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July 10, 2025

जानिए दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त, गलती से न चढ़ा दें तुलसी या सफेद फूल, राशि के अनुसार करें ये उपाय

दिवाली हिन्दू धर्म का प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। आज 14 नवंबर को कार्तिक मास की अमावस्या है। रोशनी के इस त्योहार में धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी और विघ्नहर्ता गणेश देवता की पूजा की जाती है। इस दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज के अनुसार जानिए दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन की विधि और राशि के अनुसार क्या उपाय करने चाहिए।
शुभ मुहूर्त-दीपावली,14 नवंबर 2020
व्यापारिक प्रतिष्ठान, शोरूम, दुकान, गद्दी की पूजा, कुर्सी की पूजा, गल्ले की पूजा, तुला पूजा, मशीन-कंप्यूटर, कलम-दवात आदि की पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त अभिजित- दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से आरम्भ हो जाएगा। इसी के मध्य क्रमशः चर, लाभ और अमृत की चौघडियां भी विद्यमान रहेंगी जो शायं 04 बजकर 05 मिनट तक रहेंगी।
गृहस्थों के लिए पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त और प्रदोषकाल
सायं 5 बजकर 24 मिनट से रात्रि 8 बजकर 06 तक प्रदोषकाल मान्य रहेगा। इसके मध्य रात्रि 7 बजकर 24 मिनट से सभी कार्यों में सफलता और शुभ परिणाम दिलाने वाली स्थिर लग्न वृषभ का भी उदय हो रहा है। प्रदोष काल से लेकर रात्रि 7 बजकर 5 मिनट तक लाभ की चौघड़िया भी विद्यमान रहेगी। यह भी मां श्रीमहालक्ष्मी और गणेश की पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक है। इसी समय परम शुभ नक्षत्र स्वाति भी विद्यमान है जो 8 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। सभी गृहस्थों के लिए इसी समय के मध्य में मां श्रीमहालक्ष्मी जी की पूजा-आराधना करना श्रेष्ठतम रहेगा।
अतिशुभ मुहूर्त निशीथ काल
जप-तप पूजा-पाठ आराधना तथा विद्यार्थियों के लिए माँ श्री महासरस्वती की वंदना करने का समय रात्रि 8 बजकर 06 से 10 बजकर 49 तक रहेगा। 
ईष्ट साधना तथा तांत्रिक पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त महानिशीथ काल
घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करन वाली मां श्री महाकाली, प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने वाले भगवान श्रीकाल भैरव की पूजा, तांत्रिक जगत तथा ईस्ट साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त महानिशीथ काल का आरंभ रात्रि 10 बजकर 49 मिनट से आरंभ होकर मध्य रात्रि पश्चात 1 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। 
लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त
देहरादून 5 बजकर 23 मिनट – 7 बजकर 18 मिनट तक
नैनीताल 5 बजकर 19 मिनट – 7 बजकर 15 मिनट तक
अल्मोड़ा 5 बजकर 18 मिनट – 7 बजकर 13 मिनट तक
ऋषिकेश 5 बजकर 22 मिनट – 7 बजकर 18 मिनट तक
हरिद्वार   5 बजकर 23 मिनट – 7 बजकर 19 मिनट तक


लक्ष्मी पूजा में जरूर रखें इन बातों का ध्यान
लक्ष्मी पूजने के समय कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। ताकी आपकी पूजा और अधिक सफल हो और फलकारी हो। इसके लिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
तुलसी के पत्ते न चढ़ाएं
भगवान विष्णु को तुलसी सबसे अधिक प्रिय होती है, लेकिन देवी लक्ष्मी को तुलसी से वैर है क्योंकि यह भगवान विष्णु के दूसरे स्वरूप शालिग्राम की पत्नी है। इस नाते तुलसी देवी लक्ष्मी की सौतन है। इसलिए देवी लक्ष्मी की पूजा में तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए।
दीपक को बायीं ओर न रखें
देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए दीपक की बाती का रंग लाल होना चाहिए दीपक को दायीं ओर रखें। दीपक बायीं ओर नहीं रखना चाहिए। इसका कारण यह है कि भगवान विष्णु अग्नि और प्रकाश स्वरूप हैं। भगवान विष्णु का स्वरूप होने के कारण दीप को दायी ओर रखना चाहिए।
सफेद फूल न चढ़ाएं
सफेद फूल देवी लक्ष्मी को नहीं चढ़ाएं। देवी लक्ष्मी चीर सुहागन हैं इसलिए इन्हें हमेशा लाल फूल जैसे लाल गुलाब और लाल कमल फूल चढ़ाया जाता है।
भगवान विष्णु की पूजा करना न भूलें
देवी लक्ष्मी की पूजा तब तक सफल नहीं मानी जाती है जब तक भगवान विष्णु की पूजा नहीं होती है। इसलिए दीपावली की शाम गणेश जी की पूजा के बाद देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की भी पूजा करें।
प्रसाद रखें दक्षिण दिशा में
देवी लक्ष्मी की पूजा के समय प्रसाद दक्षिण दिशा में रखें और फूल बेलपत्र हमेशा सामने रखें।
दिवाली में राशि के अनुसार करें उपाय
इस दिन राशि के अनुसार कुछ उपाय करने से जीवन में धन-वैभव, सुख और संपन्नता आती है। आप ये उपाय अपनी राशि के अनुसार कर सकते हैं-
मेष : आप अपने पूजा घर की दीवार पर लाल रंग लगाएं और कमल गट्टे की माला लाल रंग के वस्त्र में लपेटकर अपनी तिजोरी या अलमारी में रखें।
वृष : दो घी के दीपक जलाकर उन्हें कहीं सूनसान में रख आएं अथवा पांच पीपल के पत्तों पर पीला चंदन लगाकर उन्हें नदी में बहा दें।
मिथुन : धनलाभ के लिए लक्ष्मी पूजन के साथ दक्षिणवर्ती शंख की पूजा करें और उन्हें तिजोरी या अलमारी में रख दें। आप चाहें तो एक अन्य उपाय और भी आजमा सकते हैं हल्दी की माला बनाकर गणेश महाराज को पहनाएं और पूजन के बाद माला को हरे वस्त्र में लपेटकर धन स्थान में रख दें।
कर्क : आपको धनतेरस की की शाम में अपने घर के बाहर एक दीप जलाने के अलावा एक पंचमुखी दीप किसी पीपल के वृक्ष के नीचे जलाना चाहिए।
सिंह : दीपावली के दिन मूंग को भिंगोकर भूमि में दबा दें। मध्य रात्रि में एक घी का दीपक जलाकर मुख्य द्वार पर इस तरह रखें कि वह पूरी रात जलता रहे।
कन्या : आर्थिक मामलों में उन्नति के लिए आपको धनतेरस के दिन कमलगट्टे का माला लाकर अपनी तिजोरी में रखना चहिए। लक्ष्मी नारायण के मंदिर में जाकर देवी लक्ष्मी को माला अर्पित करने से भी लाभ मिलता है।
तुला : दीपावली के दिन प्रातः स्नान पूजन के बाद एक नारियल ले जाकर देवी लक्ष्मी के मंदिर में अर्पित करें। शुक्रवार के दिन धनतेरस है इस दिन सात कन्याओं को मीठी रोटी और खीर खिलाएं। इसके बाद अगले सात शुक्रवार ऐसा करें।
वृश्चिक : आपको दीपावली के दिन दो केले का पौधा किसी मंदिर में लगाना चाहिए। इसके अलावा नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीपावली के दिन पीपल में जल देना चाहिए। इसके बाद लगातार 21 शनिवार पीपल में जल देने का सिलसिला बनाए रखें।
धनु : दीपावली के दिन पीले कपड़े में केले के जड़ को लपेट पर अपनी बाजू में बांध लें। एक अन्य उपाय यह भी कर सकते हैं कि रोली से पान के दो पत्तों पर ‘श्री’ लिखकर एक को तिजोरी में रखें और दूसरे को दीपावली के अगले दिन गाय को खिला दें।
मकर : दीपावली की रात में पूजा घर में जागरण कीर्तन करना चाहिए और नारियल के छलके पर एक दीप जलाकर उसे पूरी रात जलाए रखना चाहिए।
कुंभ : कुंभ राशि के लोग दीपावली की रात स्फटिक या कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप करें- ऊं ह्रीं ऐं क्लीं श्रीं।
मीन : नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीपावली के दिन हनुमान जी को लाल चोला चढ़ाएं। इसके अलावा दीपावली के दिन लक्ष्मी नारायण के मंदिर में धूप-दीप का दान करें।

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आचार्य का परिचय
नाम डॉ. आचार्य सुशांत राज
इंद्रेश्वर शिव मंदिर व नवग्रह शनि मंदिर
डांडी गढ़ी कैंट, निकट पोस्ट आफिस, देहरादून, उत्तराखंड।
मो. 9412950046

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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