साल का अंतिम सूर्यग्रहण कल, भारत के इन इलाकों में दिखेगा ग्रहण, इन बातों का रखें ख्याल, इन राशियों पर रहेगा असर
ग्रहण के दौरान नहीं करें भोजन
इस सूर्यग्रहण के कारण दीपावली के बाद आने वाले त्योहार की तिथियां आगे बढ़ गई हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए। धार्मिक पुराणों के उल्लेख अनुसार माना जाता है कि ग्रहण काल के दौरान जो व्यक्ति जितना अधिक अनाज खाता है, उसे उतने वर्षों तक नरक की यातनाएं झेलनी पड़ती हैं। इसके अलावा ऐसा भी उल्लेख पाया गया है कि सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के दौरान खाना खाने से व्यक्ति पेट के रोगों से पीड़ित होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस बार भारत में भी दिखेगा सूर्यग्रहण
देश के खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार दिवाली के बाद लगने वाला सूर्य ग्रहण देश के उत्तरी और पश्चिमी भागों में आसानी के साथ देखा जा सकेगा, जबकि पूर्वी भागों में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा। क्योंकि यहां पर सूर्यास्त जल्दी हो जाएगा। भारत में ग्रहण की शुरुआत शाम के 4 बजे के बाद ही होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्य ग्रहण और ज्योतिषीय संयोग
इस वर्ष दिवाली के अगले दिन सूर्य ग्रहण का योग और ग्रहों का योग 1300 सालों बाद बना रहा है। ग्रहण के समय चार ग्रह खुद की राशि में मौजूद रहेंगे। जिसमें बुध,गुरु, शनि और शुक्र सभी चारों ग्रह अपनी-अपनी राशि में मौजूद रहेंगे। शनि मकर राशि में, गुरु अपनी मीन राशि में,बुध कन्या राशि में और शुक्र तुला राशि में रहेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्य ग्रहण का सूतक काल
भारत में आंशिक सूर्य ग्रहण लगने के कारण इसका सूतक काल मान्य होगा। धार्मिक नजरिए से सूतक काल को शुभ नहीं माना जाता है। सूतक में पूजा-पाठ और शुभ काम वर्जित होते हैं। हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार 25 अक्तूबर को सूर्य ग्रहण शाम चार बजे के आसपास शुरू हो जाएगा। सूर्य ग्रहण लगने पर सूतक काल ग्रहण के शुरू होने से 12 घंटे पहले लग जाता है। यह ग्रहण करीब डेढ़ घंटे तक चलेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बंद रहेंगे मंदिरों के कपाट
सूर्य ग्रहण के दौरान उत्तराखंड में चार धाम मंदिर के मंदिर बंद रहेंगे। ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक प्रारंभ हो जायेगा। इसलिए प्रात: 4 बजकर 26 मिनट पर ग्रहण से ठीक पहले चार धाम मंदिर बंद हो जायेंगे। 25 अक्टूबर शाम 5 बजकर 32 मिनट तक ग्रहण काल रहेगा। इसलिए ग्रहणकाल तक चारों धाम सहित छोटे बड़े सभी मंदिर बंद रहेंगे। उन्होने कहा कि ग्रहण समाप्ति पश्चात मंदिरों में साफ सफाई कार्य होगा। इसके बाद शाम को अभिषेक तथा शयन पूजा और आरती संपन्न होंगी। इस दौरान श्रद्धालुओं को दर्शनों की इजाजत नहीं होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देश में यहां दिखेगा सूर्य ग्रहण
दिल्ली, राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू, श्रीनगर, लेह और लद्दाख।
इन हिस्सों में कुछ समय के लिए दिखेगा सूर्य ग्रहण
दक्षिण भारत के हिस्से जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक, मुंबई, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और बंगाल।
देश के इन हिस्सों में नहीं दिखाई देगा सूर्य ग्रहण
देश के पूर्वी भागों में असम,अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड।
इस राशि में लगेगा सूर्य ग्रहण
ज्योतिष गणना के अनुसार दिवाली के बाद यानी 25 अक्तूबर को लगने वाला सूर्यग्रहण तुला राशि में लगेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्या न करें
ग्रहण के दौरान कभी भी कोई शुभ काम या देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए।
ग्रहण के दौरान न ही भोजन पकाना चाहिए और न ही कुछ खाना-पीना चाहिए।
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं का ग्रहण नहीं देखना चाहिए और न ही घर से बाहर जाना चाहिए।
ग्रहण के दौरान तुलसी समेत अन्य पेड़-पौधों नहीं छूना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्या करें
ग्रहण शुरू होने से पहले यानी सूतक काल प्रभावी होने पर पहले से ही खाने-पीने की चीजों में पहले से तोड़े गए तुलसी के पत्ते को डालकर रखना चाहिए।
ग्रहण के दौरान अपने इष्ट देवी-देवताओं के नाम का स्मरण करना चाहिए।
ग्रहण के दौरान इसके असर को कम करने के लिए मंत्रों का जाप करना चाहिए।
ग्रहण खत्म होने पर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन राशि पर रहेगा असर
ज्योतिषाचार्य राजीव सचदेवा के अनुसार सूर्य ग्रहण का शुभ प्रभाव मेष, सिंह, कन्या, तुला और वृश्चिक राशि वाले लोगों पर पड़ेगा। इन राशि वालों को आर्थिक लाभ, मान सम्मान में वृद्धि समेत अन्य कार्यो में सफलता मिलेगी। वहीं शेष राशि वालों को हानि, स्त्री पीड़ा, व्यथा आदि परेशानी का सामना करना होगा।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
सूर्य ग्रहण पर जो भी हिदायतें, ज्योतिष निर्देश दिए जा रहे हैं , उनका कोई बैज्ञानिक आधार नहीं है !
ये सब बातें अल्पज्ञानियों के बीच अंन्धविश्वास पैदा करने का काम करती हैं !
इसके पीछे कोई शोध नहीं होता और ये विज्ञान की अधिकतर खोजों को नकारने का प्रयास है !
सूर्यग्रहण से जुड़े दुष्प्रचार का खंडन किये जाने की जरूरत है.