बेटे को थिएटर की वर्कशॉप में ले गई और मिल गया बॉलीवुड में एंट्री का रास्ता, जानिए इस अभिनेत्री की कहानी
कौन कह सकता है कि कब आपकी किस्मत पलटने का इंतजार कर रही है। आपको खुद भी पता नहीं होता कि आप कहां से कहां तक पहुंच जाओगे। पहली सीढ़ी जरूर कोई दिखाता है, लेकिन ऊपर चढ़ने का हौंसला आपके पास ही होना चाहिए। तभी तो दून की इस कलाकार ने अपनी मेहनत के दम पर बॉलीबुड की फिल्मों के साथ ही टीवी सीरियलों में अपनी पहचान बना ली। वह अपने बेटे को थियेटर के गुर सिखाने के लिए वर्कशॉप के लिए ले गई और यहीं से उनकी सफलता का रास्ता निकला। अब तक वह ढेरों सीरियल और फिल्मों में काम कर चुकी हैं।
यहां बात कर रहे हैं, दून के बल्लीवाला चौक निवासी बबीता अनंत की। बबीता के संघर्ष की कहानी भी बड़ी रोचक है। उनके साथ सबसे अच्छी बात यह रही कि उनके आगे बढ़ने के दौरान जो भी लोग उन्हें मिले, सभी ने उन्हें पूरा समर्थन किया। फिर उनकी अपनी मेहनत का नतीजा रहा कि वह एक कलाकार के रूप में पहचान बनाने में सफल रहीं। आइए हम जानते हैं बबीता के संघर्ष की कहानी।
बतीता अनंत भी एक साधारण परिवार से हैं। उनके पति आकाश अनंत सीपीएम में प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं। बबीता बताती हैं कि बचपन से ही उन्हें संगीत का शौक था। केंद्रीय विद्यालय में शिक्षा ग्रहण की तो किसी समारोह आदि के मौके पर ही उन्हें गाना गाने का मौका मिलता था। घर पर ही वह गीत गुनगुनाया करती थीं।
वर्ष 91 में जब उनकी शादी हुई तो वह छात्रा थीं। तब वह बीए फाइनल कर रही थीं। वर्ष 92 में उनका बेटा हुआ। इसके बाद ऊी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। बीएड किया। संगीत में विशारद और प्रभाकर भी किया। साथ ही वर्ष 95 में उन्होंने निजी स्कूल में शिक्षिका की नौकरी भी शुरू की। उनकी कालोनी में अशोक वशिष्ठ नाम के अंकल एक दिन उनके घर आए। उन्होंने कहा कि दून में अभिरंग नाट्य संस्था की वर्कशाप चल रही है। इसमें बेटे को लेकर जाए। वह नाट्य विधा के गुर सीख लेगा। इस पर वह वर्कशाप के लिए बेटे को लेकर गई। तब संस्था के संस्थापक अतीक अहमद (देहरादून के जाने माने रंगकर्मी, जो अब दिवंगत हो गए) ने उन्हें कहा कि वह भी संस्था से जुड़ जाए। यहीं से उनका थियेटर में पदार्पण हुआ।
बबीता के मुताबिक एक दिन गायक व कलाकार सुरेंद्र शर्मा को लेकर अतीक अहमद उनके घर पहुंचे। उन्होंने बताया कि दूरदर्शन के लिए गीत तैयार करना है। इसका वे हर दिन अभ्यास करने लगे। इस गाने को दूरदर्शन की टीम ने एप्रूव भी कर दिया। गाने की रिकॉर्डिंग देहरादून में हुई। रिकॉर्डिंग में कुछ तकनीकि दिक्कत होने पर दोबारा से रिकॉर्ड करने को बुलाया गया। उसी दौरान कैमरामैन सुलतान अहमद ने कॉमेडी शॉर्ट फिल्म के लिए आफर किया। इसमें काम किया और 31 दिसंबर 2008 को यह फिल्म दूरदर्शन के देहरादून केंद्र से दिखाई जानी थी।
वह बताती हैं कि उस दिन के लिए उन्होंने सभी परिचितों को फोन करके जानकारी दी कि इस दिन देहरादून दूरर्शन केंद्र का प्रसारण जरूर देखना। सभी ने टीवी आन किए, लेकिन फिल्म नहीं आई। इसी बीच पता चला कि यह फिल्म तो राष्ट्रीय चैनल में आ रही है। एक घंटे के कार्यक्रम के दौरान इस फिल्म को भी दिखाया गया। जिसे दर्शकों ने काफी सराहा।
इसके बाद तो वह जब भी किसी के घर जाती तो लोग उनके डायलॉग बोलकर मस्ती करते। इसके बाद उनकी दूरदर्शन पर एंट्री हो चुकी थी। डीडी कश्मीर, देहरादून केंद्र के साथ ही नेशनल के लिए उन्होंने कई प्रोग्राम किए। साथ ही उत्तराखंड सरकार के विज्ञापनों में भी उन्हें काम मिलने लगा। फिर कविता चौधरी के सीरियल योगयात्रा पर उन्हें काम मिला। यहीं से उनकी बॉलीबुड में एंट्री हुई। साथ ही उन्होंने चार फिल्में लव डे, साइलेंट हीरोज आदि में काम किया। अब वह करीब छह साल से मुंबई में ही रह रही हैं। लाकडाउन के दौरान देहरादून घर आ गई। उन्होंने दो रियल्टी शो मास्टर शैफ, जी सिनेस्टार की खोज में भी क्वालीफाई किया। साथ ही बेटी एक व बेटी दो शार्ट फिल्म भी की। इस वक्त उनके पास दो फिल्मों के आफर हैं। लॉकडाउन के दौरान इनकी शूटिंग की डेट अभी स्थगित हो रखी है।
बबीताअनंत की यात्रा
वह अब तक 19 फिल्मों में छोटी-बड़ी भूमिका कर चुकी हैं। इनमें लव डे, साइलेंट हीरोज, योगयात्रा, राजू बजरंगी, रागदेश, एकला, रइस, होटल मुंबई, डियर जिंदगी, सेटेलाइट शंकर, जिंदगी अभी बाकी है, मंदाकिनी, छू ले आसमान, भावप्रिया, पीएम मोदी, कीसी एंड मैनी, लाइफ फोलोस आन, बाइसाइकिल ब्वॉय, माई नेम इस सुमन नेगी।
टीवी सीरियल
जोधा अकबर, लौट आओ त्रिशा, साबजी, शिखा, तू आशिकी, वारिश, मेरे साईं, सीआइडी, सावधान इंडिया, कोड रेड, जिंदगी खट्टी मिट्ठी, आपके आ जाने से, ऐसी दीवानगी, नई राहें, क्राइम अलर्ट, प्रकृति, अदालत, अय्याश बहु सुरभि आदि।
वेव सीरिज
सिटी ऑफ ड्रीम्स, भाक, द घोस्ट, अनदेखी, प्यास, चार का पंचनामा आदि।
शार्ट फिल्म
दे अनादर डे, बेटी, पहल, खोज, चार दोस्त, उलझन, दुल्हन, दहेज आदि।
थियेटर
आंधा युग, गिरगिट, तिवित्रा, अंधेर नगरी चौपट राजा, बचाओ चाचा, देश को आगे बढ़ाओ, रानी नागफनी की कहानी, ताजमहल का टेंडर, चिपको, धरती की पीड़ा, अंतरद्वंद्व हेयाती, यमपाल, उजाड़, अग्रसेन महाराज, नटरंग, पति पत्नि और कोर्ट, हम पांच, क्वेद एक हयात, एक था चेखोव, सूरजमुखी और हेमलेट, स्वीट ओर शोर।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
एक बहुत ही मेहनती मझी हुई कलाकार
अनोखी प्रतिभा की धनी