Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 13, 2024

जानिए चमोली में आपदा को लेकर क्या है वैज्ञानिकों का मत, आपदा के बताए गए ये कारण

1 min read
चमोली में चमोली ऋषीगंगा प्रोजेक्ट आपदा को लेकर इसरो (ISRO) और आरआरएस (IRSS) के वैज्ञानिक इस राय पर पहुंचे हैं।


उत्तराखंड के चमोली गढ़वाल में रविवार को जल प्रलय के रूप में आई आपदा को लेकर पहले तरह तरह के मत जाहिर किए जा रहे थे। शुरू में कहा गया कि ग्लेशियर टूटकर जल विद्युत परियोजना में गिरा। इससे परियोजना का डैम टूटा और जल प्रलय हुई। वहीं, सोशल मीडिया में भी इसे लेकर तरह तरह की पोस्ट शेयर की जा रही थी। अब इसे लेकर वैज्ञानिकों की राय सामने आने लगी है।
चमोली में चमोली ऋषीगंगा प्रोजेक्ट आपदा को लेकर इसरो (ISRO) और आरआरएस (IRSS) के वैज्ञानिक इस राय पर पहुंचे हैं। बताया गया कि सैटेलाइट दिखाता है कि नदी के शुरुआती छोर में पहाड़ पर बहुत बड़ी चट्टान है। इस में दरार पड़ी हुई थी। साथ ही उस बड़ी चट्टान के अंदर पानी भी स्टोर था और ऊपर अधिक मात्रा में बर्फ भी थी।
इसके अतिरिक्त पहाड़ी के नीचे बहुत तीव्र ढाल वाली खाई है, जिसमें तीनों ओर से बड़ी मात्रा में बर्फ इकट्ठा हुई थी। साथ ही बर्फ इकट्ठा होने से वहां पर पानी भी संचित हो रखा था। इसके अतिरिक्त 5 फरवरी से 7 फरवरी के बीच केवल 2 दिन के अंदर तापमान में लगभग 7-8 डिग्री सेंटीग्रेड की अचानक बढ़ोतरी हुई। इससे पानी से संचित और बर्फ से लकदक पहाड़ की बड़ी चट्टान टूट गई। तीव्र ढाल होने के चलते खाई में इकट्ठा बर्फ और पानी पर तेजी से गिरी।


इससे खाई में बहुत बड़ी मात्रा में संचित बर्फ और पानी के साथ चट्टान के साथ आया पानी बड़े बड़े बोल्डर्स और बर्फ सहित सारा मटेरियल मिलकर नीचे के तीव्र ढाल में बहुत अधिक ऊर्जा और वेग के साथ चलने लगा। आगे ढाल और तीव्र होने तथा संकरी खाई होने से उसका वेग और भी बढ़ता चला गया। इस कारण पहले ऋषि गंगा प्रोजेक्ट और उसके बाद तपोवन प्रोजेक्ट पर कहर बनकर टूट गया। उसके आगे धीरे-धीरे नदी की चौड़ाई बढ़ती जाती है और ढलान भी घटता जाता है जिससे नदी का वेग भी कम होता गया और निचले वाले इलाकों में पहुंचते-पहुंचते नदी के मटेरियल की मात्रा और उसकी गति भी धीरे-धीरे सामान्य होती गई।

ये हुई थी घटना 
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक ऋषिगंगा और धौलगंगा नदी में पानी का जलजला आने से रैणी गांव में ऋषिगंगा नदी पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का डैम धवस्त हो गया था। इसने भारी तबाही मचाई और पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौलीगंगा नदी में एनटीपीसी के बांध को भी चपेट में ले लिया। इससे भारी तबाही मची और 150 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। 31 लोगों के शव मिल चुके हैं। घटना रविवार की सुबह करीब दस बजे की थी। इससे अलकनंदा नदी में भी पानी बढ़ गया था। प्रशासन ने नदी तटों को खाली कराने के बाद ही श्रीनगर बैराज से पानी कंट्रोल कर लिया। वहीं, टिहरी डाम से भी आगे पानी को बंद कर दिया था। इससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। आपदा से कई छोटे पुल ध्वस्त हो गए। 13 गांवों का आपस में संपर्क कट गया।
पढ़ें: चमोली आपदाः राहत और बचाव कार्य जारी, अब तक 31 शव बरामद, 166 लापता, देखें लापता लोगों की राज्यवार सूची

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *