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December 24, 2024

जानिए माघी पूर्णिमा में स्नान और दान का महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि व व्रत कथा, बता रहे हैं आचार्य डॉ. सुशांतराज

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, दान और ध्यान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, दान और ध्यान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। वैसे तो साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं। इसमें पूर्ण चंद्रोदय होता है, लेकिन माघ महीने की पूर्णिमा का अपना अलग महत्व है। माघ महीने की पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों और मुख्य रूप से गंगा नदी में स्नान करते हैं। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यहां आचार्य डॉ. सुशांतराज इस दिन के महत्व, पूजन की विधि, व्रत कथा के संबंध में विस्तार से बता रहे हैं।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस साल माघ मास की पूर्णिमा 27 फरवरी 2021 को है। हिन्दू मान्यतानुसार पूर्णिमा तिथि को बेहद शुभ माना जाता है। हर मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा तिथि होती है और उसी तिथि से नए माह की शुरुआत होती है। इस साल माघ मास की पूर्णिमा 27 फरवरी 2021 (शनिवार) को है। कहा जाता है कि माघी पूर्णिमा या माघ पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ उदित होता है।
माघ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
माघ पूर्णिमा आरंभ- 26 फरवरी 2021 (शुक्रवार) को दोपहर 03 बजकर 49 मिनट से।
माघ पूर्णिमा समाप्त- 27 फरवरी 2021 (शनिवार) दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर।
उदया तिथि 27 फरवरी को है। इसलिए इस दिन मुख्य रूप से पूर्णिमा तिथि मनाई जाएगी। इसी दिन नदियों में स्नान से पुण्य की प्राप्ति होगी।
माघ पूर्णिमा पर स्नान और दान का महत्व
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की माघ पूर्णिमा के दिन नदियों में स्नान करने और पात्र व्यक्त्यिों को दान करने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि माघ पूर्णिमा को नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप कर्म मिट जाते हैं। उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से करते हैं, उनकी ही कृपा से मोक्ष मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सभी कलाओं के साथ आसमान में निकलता है। उस दिन पूर्ण चंद्रमा दिखाई देता है।
कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदी जैसे गंगा में स्नान करने से और दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी वजह से माघ पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार जैसे तीर्थ स्थानों में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। हिन्दू मान्यता के अनुसार माघ पूर्णिमा पर स्नान करने वाले लोगों पर भगवान विष्णु मुख्य रूप से प्रसन्न होते हैं और उन्हें सुख सौभाग्य और धन-संतान तथा मोक्ष प्रदान करते हैं।
माघ पूर्णिमा में चन्द्रमा अपनी संपूर्ण कलाओं से भरा होता है। इसलिए इस दिन पूजन अत्यंत लाभकारी होता है। माघ पूर्णिमा में विशेष रूप से भूखे और गरीबों को भोजन कराएं जिससे आपको पुण्य की प्राप्ति हो सके। किसी भी पवित्र नदी में स्नान करें. कहा जाता है इस दिन गंगा स्नान से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। माघ पूर्णिमा की पूर्णिमा पर चंद्रमा मघा नक्षत्र और सिंह राशि में होता है। इसलिए यह माघ मास कहलाता है और इसकी पूर्णिमा अत्यंत फलदायी होती है।
इस तिथि को भगवान विष्णु का वास नदियों में होता है, इसलिए स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन गंगा स्नान करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माना जाता है कि माघ माह में देवता पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य रूप धारण करके प्रयाग में स्नान, दान और जप करते हैं। इसलिए इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से समस्त इच्छाएं पूरी होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है यदि माघ पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो इस तिथि का महत्व और बढ़ जाता है।
माघ पूर्णिमा व्रत विधि
इस पूर्णिमा पर सुबह उठ जाना चाहिए। इस दिन सुबह उठने का महत्व है। स्नान करना चाहिए। पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकते तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्घ्य देना चाहिए। स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। भगवान कृष्ण या विष्णु की पूजा करें। इस व्रत में काले तिल का विशेष रूप से दान किया जाता है।
तुलसी पौधे की करें आराधना
पूर्णिमा की रात को माता लक्ष्मी के स्वागत करने के लिए पूर्णिमा की सुबह-सुबह स्नान कर तुलसी को भोग, दीपक और जल अवश्य चढ़ाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। इसके अलावा पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी के मंत्र का जाप भी करना चाहिए।
मन की शांति पाने के लिए करें उपाय
मानसिक शांति पाने के लिए पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चन्द्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर “ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम:” या ” ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:. ” मंत्र का जप करते हुए अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करने से आपकी मानसिक समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
आर्थिक लाभ पाने के लिए करें यह काम
पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करें। अगले दिन इन कौड़ियों को एक लाल कपड़े में बांधकर वहां रख दें जहां आप अपना धन रखते हैं। ऐसा करने से घर में कभी भी धन की कमी नहीं रहेगी।
दांपत्य जीवन में मधुरता के लिए करें ये उपाय
पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने और दांपत्य जीवन में मधुरता लाने के लिए माघ पूर्णिमा के दिन व्रत करने के साथ चंद्रोदय होने के बाद दोनों पति-पत्नी को संयुक्त रूप से गाय के दूध से चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। इससे दंपत्य जीवन सुखमय रहता है।
धन से जुड़ी समस्या को दूर करने के लिए करें उपाय
शास्त्रों में इस बात का वर्णन है कि पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करना चाहिए।
माघ पूर्णिमा व्रत कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, कांतिका नगर में धनेश्वर नाम का ब्राह्मण निवास करता था। वह अपना जीवन निर्वाह दान पर करता था। ब्राह्मण और उसकी पत्नी के कोई संतान नहीं थी। एक दिन उसकी पत्नी नगर में भिक्षा मांगने गई, लेकिन सभी ने उसे बांझ कहकर भिक्षा देने से इनकार कर दिया। तब किसी ने उससे 16 दिन तक मां काली की पूजा करने को कहा। उसके कहे अनुसार ब्राह्मण दंपती ने ऐसा ही किया। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर 16 दिन बाद मां काली प्रकट हुई। मां काली ने ब्राह्मण की पत्नी को गर्भवती होने का वरदान दिया और कहा कि अपने सामर्थ्य के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा को तुम दीपक जलाओ। इस तरह हर पूर्णिमा के दिन तक दीपक बढ़ाती जाना जब तक कम से कम 32 दीपक न हो जाएं।
ब्राह्मण ने अपनी पत्नी को पूजा के लिए पेड़ से आम का कच्चा फल तोड़कर दिया। उसकी पत्नी ने पूजा की और फलस्वरूप वह गर्भवती हो गई। प्रत्येक पूर्णिमा को वह मां काली के कहे अनुसार दीपक जलाती रही। मां काली की कृपा से उनके घर एक पुत्र ने जन्म लिया, जिसका नाम देवदास रखा। देवदास जब बड़ा हुआ तो उसे अपने मामा के साथ पढ़ने के लिए काशी भेजा गया।
काशी में उन दोनों के साथ एक दुर्घटना घटी, जिसके कारण धोखे से देवदास का विवाह हो गया। देवदास ने कहा कि वह अल्पायु है, परंतु फिर भी जबरन उसका विवाह करवा दिया गया। कुछ समय बाद काल उसके प्राण लेने आया, लेकिन ब्राह्मण दंपती ने पूर्णिमा का व्रत रखा था। इसलिए काल उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाया। तभी से कहा जाता है कि पूर्णिमा के दिन व्रत करने से संकट से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आचार्य का परिचय
नाम डॉ. आचार्य सुशांत राज
इंद्रेश्वर शिव मंदिर व नवग्रह शनि मंदिर
डांडी गढ़ी कैंट, निकट पोस्ट आफिस, देहरादून, उत्तराखंड।
मो. 9412950046

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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