जानिए कुंभ के दौरान क्यों बनाई गई कोरोना टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट, एक लाख से ज्यादा फर्जी टेस्टिंग का सच
हरिद्वार कुंभ के दौरान करीब एक लाख से अधिक कोरोना के फर्जी टेस्ट मामलों की जांच चल रही है। जांच में अभी ये बात सामने आ रही है कि फर्जी रिपोर्ट तैयार करने के लिए बड़ी चतुराई का उपयोग किया गया। लोगों की रिपोर्ट निगेटिव बनाई गई। ताकी यदि किसी के मोबाइल में कोरोना निगेटिव का संदेश जाए तो वह ज्यादा ध्यान नहीं देगा। वहीं, यदि पॉजिटिव दिखाया जाता तो संदेश पाने वाला व्यक्ति सीधे अस्पताल की दौड़ लगाता और पूरा भेद खुल जाता। ये तो अच्छी बात थी कि निगेटिव रिपोर्ट वाले व्यक्ति ने ही इसकी सच्चाई जानने के लिए शिकायत कर दी।
ये है निगेटिव का खेल
कोरोना काल में अगर मोबाइल पर गलती से भी यह मैसेज मिले कि आपकी कोविड रिपोर्ट पाजिटिव आई है तो किसी के भी पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। कुंभ के दौरान कोरोना जांच करने वाली फर्म ने आमजन में फैले इस डर को भांपते हुए बड़ी होशियारी से फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। फर्म को मालूम था कि कोविड रिपोर्ट पाजिटिव आने का मैसेज मिलते ही लोग हड़बड़ाहट में अस्पतालों की तरफ दौड़ेंगे और फर्जीवाड़े की पोल खुल जाएगी। इसीलिए फर्जी टेस्टिंग की अधिकांश रिपोर्ट निगेटिव बनाई गई।
दूसरे राज्यों के मोबाइल और आधार नंबर का किया प्रयोग
फर्जी टेस्टिंग रिपोर्ट तैयार करने में दूसरे राज्यों के व्यक्तियों के आधार व मोबाइल नंबरों का अधिक संख्या में प्रयोग किया गया है। वहीं, स्थानीय स्तर पर जिन व्यक्तियों की वास्तव में जांच हुई, बाद में उनके आधार और मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल भी फर्जीवाड़े में किया गया।
हाईकोर्ट ने दिए थे 50 हजार लोगों की प्रतिदिन जांच के आदेश
हाईकोर्ट ने प्रतिदिन कुंभ के दौरान हरिद्वार में 50 हजार लोगों के कोरोना टेस्ट कराने के आदेश दिए थे। हालांकि इस आंकड़े को हरिद्वार जिला कभी छू नहीं पाया। इस दौरान जिले की सीमाओं समेत 50 से अधिक जगहों पर कोरोना सैंपल लिए गए। किसी भी जगह सैंपल लेने पर रिपोर्ट पॉजिटिव या निगेटिव आने की सूचना अगले या दूसरे दिन मैसेज के रूप में मोबाइल पर पहुंच गई। ऐसे व्यक्तियों की संख्या भी सैकड़ों में है, जिनके मोबाइल पर कुछ दिन बाद फिर से कोविड रिपोर्ट के मैसेज पहुंचे।
निगेटिव पर नहीं दिया ध्यान
कुंभ के दौरान जिनकी जांच हुई उनके नंबरों को भी फर्जीवाड़ा में इस्तेमाल किया गया। ऐसे में लोगों को दो-दो बार कोरोना निगेटिव के मैसेज मिले। अधिकांश व्यक्तियों को निगेटिव रिपोर्ट के मैसेज मिले, इसलिए किसी ने दिलचस्पी नहीं ली। कुछ व्यक्तियों को लगा कि गलती से दोबारा मैसेज भेज दिया गया है। इतना ही नहीं, कुंभ के बाद भी कुछ व्यक्तियों के मोबाइल पर ऐसे मैसेज आए हैं। फर्जीवाड़ा करने वाली फर्म को पता था कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर व्यक्ति खुद भी घबरा जाता है। फिर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से भी उसकी मॉनीटरिंग होने लगती है। इसलिए फर्म ने पकड़ में आने से बचने के लिए फर्जीवाड़े का पूरा खेल निगेटिव रिपोर्ट के आधार पर खेला गया।
फर्जी की रिपोर्ट में पॉजिटिविटी दर में भी झोल
यही होशियारी फर्म के फंसने का एक कारण भी बनी। जिस समय हरिद्वार की सामान्य पाजिटिविटी दर 5.3 थी। उस दौरान फर्म ने पाजिटिविटी दर मात्र 0.18 दिखाई। स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक जांच में आंकड़ों का यह झोल पकड़ में आया है।
दूसरी कंपनी से जुटाए गए नंबर
बताया जा रहा है कि फर्म ने फर्जीवाड़ा करने के लिए किसी प्राइवेट कंसल्टेंसी कंपनी की मदद भी ली है। फर्म ने कंपनी से दूसरे राज्यों के हजारों की संख्या में आधार व मोबाइल नंबर जुटाए। इन्हीं आधार व मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल फर्जीवाड़ा में किया गया। पुलिस उस कंसल्टेंसी कंपनी का भी पता लगा रही है।
जल्द ही बयान दर्ज करेगी पुलिस
फर्जीवाड़े के मुकदमे की जांच के लिए बहुत जल्द एसआइटी गठित हो जाएगी। फिलहाल शहर कोतवाली में दर्ज मुकदमे की जांच शहर कोतवाल राजेश साह कर रहे हैं। माना जा रहा है कि एसआइटी गठित होने पर शहर कोतवाल भी उसका हिस्सा होंगे। इस मामले में शहर कोतवाल राजेश साह ने बताया कि जल्द ही बतौर वादी सीएमओ डा. शंभू कुमार झा व अन्य व्यक्तियों के बयान दर्ज किए जाएंगे।
ये है मामला
उत्तराखंड में हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था। जांच में कम से कम एक लाख कोरोना टेस्ट फर्जी पाए गए हैं। एक जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि उत्तराखंड सरकार की तरफ से कुंभ मेले के दौरान कराई जाने वाली कोरोना टेस्टिंग के लिए एक प्राइवेट एजेंसी ने इतनी बड़ी जांच में कम से कम एक लाख फर्जी रिपोर्ट जारी की थीं। हरिद्वार जिला प्रशासन ने अब उन आरोपों की जांच का आदेश दिया है, जिनमें कहा गया है हरिद्वार में कुंभ उत्सव के दौरान कोरोना टेस्टिंग करने के लिए काम करने वाली प्राइवेट लैब्स की ओर से नकली रिपोर्ट जारी की गई थीं।
बता दें कि हरिद्वार में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक कुंभ उत्सव का आयोजन किया गया था। इस दौरान 22 प्राइवेट लैब्स की तरफ से लगभग 4 लाख कोरोना टेस्ट किए गए थे। फरीदकोट पंजाब निवासी एक व्यक्ति ने आइसीएमआर से कोरोना जांच में फर्जीवाड़े की शिकायत की थी। इस व्यक्ति के मोबाइल पर कोरोना जांच का संदेश पहुंचा था, जबकि उसकी कभी कोरोना जांच हुई ही नहीं।
राज्य के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने मामले की प्रारंभिक जांच कराई। कोविड-19 मामलों के चीफ कंट्रोलिंग आफिसर डा. अभिषेक त्रिपाठी के स्तर से की गई इस जांच में प्रथमदृष्टया शिकायत सही पाई गई। यही नहीं, उन्होंने एक लाख से अधिक कोरोना जांच में गड़बड़ी की आशंका जाहिर की है। डा. त्रिपाठी ने शासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में मामले को गंभीर बताते हुए इसकी विस्तृत जांच की सिफारिश की थी। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य सचिव ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को कुंभ मेला अवधि, इससे पहले और इसके बाद हुई कोरोना जांच की विस्तृत छानबीन के निर्देश दिए थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।