ललित मोहन गहतोड़ी का कुमाऊंनी पारिवारिक गीत- म्येरा भाई

म्येरा भाई…
किस्मतौ लेख्यौ कस्यां,
फेरना म्येरा भाई…
ज्युदी परानि हंसि,
खेल्ना म्येरा भाई…
किस्मत खेल, देखूनै म्येरा भाई….
किस्मत नाच, नचुनै म्येरा भाई….
किस्मत खेल, खेलूनै म्येरा भाई….
किस्मतमें लेखि छै,
सो हैई पछि रौलो…
किस्मत है बढ़ि चढ़ि,
केई लै नै होल़ो…
किस्मत फेर, फेरूंनै म्येरा भाई….
किस्मत मेल, छोडूंनै म्येरा भाई….
किस्मताक खेल, गजब म्येरा भाई….
किस्मतौ लेख्यौ कस्यां, फेरना म्येरा भाई…
ज्युदि परानि हंसि, खेल्ना म्येरा भाई….
घोर अंधकार बलि,
भटकि परानी….
माया देखि देखिबे,
जलि दोहरै कहानि…
आप्नो कोठी छोड़, कोरी काया मोह…
जि लगै हुन्छ उत, हुनि जानि रौल…
हूनी जानी तब, सुनी जानी म्येरा भाई….
किस्मतौ लेख्यौ कस्यां, फेरना म्येरा भाई….
ज्युदि परानि हंसि, खेल्ना म्येरा भाई….
ऊनी जानीरे लागि,
रूछी परानी…
सब जनैकि बलौ,
यो छ कहानी…
झूठी छ शान, शौकत म्येरा भाई….
झूठो यो दुनिया, फरेब म्येरा भाई….
बच झूठी आन, घमंड म्येरा भाई….
किस्मतौ लेख्यौ कस्यां, फेरना म्येरा भाई….
ज्युदि परानि हंसि खेल्ना, म्येरा भाई…
घर घरै पनै बल,
यो छ कहानी…
आजैकि गाथा नभै,
काथा पुरानी,
ज्युदी परानी भुला, भूलि क्वीड़ा कानी…
मरनी परानी भरी, आंखा आंसू झुरनी…
दुनिया देखि तुमकै, समझूना म्येरा भाई….
किस्मतौ लेख्यौ कस्यां, फेरना म्येरा भाई….
ज्युदि परानि हंसि, खेल्ना म्येरा भाई….
लेखक का परिचय
उत्तराखंड में चंपावत जिले के जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट निवासी ललित मोहन गहतोड़ी स्नातक, प्रशिक्षित स्टेनोग्राफर, प्रशिक्षित व्यायाम शिक्षक हैं। ललित वर्तमान में स्वतंत्र पत्रकारिता के साथ फाल्गुनी फुहारें नाम से एक वार्षिक सांस्कृतिक पुस्तक का प्रकाशन कर रहे हैं। इसके अब तक चार भाग प्रकाशित कर चुके हैं। उनका कहना है कि फुहारें पुस्तक का आगामी अंक पांच वसंत फुहारें विशेषांक भी वह जल्द ही प्रकाशित करने जा रहे हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।