देशभर के ज्वेलर्स हड़ताल पर, जानिए क्या है उसकी परेशानी, विरोध का कारण, कैसे प्रभावित होगा ग्राहक
सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग की यूनीक आईडी यानी एचयूआइडी (HUID) को लेकर ज्वेलर्स खुलकर विरोध में उतर आए हैं। आज सोमवार 23 अगस्त को ज्वेलर्स पूरे देश में एक दिन की हड़ताल कर रहे हैं। ज्वेलर्स का कहना है कि हॉलमार्क तो ठीक है, लेकिन एचयूआइडी किसी भी रूप में स्वीकार नहीं है। ज्वेलर्स की नेशनल टास्क फोर्स ने बयान जारी कर कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो की ओर से देश में हॉल मार्किंग प्रक्रिया को मनमाने ढंग से अनिवार्य रूप से लागू करने के विरोध में आभूषण विक्रेता (ज्वेलर्स) आज के दिन सांकेतिक हड़ताल पर हैं।
एचयूआइडी का मतलब
एचयूआइडी हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन एक 6 डिजिट का अल्फान्यूमेरिक कोड है। ये हर ज्वेलरी पीस पर लगाया जाता है। इससे उसकी एक अलग पहचान बनाई जा सकेगी। जैसे भारत मैं हर व्यक्ति का अलग-अलग आधार नंबर होता है। उसी तरह से हर ज्वेलरी पीस का एचयूआइडी होता है। 16 जून से देश के 256 जिलों में हॉलमार्क ज्वेलरी बेचना ही अनिवार्य कर दी गई। इसके साथ ही एचयूआइडी की भी एंट्री हो गई। एचयूआइडी में ज्वेलरी पीस की सारी जानकारी होगी। जैसे कि उसका निर्माता कौन है, उसका वजन क्या है, जेवर क्या है? किसको बेची गई आदि।
इसलिए हो रहा है विरोध
विरोध के कई कारण गिनाए जा रहे हैं। ज्वेलर्स भविष्य की आशंकाओं को लेकर चिंतित हैं। साथ ही इस नियम में कई ऐसे पेंच हैं, उससे उनकी परेशानी बढ़ सकती है। ऐसे में वे इसका विरोध कर रहे हैं। वर्तमान में नई मार्किंग प्रणाली यानी HUID को उत्पादों को हॉलमार्क करने में लगभग 5-10 दिन का समय लग रहा है। इसके परिणाम स्वरूप पूरी बाधा उत्पन्न हो गई है और उद्योग ठप हो गया है।
ज्वेलरी ट्रैकिंग से ग्राहक की निजाता खतरे में
ज्वेलर्स के मुताबिक अब वो जब भी जितने भी ज्वेलरी पीस बेचेंगे, उनको बाकायदा हर पीस की एचयूआइडी डिटेल और यह किसको बेचा गया, ये तमाम जानकारी BIS के पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। ज्वेलर्स का कहना है कि इससे ज्वेलर्स की तो ट्रैकिंग होगी ही, साथ ही कस्टमर की भी ट्रैकिंग होगी। इससे ग्राहक की निजता खतरे में पड़ सकती है।
हॉलमार्किंग में देरी
देश के जिन 256 जिलों में अनिवार्य हॉल मार्किंग लागू हो गई है। वहां केवल हॉलमार्क ज्वेलरी ही बेची जा सकती। इसमें भी एचयूआइडी का प्रावधान लागू होने से हॉलमार्किंग में समय लग रहा है। इसकी वजह से व्यापार ठप हो गया है। ज्वेलर्स के मुताबिक, पहले जहां उसी दिन हॉलमार्क हो जाया करता था। वहीं अब 5 से 10 दिन का भी समय लग जा रहा है।
हॉलमार्क सेंटर की जिम्मेदारी नहीं
ज्वेलर्स का कहना है कि जब सरकार ने आधिकारिक रूप से हॉलमार्क सेंटर बनाए हैं जहां पर निश्चित रकम देकर ज्वेलरी को हॉलमार्क करवाया जा सकता है। तो फिर कल को अगर ज्वेलरी की गुणवत्ता में कोई कमी निकलती है तो जिम्मेदारी हॉलमार्क सेंटर की जगह ज्वेलर की क्यों रखी गई है।
ज्वेलरी नुकसान का जिम्मेदार कौन
ज्वेलर्स का कहना है कि हॉलमार्क सेंटर पर ज्वेलरी को हॉल मार्क कराने के दौरान जो टूट-फूट हो रही है। जेवर की फिनिशिंग खराब हो रही है या फिर जेवर का वजन घट रहा है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
जेवर में बदलाव (अल्टरेशन) नहीं
क्योंकि हर ज्वेलरी पीस का एचयूआइडी तय होगा। जिसमें हर ज्वेलरी पीस का वजन, मेकिंग या कॉम्बिनेशन तय होगा। तो ऐसे में अगर ग्राहक अपनी मर्जी से किसी जेवर में बदलाव करवाना चाहें या दो अलग-अलग जेवर से कोई कंबीनेशन बनाना चाहे तो ज्वेलर्स के पास केवल 2 ग्राम तक का alteration करने की ही छूट होगी। इससे ऊपर होने पर तुरंत ज्वेलर ग्राहक को ज्वेलरी नहीं दे पाएगा। ज्वेलर को पहले उसको फिर से एचयूआइडी बनवाने के लिए भेजना होगा। उसके बाद ही ग्राहक को उसका पसंदीदा जेवर मिल सकेगा।
ज्वेलर्स का तर्क
हॉलमार्क ज्वेलर्स की बनाई नेशनल ट्रांसपोर्ट के सदस्य अशोक मीनावाला के मुताबिक ‘ हम हॉल मार्किंग का स्वागत करते हैं, लेकिन एचयूआइडी हॉलमार्किंग यूनिक आईडी का नहीं। HUID एक विनाशकारी प्रक्रिया है। जो वर्तमान अनिवार्य हॉलमार्किंग प्रक्रिया में आभूषणों को कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करती है पंजीकरण रद्द करने, दंडात्मक प्रावधान, तलाशी और जब्ती का तत्व अंततः उद्योग में इंस्पेक्टर राज लाएगा।
उन्होंने कहा कि HUID ग्राहकों के हित के खिलाफ है और व्यापार करने में आसानी के सिद्धांत के विपरीत है। एचयूआइडी प्रक्रिया बोझिल है और इससे ग्राहकों और छोटे- लघु ज्वेलर्स को परेशानी होगी। यह कानून के अनुसार भी अवैध है। क्योंकि यह प्रक्रिया व्यक्तिगत नागरिकों की डेटा गोपनीयता और व्यवसाय गोपनीयता में हस्तक्षेप करती है। ज्वेलर्स को लगता है कि BIS में पंजीकरण कराकर उन्होंने घाटे और आजीविका के नुकसान के मामले में अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर किए हैं।
टास्क फोर्स के सदस्य और जेम्स एंड ज्वेलरी काउंसिल के निदेशक दिनेश जैन के मुताबिक 16 जून 2021 से 256 जिलों में हॉल मार्किंग अनिवार्य कर दी गई है। अनुमान है कि भारत में सालाना लगभग 10 से 12 करोड़ ज्वेलरी पीस का निर्माण होता है। इसके अलावा लगभग 6 से 7 करोड़ ज्वेलरी पीस के मौजूदा स्टॉक की भी हॉलमार्किंग होनी बाकी है।
इस प्रकार 1 वर्ष में हॉलमार्क किए जाने वाले ज्वेलरी पीस की कुल संख्या लगभग 16 से 18 करोड़ तक पहुंच जाती है और हॉलमार्किंग केंद्रों की वर्तमान गति या क्षमता लगभग 2 लाख पीस प्रतिदिन है। इस गति से इस वर्ष के उत्पादन को चिह्नित करने में लगभग 800 से 900 दिन या 3 से 4 वर्ष के बराबर समय लगेगा।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।