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April 16, 2025

जानिए बच्चों में मोबाइल की लत छुड़ाने के तरीके, बुद्धिमान बनाने के लिए खिलाएं ये चीजें

अक्सर लोग छोटे बच्चों को उस समय से ही मोबाइल थमाना शुरू कर देते हैं, जब वह बोलना और चलना तक नहीं सीख पाता है। बाद में ये बच्चों की आदत में शुमार हो जाता है और वह बगैर मोबाइल के ज्यादा देर तक चैन से नहीं रह पाते हैं। मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल मोटापे का कारण भी बनता है। साथ ही ये मेंटल हेल्थ पर असर डाल सकता है। पढ़ाई के लिए मोबाइल इस्तेमाल करने के का बहाना बनाकर कई बार बच्चे इसमें गेम्स खेलते रहते हैं। ऐसे में पैरेंट्स भी बच्चों की ये आदत छुड़ाने के लिए परेशान हो उठते हैं। हम ऐसी आदत को कम करने के उपाय बताएंगे, साथ ही ये भी बताएंगे कि बच्चों को इसका क्या नुकसान हो सकता है। साथ ही हम इस लेख के जरिये ये भी बताएंगे कि बच्चों को किस तरह की चीजें खिलाएं, जिससे उनका दिमाग दुरुस्त हो और वे बुद्धिमान बनें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मोबाइल एडिक्शन के लिए जिम्मेदार
बच्चों में मोबाइल की लत डालने के जिम्मेदार कई बार पेरेंट्स भी होते हैं। बचपन से ही बच्चे के रोने पर मोबाइल में गाने चला देना और बिजी होने पर उनको रोने न देने के लिए मोबाइल पकड़ा देना भी इस लत के कारण हैं। कई बार बच्चों को खाना खिलाने के लिए भी मोबाइल का लालच दिया जाता है और फिर यह आदत बन जाती है। आदत पड़ने के बाद बच्चा बिना मोबाइल के कोई भी काम नहीं करता है। इसका असर मेंटल हेल्थ पर पड़ता है और बच्चा जिद्दी हो जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ज्यादा स्क्रीन टाइम दिल के लिए घातक
रिसर्च में पाया गया कि जो बच्चे ज्यादा स्क्रीन टाइम बिताते हैं उनकी फिजिकल एक्टिविटी काफी कम है। वो ज्यादातर बैठकर समय बिताते हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि इकोकार्डियोग्राफी में ऐसे यंग बच्चों के दिल के वजन में वृद्धि पाई गई, जिसका सीधा संबंध फिजिकली इनएक्टिव से है।
बच्चों में बढ़ जाता है इन बीमारियों का खतरा
कई रिसर्च में ये सामने आ चुका है कि जो लोग फिजिकली एक्टिव नहीं रहते हैं उन्हें युवा अवस्था में ही मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे बच्चों में न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग और हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। जो बच्चे ज्यादा फोन या स्क्रीन पर समय बिताते हैं वो समाज से भी कट जाते हैं। ऐसे बच्चे जल्दी किसी के साथ घुलते-मिलते नहीं हैं और अपनी दुनिया में ही खोए रहते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ज्यादा मोबाइल के इस्तेमाल के खतरे
-आंकड़ों के मुताबिक 12 से 18 महीने की उम्र के बच्चों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की बढ़ोतरी देखी गई है। ये स्क्रीन को आंखों के करीब ले जाते हैं और जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है।
-आंखें सीधे प्रभावित होने से बच्चों को जल्दी चश्मा लगने, आंखों में जलन और सूखापन, थकान जैसी दिक्कतें हो रही हैं।
-स्मार्टफोन चलाने के दौरान पलकें कम झपकाते हैं। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहते हैं। माता-पिता ध्यान दें कि स्क्रीन का सामना आधा घंटे से अधिक न हो।
– कम उम्र में स्मार्टफोन की लत की वजह बच्चे सामाजिक तौर पर विकसित नहीं हो पाते हैं। बाहर खेलने न जाने की वजह से उनके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता।
-मनोविशेषज्ञों के पास ऐसे केस भी आते हैं कि बच्चे पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की तरह ही हरकतें करने लगते हैं। इस कारण उनके दिमागी विकास में बाधा पहुंचती है।
– बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल अधिकतर गेम्स खेलने के लिए करते हैं। वे भावनात्मक रूप से कमज़ोर होते जाते हैं ऐसे में हिंसक गेम्स बच्चों में आक्रामकता को बढ़ावा देते हैं।
– बच्चे अक्सर फोन में गेम खेलते या कार्टून देखते हुए खाना खाते हैं। इसलिए वे जरूरत से अधिक या कम भोजन करते हैं। अधिक समय तक ऐसा करने से उनमें मोटापे की आशंका बढ़ जाती है।
– फोन के अधिक इस्तेमाल से वे बाहरी दुनिया से संपर्क करने में कतराते हैं। जब उनकी यह आदत बदलने की कोशिश की जाती है तो वो चिड़चिड़े, आक्रामक और कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पैरेंट्स के लिए सलाह
– माता-पिता एक राय रखें। यदि मोबाइल या किसी और चीज़ के लिए मां ने मना किया है तो पिता भी मना करें। वरना बच्चे यह जान जाते हैं कि किससे परमिशन मिल सकती है।
– बच्चों का इमोशनल ड्रामा सहन न करें। अपने जवाब या राय में निरंतरता रखें। एक दिन ‘न’ और दूसरे दिन ‘हां’ न कहें। रोने लगें तो ध्यान न दें। बाद में प्यार से समझाएं।
– इंटरनेट पर कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक है तो उसे दिखाने के लिए समय तय निर्धारित करें और साथ बैठकर देखें। स्मार्ट टीवी का इस्तेमाल कर सकते हैं इससे आंखों और स्क्रीन के बीच दूरी भी बनी रहेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

लत छुड़ाने को टाइम करें फिक्स
बच्चे की फोन की लत छुड़वाने के लिए आप उनके मोबाइल का यूज करने का एक टाइम निश्चित कर लें। उसे ज्यादा मोबाइल न चलाने दें। इसी के साथ कभी भी बच्चे को खाना खाते समय फोन न दें।
दूसरे गेम्स पर बढ़ाएं दिलचस्पी
मोबाइल में कार्टून देखने के बजाय आप बच्चे लिए इनडोर गेम्स लाएं। उनको ऐसे खेल में व्यस्त रखें, लेकिन इसका भी समय निश्चित कर लें। बच्चों को खेलने के लिए पार्क में लेकर जाएं और उसे दोस्तों के साथ खेलने दें। अगर आप चाहें तो आपकी उनके पसंदीदा गेम्स या एक्टिविटीज में उनका एडमीशन करवा सकते हैं। इसमें वो मन से खेलेगा और खुद को बिजी रख पाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अपनाएं ये टिप्स
-बच्चों को सबसे ज्यादा मां-बाप के प्यार और देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे में जरूरी है कि आप बच्चे के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं, इससे आपका बच्चा मोबाइल का इस्तेमाल धीरे-धीरे बंद कर देगा।
-खाली समय में बच्चे की कैपिसिटी के अनुसार घरेलू कामों में उसका सहयोग लें, इससे बच्चा आत्मनिर्भर बनेगा और कुछ व्यवहारिक चीजें भी सीखेगा।
-शौक के हिसाब से बच्चे को पेंटिंग, डांस, म्यूजिक व अन्य क्लासेज जॉइन करा सकते हैं।
-बच्चे को नेचर की तरफ आकर्षित करें और उन्हें आउटडोर गेम्स के लिए भी प्रोत्साहित कर सकते हैं।
-अपने बच्चे को ऐसा टास्क देते रहें, जिससे उसकी रचनात्मक क्षमता का विकास हो।
-बच्चे को मोबाइल की जगह कोई पालतू पशु लाकर दें, इससे बच्चे आपस में बातचीत करना और इमोशंस को जाहिर करना सीख सकते हैं।
-इसके अलावा आप भी बच्चों के सामने ज्यादा मोबाइल यूज न करें। दरअसल बच्चे जब देखते हैं कि अधिकतर समय मेरे पैरंट्स मोबाइल में उलझे रहते हैं, तो उन्हें लगता है कि शायद मोबाइल मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन है। इसलिए वह भी मोबाइल में खोने लगते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

न करें ये गलती
-अक्सर देखने में आता है कि मां-बाप अपने बच्चों से कहते हैं कि अगर तुम जल्दी से अपना होमवर्क (या कुछ अन्य काम) कर लोगे तो तुम्हें मोबाइल देंगे। इससे बच्चा सारा ध्यान मोबाइल पर लगा देता है। वह मोबाइल के लालच में काम जल्दी जल्दी कर लेता है, लेकिन बाद में मोबाइल न मिले तो बच्चे में मां-बाप के प्रति नकारात्मक भावना का विकास होने लगता है। इसलिए ऐसी बातों से बचें।
-बच्चे से मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए उसकी पिटाई न करें। पिटाई से वह मोबाइल नहीं छोड़ेगा, उससे उलटा उसके मन में आपके प्रति निगेटिव चीजें घर कर जाएंगी। ऐसी स्थिति में बेहतर है कि आप उससे प्यार से बात करें, उसके साथ खेलें और फिर उसे मोबाइल से होने वाले नुकसान को समझाएं।
नोटः इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की पुष्टि लोकसाक्ष्य नहीं करता है। ये केवल सुझाव मात्र हैं। अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बच्चों को बुद्धिमान बनाने का तरीका
सर्दियों में बच्चों को हेल्दी रहने के लिए लोग ड्राई फ्रूट्स घर लाते हैं। यह इम्यूनिटी को बढ़ाता है और पोषक तत्‍वों की कमी को दूर करता है। ऐसे में अगर आप अपनी और बच्चों की डाइट में पाइन नट्स को शामिल कर लें, तो यह कई तरह से फायदे देगा। पाइन नट्स को चिलगोजा भी कहा जाता है। यह काजू किशमिश या बादाम से कहीं अधिक सेहत को फायदा पहुंचा सकता है। अगर रोज बच्चे को चिलगोजा पीसकर दूध में पिलाते हैं तो उसका दिमाग बहुत तेज होता है। वह पढ़ाई में भी आगे रह सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बच्चों की बुद्धिमानी के लिए करें ये प्रयोग
चिलगोजा के दस दाने रात को पानी में भिगोकर रख दें। फिर सुबह दो गिलास दूध उबालने गैस पर रखें। जब दूध डेढ़ गिलास हो जाए तो उसमें चिलगोजा का पेस्ट डालकर पकने दें। उसे करीब दस मिनट तक पकाएं। इस दूध को रोज सुबह अपने बच्चे को पिलाइए। फिर देखिए उसका दिमाग कैसे तेज होता है। वह बड़े से बड़े सवाल मिनटों में सॉल्व कर देगा। कारण ये है कि इस दूध को पीकर उसकी मेमोरी तेज होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हार्ट को हेल्दी रखता है पाइन नट्स
एक्‍सपर्ट का मानना है कि अगर आप पाइन नट्स का सेवन करते हैं और रोज ही इसे खाते हैं तो इसमें मौजूद मैग्नीशियम और कैल्शियम दिल को हेल्‍दी रहने में मदद कर सकता है।
रखे ब्रेन को हेल्‍दी
ब्रेन के लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड काफी फायदेमंद होता है, जबकि चिलगोजा में ओमेगा 3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इस तरह इसे ब्रेन फूड भी कहा जाता है। आप रोजाना बच्चे की डाइट में इसे शामिल करें।
वजन करे कम
पाइन नट्स में प्रोटीन और हेल्‍दी फैट की मात्रा काफी अधिक होती है, जिसकी वजह से शरीर पर चर्बी नहीं जमती। इस तरह यह मोटापा नहीं बढ़ाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डायबिटीज करे कंट्रोल
डायबिटीज के मरीज में पाइन नट्स का सेवन कर सकते हैं। यह ब्‍लड में शुगर लेवल नहीं बढ़ाता है। साथ ही शुगर लेवल कंट्रोल करने के काम आ सकता है.
बोन्‍स के लिए फायदेमंद
पाइन नट्स में कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम काफी मात्रा में होता है। ये तीनों बोन्‍स के स्‍ट्रक्‍चर को ठोस बनाने में मदद करते हैं। इससे बोन फ्रैक्चर का खतरा कम रहता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बच्चे के दिमाग को तेज करने के लिए खिलाएं अंडा
बच्चों को रोजाना 1-2 अंडे जरूर खिलाने चाहिए। अंडा खाने से शरीरिक और मानसिक विकास अच्छा होता है। अंडा प्रोटीन, विटामिन डी, विटामिन बी और दूसरे पोषक तत्वों से भरपूर है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड और फोलिक एसिड होता है, जो बच्चे के मानसिक विकास के लिए अच्छा होता है।
दूध की डालिए आदत
बच्चों का मुख्य आहार दूध ही होता है। इसकी आदत बच्चों को डालनी जरूरी है। पहले बच्चे 2-3 साल तक सिर्फ दूध ही पीते थे, अगर आप बच्चे के दिमाग को तेज बनाना चाहते हैं तो उसे दूध जरूर दें। दूध में कैल्शियम और विटामिन्स पाए जाते हैं, जो विकास में मदद करते हैं। दूध में फास्फोरस और विटामिन डी पाया जाता है, जो हड्डी, नाखूनों और दांत को हेल्दी रखता है।
ड्राई फ्रूट्स भी हैं लाभकारी
बच्चों शुरुआत से ही मेवा खिलाने की आदत डालें। खासतौर से बच्चों को रोजाना भीगे हुए बादाम, अखरोट और किशमिश खिलाएं। इससे बच्चे का दिमाग तेज होगा और शारीरिक विकास में भी मदद मिलेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

केले से मिलेगी एनर्जी
बढ़ते बच्चे को रोजाना केला जरूर खिलाएं। केला खाने से तुरंत एनर्जी मिलती है और ये बच्चों का पसंदीता फल होता है। केला खाने से विटामिन B6, विटामिन C, विटामिन A, मैग्निशियम, पोटैशियम और फाइबर मिलता है, जो बच्चे के विकास में मदद करते हैं।
बच्चों को जरूर खिलाएं घी
पुरानी एक कहावत भी है कि बच्चों को घी खिलाओ तो दिमाग तेज होगा। बच्चे को घी जरूर खिलाएं। इससे डीएचए (DHA) और गुड फैट शरीर को मिलता है। ये दोनों चीजें बच्चे के दिमाग को विकसित करती हैं। देसी घी में एंटीफंगल, एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबैक्टिरियल गुण पाए जाते हैं, जो इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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