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November 14, 2024

मुख्यमंत्री आवास में सादगीपूर्ण तरीके से मनाया गया लोकपर्व ईगास, सीएम धामी ने खेला भेलो

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आवास में लोकपर्व ईगास बेहद सादगी से मनाया गया। मुख्यमंत्री ने पूजा अर्चना एंव सुंदरकांड पाठ कर प्रदेश में सुख शांति एवं समृद्धि की कामना की। उन्होंने ईगास पर्व पर भेलो पूजन कर, भेलो भी खेला। इस दौरान उन्होंने ढोल दमाऊ भी बजाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुख्यमंत्री ने समस्त प्रदेशवासियों को इगास की बधाई देते हुए कहा कि हमें अपनी लोक परम्पराओं एवं लोक संस्कृति को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा आज पूरा राज्य धूम धाम से इगास मना रहा है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभी प्रदेश वासियों को इगास की शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री का उत्तराखंड से विशेष लगाव ही है, जो वो स्वयं इगास पर्व में सम्मलित हुए। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री ने हमेशा उत्तराखंड के लोक पर्वो और यहां की संस्कृति को बढ़ावा दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक संस्कृति एवं लोक परम्परा देवभूमि की पहचान है। इगास का पर्व हमारे लिए बेहद विशेष है। इस लोक पर्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए बीते कुछ सालों से सार्वजनिक अवकाश की परम्परा भी शुरू की गई है। उन्होंने कहा हाल ही में हुए प्रवासी उत्तराखंडी सम्मलेन में भी प्रवासी उत्तराखंड वासियों से भी उन्होंने अपने गांव में जाकर लोक पर्व को मनाने का आग्रह किया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने संबोधन में उत्तराखंड वासियों से अपनी बोली भाषा का संरक्षण करने एवं गांव से जुड़ने का आग्रह किया था। ईगास पर्व पर हमने अपने गांव से जुड़ने एंव भाषा और लोक पर्वो के संरक्षण का संकल्प लेना है। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, पद्मप्रीतम भरतवाण, एंव अन्य लोग मौजूद रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

दिवाली के 11 दिन बाद मनाया जाता है इगास बग्वाल
उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में दीवाली के 11 दिन बाद लोक पर्व के रूप में बूढ़ी दीवाली मनाई जाती है। इसे इगास बग्वाल कहा जाता है। इस बार इगास पर्व 12 नवंबर को मनाया गया। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान राम जब रावण के वध के बाद वनवास से अयोध्या लौटे थे तो लोगों ने कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था, जबकि गढ़वाल क्षेत्र में भगवान राम के लौटने की खबर दीवाली के 11 दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिली थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यही कारण है कि पहाड़वासियों ने इस पर खुशी जाहिर करते हुए एकादशी को दीपावली का त्योहार लोक पर्व के रूप में मनाया था। इसे इगास बग्वाल या बूढ़ी दीवाली कहा जाता है। इस दिन गाय और बैल को पूजा जाता है, रात को सभी मिलकर पारंपरिक भैलो खेलते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

वीर माधो सिंह भंडारी की वीरता से जोड़कर भी है कथा
इगास पर्व से वीर माधो सिंह भंडारी की कथा भी जुड़ी है। इसका उल्लेख उत्तराखंड के लोकगीतों में भी मिलता है। माना जाता है कि माधो सिंह भंडारी जब राजा के आदेश पर अपने वीर सैनिकों के साथ तिब्बत से जंग के लिए गए, तो लंबे वक्त तक वह वापस नहीं आए। लोगों को लग रहा था कि सभी वीरगति को प्राप्त हो गए हैं। माधो सिंह भंडारी ने तिब्बत के साथ कई युद्ध में हिस्सा लिया और आखिरकार उन्हें जीत मिली। इसके बाद जब वह वापस दीपावली के 11 दिन बाद गढ़वाल पहुंचे, तो यह खबर मिलने पर राजा ने एकादशी के दिन दिवाली मनाने की घोषणा की। तब से लेकर अब तक इगास बग्वाल को लोक पर्व के रूप में गढ़वाल क्षेत्र में मनाया जाता है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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