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December 17, 2024

भाई बहन का त्योहार भाई दूज का जानिए शुभ मुहूर्त, त्योहार मनाने की विधि, इस दिन की मान्यता

भाई दूज 16 नवंबर को मनाया जाएगा। यह त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हर वर्ष मनाया जाता है। भाईदूज का पर्व रक्षाबंधन की तरह ही मनाया जाता है। इसमें बहन भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी सुख और समृद्धि का कामना करती है। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। भैया दूज का त्योहार दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन बहनों को अपने भाइयों के सुखी जीवन के लिए उपाय जरूर करने चाहिए। यहां डॉक्टर आचार्य सुशांत राज बता रहे हैं भाई दूज मनाने की विधि और इस दिन की मान्यता।
भाई दूज मनाने की विधि
भाई दूज वाले दिन आसन पर चावल के घोल से चौक बनाएं। इस चौक पर भाई को बिठाकर बहन अपने के हाथों पर चावलों का घोल लगाएं। उसके ऊपर सिंदूर लगाकर फूल, पान, सुपारी तथा मुद्रा रखकर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ते हुए यह बोलें – गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे, मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें। अब बहन भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर कलावा बांधें। भाई को मिठाई, मिश्री माखन खिलाए।
भाई की लंबी आयु के लिए करें यह उपाय
भाई की लंबी उम्र की कामना करें। इसके उपरांत यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जलाकर घर की दहलीज के बाहर रखें। यह उपाय करने से आपके भाई के जीवन की विघ्न-बाधाएं दूर हो जाएंगी।
भाई दूज शुभ मुहूर्त 2020
भाई दूज तिथि- सोमवार, 16 नवंबर 2020
भाई दूज तिलक मुहूर्त – दोपहर 1 बजकर 11 मिनट से 3 बजकर 17 मिनट तक


ये है पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया की दो संताने थी। यमराज और यमुना। भाई और बहन दोनों में बड़ा ही स्नेह था। बहन यमुना हमेशा चाहती थी भाई यमराज उनके घर आकर भोजन ग्रहण किया करें। लेकिन हमेशा काम में व्यस्त रहने वाले यमराज बहन की विनती को टाल देते थे।
एक बार बहन यमुना ने कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर अपने घर के दरवाजे पर भाई यमराज को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुई। बहन यमुना ने बहुत ही प्रसन्न मन से भाई यमराज को भोजन करवाया। बहन के स्नेह और प्यार को देखकर भाई यमदेव ने वर मांगने को कहा।
तब बहन ने वरदान के रूप में यमराज से यह वचन मांगते हुए कहा कि आप हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भोजन करने आएं। साथ ही इस तिथि पर जो बहने अपने भाई को टीका लगाकर उन्हें भोजन खिलाएं उनमें आपका भय न हो।
तब यमदेव ने बहन यमुना को यह वरदान देते हुआ कहा कि आगे से ऐसा ही होगा। तब से यही परंपरा चली आ रही है कि हर वर्ष जो बहने अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर भोजन कराएंगी उसे और उसके भाई को कभी भी यमदेव का भय नहीं सताएगा।


आचार्य का परिचय
नाम डॉ. आचार्य सुशांत राज
इंद्रेश्वर शिव मंदिर व नवग्रह शनि मंदिर
डांडी गढ़ी कैंट, निकट पोस्ट आफिस, देहरादून, उत्तराखंड।
मो. 9412950046

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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