टनल में भूस्खलनः बदली रणनीति, देवता का सहारा, टनल फंसे मजदूरों ने पूछा-कुछ कर रहे हो या झूठ बोल रहे
उत्तराखंड में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की सुरंग में सात दिन से फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने की योजना को झटका लगा है। निकासी सुरंग के लिए 900 मिमी के स्टील पाइप बिछाने को चलाई जा रही ड्रिलिंग मशीन के कंपन से शुक्रवार को इस क्षेत्र में डेंजर जोन बन गया। इसके चलते 17 नवंबर को ही यहां से बचाव अभियान का कार्य पूरी तरह रोक दिया गया है। ऐसे में श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रणनीति में बदलाव करते हुए वर्टिकल और हारिजांटल बोरिंग के जरिये सुरंग के भीतर पहुंचने की कार्य योजना तैयार की गई। इसके लिए पांच स्थान चिह्नित किए गए हैं। इनमें से दो स्थानों पर कार्य शुरू भी कर दिया गया है। वहीं, टनल में फंसे श्रमिकों का धेर्य जवाब दे रहा है। साथ ही टनल के बाहर उनके साथी प्रदर्शन कर रहे हैं। उधर, अब देवता का सहारा भी लिया जा रहा है। इसके लिए टनल के मुहाने में मंदिर स्थापित कर दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
टनल में फंसे मजदूरो के धेर्य ने दिया जवाब
सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को शनिवार को सातवें दिन भी बाहर नहीं निकाला जा सका। रेस्क्यू का आज आठवां दिन है। अंदर फंसे श्रमिकों का धैर्य भी अब जवाब दे रहा है। बोले कि तुम काम कर भी रहे हो रहे है या झूठ बोल रहे हो। रेस्क्यू के दौरान सुरंग में कंपन और मलबा गिरने के खतरे पर ऑगर मशीन से ड्रिलिंग बंद कर दी गई है। वहीं, सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में देरी पर साथी मजदूरों में आक्रोश है। शनिवार को मजदूरों ने सुरंग निर्माण से जुड़ी एनएचआईडीसीएल और निर्माण कंपनी नवयुगा के खिलाफ प्रदर्शन किया। मजदूरों ने कहा, कंपनी गरीब मजदूरों को नहीं, बल्कि सुरंग बचाना चाहती है। इसी कारण मजदूरों को बाहर निकालने में देरी की जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब ये है नई तैयारी
अब सुरंग के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग की तैयारी है। उधर, बैकअप के तौर पर इंदौर से मंगवाई गई एक और ऑगर मशीन शुक्रवार देर रात जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंची और शनिवार दोपहर तीन ट्रकों से मशीनों को सिलक्यारा साइट पर पहुंचा दिया गया।
ये है घटनाक्रम
गौरतलब है कि जनपद उत्तरकाशी के यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरासू एवं बड़कोट के मध्य सिल्क्यारा के समीप लगभग 4531 मीटर लम्बी सुरंग का निर्माण हो रहा है। इसमें सिल्क्यारा की तरफ से 2340 मीटर तथा बड़कोट की तरफ से 1600 मीटर निर्माण हो चुका है। इसमें 12 नवम्बर 2023 की सुबह सिल्क्यारा की तरफ से लगभग 270 मीटर अन्दर लगभग 30 मीटर क्षेत्र में ऊपर से मलबा सुरंग में गिर गया था। इसमें 41 व्यक्ति फँस गए। उसी दिन से श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान चल रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पहाड़ दरकने की आवाज से रोका रेस्क्यू
उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए नई दिल्ली से लाई गई अमेरिकन औगर ड्रिलिंग मशीन से गुरुवार सुबह 60 मीटर लंबी निकासी सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ था। शुक्रवार तक लगभग 30 मीटर सुरंग तैयार कर ली गई थी। मशीन के जरिये टनल में ढाई फुट व्यास के स्टील पाइप डाले जा रहे थे। इन्हीं पाइप के जरिये फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने की योजना थी। इस अभियान को तब बड़ा झटका लगा जब दोपहर में पहाड़ दरकने की तेज आवाज हुई। इससे बचाव कार्य कर रही टीमों में हड़कंप मच गया और आनन-फानन बचाव अभियान रोकना पड़ा। इसके बाद सुरंग के मुहाने से 150 मीटर से 203 मीटर तक के हिस्से को डेंजर जोन मानते हुए काम रोक दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अन्य विकल्पों पर काम शुरू
शनिवार को अधिकारियों ने विशेषज्ञों के साथ समीक्षा करके इस स्थल से बचाव अभियान को आगे बढ़ाने को खतरनाक माना। ऐसे में इस छोर से अभियान को पूरी तरह रोक दिया गया और अन्य विकल्पों पर काम शुरू कर दिया गया। इस छोर पर अब केवल सुरक्षात्मक कार्य होंगे। शनिवार की दोपहर में पीएमओ के उप सचिव मंगेश घिल्डियाल और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पूर्व सलाहकार एवं आलवेदर रोड परियोजना के ओएसडी भाष्कर खुल्बे अपनी टीम के साथ सिलक्यारा पहुंचे व बचाव अभियान की कमान अपने हाथ में ले ली। बचाव के अन्य विकल्पों को लेकर पीएमओ की टीम ने भूविज्ञानियों के साथ सिलक्यारा सुरंग के आसपास की पहाड़ी का निरीक्षण किया। वर्टिकल (ऊध्र्वाकार) और हारिजांटल (क्षैतिज) बोरिंग के लिए पांच स्थान चिह्नित किए गए। इनमें से दो स्थानों पर बोरिंग के लिए तैयारी शुरू कर दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएमओ ने संभाली कमान
इस बीच शनिवार को सिलक्यारा पहुंची प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की टीम ने बचाव अभियान की कमान अपने हाथ में ले ली। देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों के साथ बैठक में बचाव अभियान की समीक्षा की। सरकार ने राज्य में कार्यरत केंद्रीय संस्थानों के साथ समन्वय के लिए वरिष्ठ आइएएस डा. नीरज खैरवाल को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दिल्ली में उच्चस्तरीय हुई बैठक
सिलक्यारा में सुरंग में फंसे श्रमिकों को कीमती जानें बचाने के लिए सरकार हर मोर्चे पर काम करेगी। शनिवार को दिल्ली में हुई उच्चस्तरीय बैठक में तकनीकी सलाह के आधार पर विभिन्न विकल्पों पर विचार किया गया। इसमें तय हुआ कि इनमें से पांच बोरिंग विकल्पों पर काम किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल), ओएनजीसी, एसजेवीएनएल, टीएचडीसी और आरवीएनएल को एक-एक विकल्प सौंपा गया है। बीआरओ और भारतीय सेना की निर्माण शाखा भी बचाव अभियान में सहायता कर रही है। एनएचआइडीसीएल के एमडी महमूद अहमद को सभी केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय के लिए प्रभारी बना सिलक्यारा में तैनात किया है। सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि बचाव कार्य के लिए जो भी संभव हो, वह किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बौखनाग सिलक्यारा क्षेत्र के प्रमुख देवता हैं। इसलिए रेस्क्यू अभियान के दौरान हर दिन कंपनी की ओर से सुरंग के अंदर बौखनाग देवता की पूजा-अर्चना की जा रही है। अब सुरंग में फंसे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने की कामना के साथ पोलगांव (बड़कोट) की ओर सुरंग के प्रवेश द्वार के पास बौखनाग देवता का मंदिर स्थापित किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रेस्क्यू ऑपरेशन के सातवें दिन सुरंग के बाहर छोटे से मंदिर को स्थापित किया गया है। जहां विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना शुरू कर दी गई है। स्थानीय लोगों का मानना है कि सुरंग निर्माण के लिए यहां बना बाबा बौखनाग का मंदिर तोड़ दिया गया था, जिसकी वजह से ही सुरंग में ये हादसा हुआ है। ग्रामीण सुरंग धंसने को बाबा खौफनाग के गुस्से का प्रकोप मान रहे हैं। इसके बाद अब यहां पर बाबा का मंदिर स्थापित किया गया है, ताकि उनके गुस्से को शांत किया जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डेंजर जोन में बिछाए ह्यूम पाइप
सुरंग के भीतर भूस्खलन वाले क्षेत्र में डेंजर जोन बनने के बाद ह्यूम पाइप बिछाए गए हैं। ताकि सुरंग में फंसे श्रमिकों से संवाद बनाए रखने और उन तक भोजन सामग्री, आक्सीजन व दवाएं पहुंचाने वाले पानी निकासी के पाइप तक टीमें सुरक्षित आवाजाही कर सकें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विदेशी विशेषज्ञों की मदद से जुटेंगी छह टीमें
सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए अब पहाड़ के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग होगी। वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए चार स्थानों की पहचान की गई है, वहां तक पहुंचने के लिए ट्रैक बनाने का काम सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को सौंपा गया है। विदेशी विशेषज्ञों की मदद से पांच विकल्पों पर केंद्र और राज्य की छह टीमें रविवार यानि कि आज 19 नवंबर से काम शुरू करेंगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ सिलक्यारा पहुंचेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
संसाधनों की कमी नहीं सभी विकल्प तलाश रहे
पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि मजदूरों को बचाने के लिए हम सभी विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। हमारे पास संसाधनों, विकल्पों और तौरतरीके की कमी नहीं है। वर्टिकल ड्रिलिंग का विकल्प भी खुला है। हम विदेशी सलाहकारों की मदद ले रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश है कि इस अभियान को जितना जल्दी हो सके पूरा करना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आधुनिक तकनीक की मदद रहे हैं : सीएम धामी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि श्रमिकों को निकालने के लिए दुनिया में खोजी गई आधुनिक तकनीक की मदद ली जा रही है। हम जल्द उन्हें निकाल लेंगे। मैं खुद मौके पर जा रहा हूं।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।