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October 12, 2025

करवा चौथ व्रत आज, उत्तराखंड में महिला कार्मिकों को अवकाश, जानें चांद निकलने का समय, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

आज शुक्रवार 10 अक्टूबर 2025 को देशभर में करवा चौथ का पावन व्रत श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। यही नहीं, विदेशों में भी हिंदू महिलाएं इस त्योहार को मनाना नहीं भूलती। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। उत्तराखंड में तो उत्तराखंड शासन के अधीन शासकीय, अशासकीय कार्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, शासकीय प्रतिष्ठानों में कार्यरत महिला कर्मियों के लिए सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। आइए जानते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये है शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर रात 10:54 बजे से प्रारंभ हो गई थी, इसका समापन आज 10 अक्टूबर, शाम 7:38 बजे होगा। पूजा मुहूर्त शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक रहेगा (कुल 1 घंटा 14 मिनट)। करवा चौथ का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र कैलेंडर पर आधारित होता है और यह कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है।
करवा चौथ पंचांग
करवा चौथ पर आज 10 अक्टूबर 2025 को शुक्रवार का दिन है। पंचांग के मुताबिक आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। आज के दिन सुहागिनों का प्रिय करवा चौथ त्योहार मनाया जा रहा है। आज शाम चंद्रोदय का समय रात 08:12 (मानक समय) पर रहेगा।
करवा चौथ पर राहुकाल का समय
करवा चौथ पर आज 10 अक्टूबर को राहुकाल सुबह 10:40 से 12:08 तक रहेगा। इस समय कोई शुभ काम न करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस तरह करें पूजा
शुभ मुहूर्त में करवा चौथ की पूजा होगी। भगवान गणेश, माता गौरी और शिव जी की पूजा करें। पीली मिट्टी से गणेश, गौरी और शिव जी की मूर्ति बनाकर चौकी पर स्थापित करें। फिर गणेश जी, माता गौरी और शिव जी पूजा करें। माता गौरी को अक्षत्, सिंदूर, सोलह श्रृंगार की सामग्री, लाल फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें। 8 पूड़ियों की अठावरी, करवा आदि अर्पित करें। इस दौरान करवा चौथ पूजा मंत्र पढ़ें और व्रत कथा सुनें। आरती के बाद अखंड सौभाग्य की प्रार्थना करें। रात को चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दें। शुक्रवार व्रत की लक्ष्मी पूजा सूर्यास्त बाद करें। सुबह में वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी की पूजा करें और रात में चंद्रमा की पूजा करें। पंचांग से देखें करवा चौथ के पूरे दिन के शुभ मुहूर्त और चांद निकलने का समय। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शहरों के अनुसार चंद्रोदय का समय
दिल्ली और नोएडा: रात 8:13 बजे
चंडीगढ़, पंजाब, जम्मू और लुधियाना: रात 8:08 से 8:11 बजे के बीच
कोलकाता: शाम 7:41 बजे
लखनऊ और प्रयागराज: रात 8:02 बजे
देहरादून में चांद का दीदार शाम सात बजकर 42 मिनट पर रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बाजारों में रही भीड़
गुरुवार को देहरादून के मुख्य पलटन बाजार में मेहंदी लगाने वालों की इतनी अधिक भीड़ थी कि महिलाएं पर्ची लेकर लाइन में लगकर घंटों तक इंतजार करते रहे। वहीं शाम के बाद पलटन बाजार में पैदल चलने वालों को भी परेशानी हुई। इसके अलावा डीएल रोड, प्रेमनगर सहित अन्य बाजारों में भी खरीददारी के लिए भीड़ रही। त्योहारी सीजन के शुरूआती पर्व करवा चौथ पर दुकानों में उमड़ी भीड़ के बीच दुकानदारों के पास फुर्सत नहीं थी। ग्राहकों की भीड़ देखकर दुकानदार खासा उत्साहित नजर आए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

करवा चौथ के दिन पीरियड आ जाए तो ऐसा करें
व्रत के दिन ही अगर पीरियड आ जाए तो टेंशन न लें। आप पूरे 16 श्रृंगार करें और इस दिन का आनंद उठाएं। अपना व्रत जारी रखें, लेकिन पूजा-पाठ न करें। हां, आप मानसिक तौर पर करवा माता का ध्यान करते हुए अपने मंगलमय वैवाहिक जीवन की कामना कर सकती हैं।
नोटः इस लेख में दी गई जानकारी सिर्फ धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। लोकसाक्ष्य इसे लेकर कोई दावा नहीं करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जानिए करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ को करक चतुर्थी भी कहा जाता है। “करवा” या “करक” मिट्टी के उस पात्र को कहा जाता है, जिससे चंद्रमा को अर्घ्य (जल अर्पण) दिया जाता है। पूजा में करवा का विशेष महत्व होता है और इसे दान स्वरूप ब्राह्मण या किसी सुहागिन महिला को दिया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा करती हैं। व्रत पूरे दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किए रखा जाता है और चंद्र दर्शन के बाद ही अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

करवा चौथ व्रत कथा
करवा चौथ की पौराणिक व्रत कथा के अनुसार, एक नगर में एक साहूकार की बेटी और 7 बेटे रहते थे। साहूकार की बेटी का नाम करवा था। सभी 7 भाई अपनी बहन करवा से बहुत प्रेम करते थे। एक दिन की बात है, करवा अपने ससुराल से मायके आई थी और कार्तिक कृष्ण चतुर्थी का व्रत रखा था। उस रात वह काफी परेशान थी। भाइयों ने देखा तो उससे परेशानी का कारण जानना चाहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

करवा ने बताया कि उसका आज निर्जला व्रत है। यह व्रत तब तक पूरा नहीं होगा, जब तक कि चंद्रमा को अर्घ्य न दे दिया जाए। चंद्रमा के उदित न होने से वह पारण नहीं कर सकती थी, तब तक वह भूख-प्यास से व्याकुल थी। बहन को इस हालत में देखकर सभी भाई परेशान हो गए। तभी उनमें से सबसे छोटे भाई को ए​क विचार आया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वह घर के बाहर पीपल के पेड़ पर छलनी में एक दीपक रख देता है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि चंद्रोदय हो रहा है। उसके बाद वह अपनी बहन को जाकर बताता है कि चांद निकल आया है। यह सुनकर करवा खुश होती है। वह उस छलनी के दीपक को चांद समझकर अर्घ्य देती है और पारण करने के लिए बैठ जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वह अपने मुंह में पहला निवाला डालती है, तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा निवाला उठाती है तो उसमें बाल पड़ा होता है। तीसरा निवाला मुंह में डालती ही है कि उसे एक बुरी खबर सुनने को मिलती है। उसके पति का देहांत हो गया। यह सुनते ही उसके होश उड़ जाते हैं। वह बदहवास सी हो जाती है। रोने और चिल्लाने लगती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उसी बीच उसकी भाभी ने बताया कि व्रत के पारण के लिए उसके छोटे भाई ने क्या किया था। यह सुनकर करवा हैरान होती है, लेकिन वह प्रण करती है कि वह अपने ​पति को जीवित कराएगी। उसके प​ति के शव को सुरक्षित रखा जाता है। करवा शव के पास सालभर रहती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पति के शव के पास सूई जैसी घासें उगती हैं, उसे एकत्र कर लेती है। उस बार जब करवा चौथ का व्रत आता है, तो उसकी सभी भाभी व्रत रखती हैं। पूजा के समय वे सभी करवा से आशीर्वाद के लिए आती हैं। तो करवा उनसे कहती है कि यम की सूई ले लो, पिय की सूई दे दो, मुझे भी सुहागन बना दो। वह एक-एक करके 6 भाभियों से कहती है, तो वे मना कर देती है। वे कहती हैं कि छोटे भाई की वजह से ऐसा हुआ है तो तुम उसकी पत्नी से कहो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सबसे आखिर में छोटे भाई की पत्नी आती है तो करवा उससे भी वही बात कहती है। छोटी भाभी भी उसकी बातें नहीं मानती है और उसे टालना चाहती है, लेकिन करवा उसे जोर से पकड़ लेती है। अंत में वह करवा की बात मान जाती है, क्यों​कि वह एक साल से कठोर तप कर रही थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

छोटी भाभी अपने हाथ की सबसे छोटी अंगुली काटकर अमृत निकालती है और उसके मृत पति के मुख में डालती है। उसके प्रभाव से करवा का प​ति गणेश जी के नाम का स्मरण करते हुए जीवित हो जाता है। इस व्रत, गणेश जी और मां गौरी की कृपा से करवा का पति जीवित होता है। इसलिए कहा जाता है कि जो भी यह व्रत करे, उसे गणेश जी और मां गौरी की कृपा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

1 thought on “करवा चौथ व्रत आज, उत्तराखंड में महिला कार्मिकों को अवकाश, जानें चांद निकलने का समय, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

  1. करवा चौथ की खबर पढ़ कर आजकल की दुनिया को समझ में आई। देहरादून की भीड़ देखकर यही मानते हैं कि चांद भी परेशान है। व्रत कथा सुनकर मानते हैं कि बहन की धूमधाम वाली बातें अब तक कोई नहीं सुनाई थीं। शुभ मुहूर्त जानकारी करने के लिए ही हमें ऐसे लेख खोजने पड़ते हैं। कितने अवकाश घोषित करें, व्रत कथा कितनी बुझाए, यह सब बातें एक साथ नहीं आतीं।ai watermark remover free

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