एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों को सीयूईटी के तहत परीक्षा से रखें मुक्तः डॉ. सुनील अग्रवाल
एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने यूजीसी एवं गढ़वाल विश्वविद्यालय को पत्र भेजकर हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों को प्रवेश में सीयूईटी (CUET) की बाध्यता से मुक्त रखने की मांग की है। उन्होंने कहा कि गत सत्र में यूजीसी द्वारा नॉर्थ ईस्ट स्टेट्स एवं हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय को प्रवेश में CUET की बाध्यता से मुक्त रखा गया था। वर्तमान सत्र में भी केंद्र सरकार द्वारा 15 मार्च को यूजीसी को पत्र भेजा गया था कि विगत सत्र की भांति वर्तमान सत्र में भी नॉर्थईस्ट स्टेट्स एवं हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय को प्रवेश में CUET की बाध्यता से मुक्त रखा जाए। उन्होंने कहा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा कराई गई CUETकी b.ed प्रवेश परीक्षा में छात्रों के परीक्षा सेंटर 300 किलोमीटर दूर रखने के कारण अधिकतर छात्र प्रवेश परीक्षा से वंचित हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. सुनील अग्रवाल ने बताया कि इस संबंध में एसोसिएशन द्वारा पूर्व में भी यूजीसी एवं हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय को पत्र भेजे गए थे। इसमें यह कहा गया था कि स्व वित्त पोषित कॉलेज अपने संसाधनों से संचालित किए जाते हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से कोई ग्रांट नहीं मिलती है। ऐसी स्थिति में सीटें खाली रखने से कॉलेजों का संचालन मुश्किल होता है। CUET के फॉर्म भरने में विश्वविद्यालयों का तो उल्लेख है, लेकिन जो फॉर्म आगे खोला जाता है तो उसमें स्ववित्तपोषित कॉलेजों का नाम नहीं आता। ऐसे में छात्रों के सामने कॉलेज के चॉइस की कोई स्थिति नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि छात्र को सिर्फ गढ़वाल विश्वविद्यालय का नाम दिखाई देता है। उससे संबंध स्ववित्तपोषित कॉलेजों का नहीं। जब छात्रों को कॉलेजों के नाम कॉलेजों का स्थान और कॉलेजों मैं संचालित कोर्सों का ही नहीं पता होगा तो वह कॉलेज का विकल्प नहीं दे पाएगा। गत सत्र में बीएड कोर्स में CUET की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से कॉलेजों में प्रवेश हुए थे। इसमें 50 फीसद सीटें कॉलेजों में खाली रह गई थी। इसके लिए छूट देने की विश्वविद्यालय से मांग की गई थी, लेकिन विश्वविद्यालय ने बिना CUET के प्रवेश की अनुमति नहीं दी थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि वर्तमान सत्र में डीएवी कॉलेज के प्रधानाचार्य को यूजीसी की चिट्ठी में कहा गया कि हेमवतीनंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय प्रवेश के संबंध में स्वयं निर्णय ले, लेकिन पिछले वर्ष के अनुभव के आधार पर यह कहना पड़ रहा है कि विश्वविद्यालय के अधिकारी अपने स्तर पर कोई निर्णय नहीं लेते। इसके कारण छात्र प्रवेश से वंचित रह जाते हैं। साथ ही छात्र संख्या कम होने से कॉलेजों का संचालन मुश्किल होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा प्रवेश में स्ववित्तपोषित कॉलेजों के साथ दोहरा व्यवहार किया जाता है। गत सत्र में
विश्वविद्यालय द्वारा CUET की प्रवेश परीक्षा के छात्रों कि पहले अपने कैंपस के लिए काउंसलिंग कराई गई। उसके बाद स्ववित्तपोषित कॉलेजों को प्रवेश की अनुमति दी गई। जो कि स्ववित्तपोषित कॉलेजों के साथ दोहरा व्यवहार है। इन परिस्थितियों के कारण यूजीसी एवं गढ़वाल विश्वविद्यालय को पुनःपत्र भेजा गया है कि वर्तमान सत्र के लिए भी गत सत्र की भांति प्रवेश में सीवीटी की बाध्यता से मुक्त रखा जाए। इसके अतिरिक्त जब तक स्ववित्तपोषित कॉलेजों का नाम समर्थ पोर्टल में नहीं खुलता है, ऐसे में यही समझा जाता है स्ववित्तपोषित कॉलेज इसमें शामिल नहीं है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।