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July 9, 2025

जोशीमठ में भूधंसावः अब लगा सरकारी सेंसर, मंत्री के कहने पर इसरो ने सैटेलाइट तस्वीरें हटाई, सरकारी ऐजेंसियों को जानकारी साझा ना करने के निर्देश

उत्तराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ क्षेत्र में भूधंसाव के रूप में आई आपदा संबंधी जानकारी पर अब सेंसर लगा दिया गया है। सरकारी एजेंसियों को मीडिया या अन्य को जानकारी साझा ना करने के लिए कहा जा रहा है। साथ ही इसरो की ओर से जारी की गई जोशीमठ में दरार संबंधी सैटेलाइट तस्वीरों को मंत्री के कहने पर हटा दिया गया है। वहीं, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने भी भूधंसाव की जांच कर रही सरकारी एजेंसियों को अंतिम रिपोर्ट आने तक मीडिया को कोई भी जानकारी साझा ना करने को कहा है। इसका कारण भय की स्थिति बन रही है। जानकारी को साझा ना करने के लिए ये कारण भी बताया जा रहा है कि अलग अलग माध्यम से जानकारी साझा होने पर विरोधाभाष हो रहा है। सरकार कुछ कह रही है और ऐजेंसियां कुछ और। वहीं, वैज्ञानिकों का तर्क कुछ और है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार की काफी किरकिरी भी हो रही है। ऐसे में केंद्र और प्रदेश सरकार ने सबसे पहले एक ही विंडो के जरिये जानकारी उपलब्ध कराने के लिए ऐसे निर्णय लिए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड के मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के आग्रह पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने जोशीमठ भू-धंसाव की सेटेलाइट तस्वीरें हटाईं। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत चमोली जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं और वर्तमान में आपदा की स्थिति में वह जोशीमठ में ही कैंप कर रहे हैं। मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने यह जानकारी दी। बताया कि उनके द्वारा इसरो के निदेशक से इस मामले को लेकर आग्रह किया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मंत्री ने कहा था कि इन तस्‍वीरों में राज्‍य में भय का माहौल पैदा हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि इसे लेकर अधिकृत बयान जारी करो या फ‍िर केंद्र सरकार या राज्‍य सरकार को बताइए। इसके बाद इसरो द्वारा उक्‍त तस्‍वीरें वेबसाइट से हटवा दी गई। मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के मुताबिक, जमीन धंसने के संबंध में इसरो की तस्वीरें वायरल होने और उससे जुड़े खबरें टीवी चैनलों में प्रसारित होने के बाद जोशीमठ शहर लोगों के बीच पैनिक की स्थिति बन गई थी। ऐसा होने पर उन्होंने इसरो के निदेशक से फोन पर बात की। उनसे अनुरोध किया कि तस्वीरों के संबंध में इसरो या तो अधिकृत बयान जारी करे या फिर ऐसा कुछ नहीं है तो वेबसाइट से तस्वीरें हटा दें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ. रावत के मुताबिक, उनके अनुरोध पर इसरो ने अब वेबसाइट से तस्वीरें हटा दी हैं। जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर इसरो की ओर से रिपोर्ट जारी गई थी। जिसमें बताया गया है कि 12 दिन में जोशीमठ की जमीन 5.4 सेंटीमीटर धंसी है। इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर की ओर से सैटेलाइट इमेज जारी की गई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसरो की ओर से जारी की सैटेलाइट तस्वीरें से पता चल रहा था कि जोशीमठ शहर 27 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच 5.4 सेमी नीचे धंसा है। 12 दिनों के अंदर शहर 5.4 सेंटीमीटर नीचे चला गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसरो की रिपोर्ट बताती है कि मिट्टी धंसने से जोशीमठ में आर्मी हेलीपैड और नरसिंह मंदिर भी प्रभावित हुआ है। धंसने का केंद्र 2180 मीटर की ऊंचाई पर जोशीमठ-औली रोड के पास स्थित है। उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री, धन सिंह रावत ने बताया कि उन्होंने एनआरएससी-इसरो के निदेशक से बात की। कहा कि वे इस समय ऐसी रिपोर्ट कैसे जारी कर सकते हैं। ह दहशत पैदा कर रहा है। उन्होंने मुझे बताया कि वे रिपोर्ट को अपडेट करेंगे। अब, मुझे बताया जा रहा है कि इसे हटा दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एमडीएमए ने केंद्रीय एजेंसियों को जारी किया परामर्श
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यानी NDMA ने भू-धंसाव के कारणों की जांच करने गईं केंद्रीय एजेंसियों को परामर्श जारी किया है। इसमें सरकार की संस्थाओं से कहा गया है कि जोशीमठ मामले में अंतिम रिपोर्ट आने तक मीडिया से और सोशल मीडिया पर ऐसी जानकारी साझा करने से बचें, जो उनकी अपनी व्याख्या पर आधारित हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 12 जनवरी को नई दिल्ली में जोशीमठ भू-धंसाव के संबंध में समीक्षा बैठक की थी। इसके बाद शुक्रवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त सलाहकार बिस्वारुप दास की ओर से ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि जोशीमठ भू-धंसाव के संबंध में सरकार की विभिन्न संस्थाएं सोशल मीडिया पर अपने स्तर पर आंकड़े जारी कर रही हैं। वे जोशीमठ के हालात की अपने हिसाब से व्याख्या कर उसे मीडिया से साझा कर रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

परामर्श के मुताबिक, इस तरह की जानकारी साझा करने से न सिर्फ प्रभावित रहवासियों, बल्कि देशभर के नागरिकों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। पत्र में उल्लेख है कि 12 जनवरी को ही प्राधिकरण के सदस्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी। जोशीमठ के भू-धंसाव का आकलन करने के लिए एक विशेषज्ञ समूह गठित किया जा चुका है। लिहाजा, सभी संस्थानों से अनुरोध है कि वे विशेषज्ञ समूह की अंतिम रिपोर्ट आ जाने तक मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने स्तर पर जानकारी साझा करने से बचें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इन केंद्रीय संस्थानों को भेजी गई चिट्ठी
सीबीआरआई रुड़की, जीएसआई कोलकाता, एनआरएसी-इसरो हैदराबाद, सीजीडब्ल्यूबी नई दिल्ली, सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया, एसओआई, देहरादून, आईआईआरएस, देहरादून, एनजीआरआई हैदराबाद, एनआईएच, रुड़की, डब्ल्यूआईएचजी, देहरादून, आईआईटी रुड़की, ईडी, एनआईडीएम, नई दिल्ली और सचिव उत्तराखंड एसडीएमए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दरक रहा है जोशीमठ
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में धंसते जोशीमठ में तबाही का खतरा गहराने लगा है। यहां जमीन धंसने के कारण 600 से ज्यादा घरों में दरारें आ गई हैं। हाईवे दरक गए। भवन और मकानों में दरारें आ गई। कई मंदिरों पर भी खतरा मंडरा रहा है। कई स्थानों पर पानी के स्रोत फूट गए। ऐसे में प्रभावित परिवारों को उनके घर खाली करने का आदेश दे दिया गया था। अब प्रभावित भवन 763 से ज्यादा हो गए हैं। 145 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये है। साथ ही चारधाम ऑल वेदर रोड (हेलंग-मारवाड़ी बाईपास) और एनटीपीसी की पनबिजली परियोजना जैसी मेगा परियोजनाओं से संबंधित सभी निर्माण गतिविधियों पर स्थानीय निवासियों की मांग पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है। जोशीमठ औली मार्ग आवागमन भी बंद कर दिया गया है। राज्य सरकार ने कहा है कि जिन लोगों के घर प्रभावित हुए हैं और उन्हें खाली करना है। उन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से अगले छह महीने के लिए मकान किराए के रूप में 5000 रुपये प्रति माह मिलेंगे। साथ ही प्रभावितों को फौरी सहायता के रूप में डेढ़ लाख रुपये दिए जा रहे हैं।

Bhanu Prakash

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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