मुख्य सचिव से मिले राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के नेता, इन समस्याओं की ओर किया ध्यानाकर्षण

उत्तराखंड में राज्यकर्मियों की लंबित विभिन्न समस्याओं को लेकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के नेताओं ने मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन से मुलाकात की। परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरूण कुमार पांडेय और महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट ने मुख्य सचिव को राज्य कर्मचारियों की विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया। साथ ही शीघ्र समाधान की मांग की। इस मौके पर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी मुख्य सचिव को सौंपा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
परिषद नेताओं ने मुख्य सचिव को अवगत कराया कि राज्य कार्मिकों के लिए लागू अंशदान आधारित एसजीएचएस गोल्डन कार्ड योजना के क्रियान्वयन में कई दिक्कतें आ रही हैं। इसके दृष्टिगत परिषद की ओर से लम्बे समय से स्वास्थ्य प्राधिकरण से लेकर शासन के वरिष्ठ अधिकारियों से तत्काल कार्यवाही कर समस्या का समाधान करने का अनुरोध किया गया। अभी तक किसी भी स्तर से प्रभावी कार्यवाही न होने के कारण योजनान्तर्गत पंजीकृत चिकित्सालयों ने भुगतान शेष होने के दृष्टिगत गोल्डन कार्ड धारकों की चिकित्सा पर रोक लगा दी है। इससे प्रदेश के कार्मिकों की चिकित्सा सुविधा बाधित हो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्य सचिव के संज्ञान में यह भी लाया गया कि यह योजना पूर्व में भी कुप्रबन्धन का शिकार रही। इससे राज्य कार्मिकों को इसका उचित लाभ प्राप्त नहीं हो पाया और राज्य कार्मिकों एवं पेंशनरों को न्यायालय की शरण में जाने को बाध्य होना पड़ा। वहीं, वर्तमान में यह व्यवस्था सरकार की अनदेखी का शिकार हो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में पूर्व में अपर मुख्य सचिव कार्मिक की अध्यक्षता में हुई बैठक में परिषद ने यह मांग रखी गयी थी। हांलाकि राज्य के समस्त कार्मिकों की चिकित्सा प्रतिपूर्ति का दायित्व राज्य सरकार का है, फिर भी कैशलैस चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने के लिए कार्मिकों ने उक्त योजनान्तर्गत अपना अंशदान देने की सहमति प्रदान की। योजना में सम्मिलित कार्मिक अपने वेतन व पेंशन के आधार पर प्रतिमाह अपना अंशदान जमा भी कर रहे हैं। इसके बावजूद योजनान्तर्गत कार्मिकों की चिकित्सा प्रतिपूर्ति एव चिकित्सालयों के व्यय का भुगतान मात्र कार्मिकों के अंशदान से जमा धनराशि में से ही किया जा रहा है, जबकि सरकार को कार्मिकों के अंशदान के अतिरिक्त चिकित्सा प्रतिपूर्ति पर आने वाले अतिरिक्त व्यय को वहन करना चाहिए। इस पर तत्समय के अपर मुख्य सचिव व वर्तमान में मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन ने अपनी सैद्धान्तिक सहमति भी व्यक्त की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि परिषद के संज्ञान में यह आया है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा वर्ष 2025-26 के बजट में इसके लिए कोई धनराशि नहीं रखी है, जो कि घोर आपत्तिजनक है। इसके कारण कार्मिकों के उपचार में हुए व्यय के देयको का भुगतान न होने के कारण देश प्रदेश के बड़े अस्पतालों में मेदांता अस्पताल गुरुग्राम, महंत इंदिरेश अस्पताल देहरादून, हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट सहित कई अन्य अस्पतालों ने गोल्डन कार्ड योजना से हाथ खींचा जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि परिषद द्वारा पूर्व में चेताने के उपरांत भी सरकार द्वारा स्थिति को बिस्फोटक होने दिया जाना आश्चर्यजनक एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। परिषद द्वारा मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव से इस प्रकरण में तत्काल दखल देते हुए इसमें सकारात्मक सुधार की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने मुख्य सचिव का ध्यान दो अन्य प्रमुख् मुद्दों की ओर आकर्षित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
परिषद ने मांग की कि एलटीसी का शासनादेश यथाशीघ्र जारी किया जाए। ताकि राज्य के सेवानिवृत्त हो रहे कार्मिकों को भी इसका यथोचित लाभ प्राप्त हो पाए। इसके अतिरिक्त परिषद द्वारा यात्रा भत्ता के शासनादेश में सुधार सहित वाहन भत्ता में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव भी यथाशीघ्र राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष लाने की भी मांग की। ताकि कार्मिकों का इसका लाभ जल्द से जल्द प्राप्त हो सके।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।