पंजाब में स्थानीय निकायों के चुनावः कांग्रेस ने किया भाजपा का सूपड़ा साफ, सातों नगर निगम की सीटें जीतीं
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पंजाब की 109 नगर निकाय, नगर पंचायत और सात नगर निगम के लिए हुए मतदान की मतगणना जारी है। कांग्रेस ने पंजाब की सात नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का सूपड़ा साफ कर दिया। स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने मोगा, होशियारपुर, कपूरथला, अबोहर, पठानकोट, बटाला और बठिंडा नगर निगम जीत ली है। बठिंडा नगर निगम कांग्रेस के खाते में 53 साल बाद आई है। बठिंडा लोकसभा का प्रतिनिधित्व शिरोमणी अकाली दल की हरसिमरत बादल करती हैं। राज्य में केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ किसानों के विरोध के बाद उन्होंने खुद को सरकार से अलग कर लिया था। मोहाली नगर निगम के नतीजों का ऐलान गुरुवार को किया जाएगा।
बठिंडा शहर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के मनप्रीत सिंह बादल विधायक हैं। वह राज्य के वित्त मंत्री भी हैं। मनप्रीत सिंह बादल शिरोमणी अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के चचेरे भाई हैं।
वहीं, मजिठिया नगर निकाय की 13 में से 10 सीटें शिरोमणी अकाली दल ने जीत ली है। इसके लिए मतदान 14 फरवरी को हुआ था। केंद्र के तीन कृषि कानूनों को लेकर राज्य में किसानों के प्रदर्शन के बीच हुए चुनाव में 71.39 फीसदी मतदान दर्ज किया गया।
मंगलवार को कई बूथों पर दोबारा से चुनाव करवाया गया, इनके नतीजे भी आज ही जारी किए जाएंगे। इसके साथ ही मोहाली नगर निगम के बूथ नंबर 32 और 33 पर आज 8 से 4 बजे तक दोबारा से मतदान की प्रक्रिया चल रही है। इनकी मतगणना गुरुवार को की जाएगी।
इस बार 9,222 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। चुनाव में सबसे ज्यादा 2,831 निर्दलीय उम्मीदवार हैं, जबकि पार्टी के तौर पर देखें तो कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 2,037 उम्मीदवार खड़े किए हैं। कांग्रेस के मुक्तसर के उम्मीदवार को निर्विरोध चुन लिया गया है। कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध का सामना कर रही, भाजपा ने केवल 1,003 उम्मीदवार ही खड़े किए हैं। इस बार पार्टी अपने सहयोगी दल शिरोमणी अकाली दल के बिना चुनाव लड़ रही है। शिरोमणी अकाली दल अपने 1,569 उम्मीदवारों को चुनाव लड़वा रही हैं। 2,215 वार्ड्स में से 1,480 वार्ड जनरल और 610 वार्ड अनुसूचित जाति और 125 वार्ड अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हैं।
राज्य में ऐसे समय में चुनाव करवाए गए हैं, जब केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर नवंबर महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। इनके साथ उत्तर प्रदेश, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसान भी शामिल हैं। इस दौरान करीब 150 किसानों की धरने के दौरान अलग-अलग वजहों से मौत हो चुकी है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
जय कांग्रेस, बहुत अच्छी खबर. अब सभी जगह से कांग्रेस आयेगी. केन्द्र में भी.