिश रची जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने कहा कि किसान की जमीन हड़पने व बड़े पूंजीपतियों को देने के तीन कृषि कानूनों को लेकर सरकार आई थी। किसानों व मजदूरों ने मिलकर ऐतिहासिक आंदोलन कर मोदी सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर किया। अब सरकार बिजली बिल (इलेक्ट्रिसिटी बिल 2022) को लाना चाहती है। इससे बिजली विभाग का निजीकरण होगा। साथ ही यह बिल बिजली कर्मचारियों के साथ -साथ आम जनता से खुली लूट की छूट देता है। इसका विरोध किसन और मजदूर कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

महापड़ाव की मुख्य मांगे
-चार श्रम कोड वापस लेने ,ठेका प्रथा बन्द करने ,असंगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा की गारन्टी।
– खाद्य सुरक्षा की गारन्टी, पेट्रोलियम पदार्थों, रसोई गैस मूल्यवृद्धि वापस ली जाए।
-सार्वजनिक वितरण प्रणाली मजबूत करने तथा इसका दायरा बढ़ाया जाए।
-गन्ने का मूल्य 500 रूपये प्रति क्विंटल करने।
-जंगली जानवरों से फसलों एवं जानमाल की सुरक्षा के साथ मुआवजे की गारन्टी।
-प्रस्तावित बिजली बिल वापस लेने तथा बिजली प्री पेड स्मार्ट मीटर का प्रस्ताव वापस लेने।
-काम के अधिकार कौ मौलिक ‌अधिकार घोषित करने। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

-किसानों की कर्ज माफी घोषित करना।
-संविधान के बुनियादी ढांचे पर हमला बन्द किया जाए।
-कारपोरेटपरस्त बीमा योजना समाप्त करते हुए फसलों के लिये सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा योजना स्थापित करने।
-वनाधिकार अधिनियम को कढ़ाई से लागू किया जाए।
-राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन 26 हजार लागू हो।
-सभी आवासहीनों को आवास दिया जाए।
-नियमित रूप से श्रम सम्मेलन हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

– सभी के लिये मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ, पेयजल, स्वच्छता ‌का अधिकार हो। नई शिक्षा नीति वापस ली जाए।
-उपनल, संविदा व ठेका कर्मियों को हाई कोर्ट व सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार समान काम का समान वेतन, भत्ते की सुविधा, वर्षो से कार्यरत इन श्रमिकों नियमित किया जाए।
-गढ़वाल मंडल विकास निगम को पीपीपी मोड में देने पर रोक लगे।
-उत्तराखंड में केंद्रीय संस्थानों में कार्यरत संविदा, ठेका मजदूरों के शोषण पर रोक लगाई जाए। इनके निकालने पर रोक लगाई जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

इन्होंने की संयुक्त अध्यक्षता
आज पड़ाव की अध्यक्षता इंटक के प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट, सीटू के प्रांतीय अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह नेगी, एटक के प्रांतीय उपाध्यक्ष समर भंडारी, ऐक्टू के महामन्त्री केके बोरा, किसान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सजवाण, जाने माने जनकवि बल्ली सिंह चीमा ने की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

महापड़ाव के मुख्य वक्ता
इस अवसर पर अध्यक्षीय मंडल के सदस्यों के साथ ही साथ ही महेन्द्र जखमोला, सीटू के प्रांतीय सचिव लेखराज, इ्न्टक के अध्यक्ष अनिल कुमार, एटक के महामंत्री अशोक शर्मा, किसान महासभा के अध्यक्ष बीर सिंह नेगी, किसान सभा के उपाध्यक्ष गंगाधर नौटियाल‌ आदि ने विचार व्यक्त किये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इन्होंने की भागीदारी
इस अवसर पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवप्रसाद देवली, आशा यूनियन से सुनीता चौहान, चित्रा, कर्मचारी नेता समदर्शी बडर्थ्वाल, एस एस नेगी, अनिल कुमार, एसएफआई के प्रांतीय अध्यक्ष नितिन, महिला समिति की प्रदेश उपाध्यक्ष इंदु नौडियाल, महामन्त्री दमयंती नेगी, प्रवीण, जगदीश कुड़ियाल, किशन गुनियाल, जीडी डंगवाल, जगदीश मेहंदीरत्ता, एस एस रजवार, किसान नेता माला गुरूंग, लालद्दीन, नितिन, जागीरसिंह, जगतार सिंह, अवतार सिंह, भगवान सिंह राणा, राजेन्द्र पुरोहित, बिक्रम सिंह पुंडीर, भगवन्त पयाल, रविंद्र नौडियाल, हरिओम पालि, राम सिंह भण्डारी, जयकृत कण्डवाल, हरजिंदर सिंह, बलबीर सिंह, मनमोहन सिंह, सुरेन्द्र रावत, चिन्तामणि थपलियाल, मामचन्द , नुरैशा, अनन्त आकाश, अतुल, याकुब अली, जाहिद अन्जुम, कुलदीप, आरपी जौशी, मोनिका उपस्थित थे। समापन‌ किसान सभा प्रदेश अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह सजवाण ने किया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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