आइटीआइ अनुदेशक राजेंद्र प्रसाद जोशी की कविता-क्या कोई कहेगा युद्धविराम

क्या कोई कहेगा युद्धविराम
निर्दोषों का खून बहाकर फिर मानवता हुई कलंकित
विश्व युद्ध की आहट को सुन, सब के सब हैं देश सशंकित
कहीं चल रही क्रूज मिसाइल, कहीं बरस रहे बम और गोले
देख तबाही का यह मंजर, विस्मित मानव क्या कर बोले
मानव का दुश्मन बन बैठा, खुद को श्रेष्ठ समझता मानव
जानें लील रहा है सबकी, जैसे हो कोई वहशी दानव
चारों ओर बिखरती लाशें, छिनता बचपन, घुटती सांसें
बहुत वीभत्स दृश्य है, फिर भी पलपल जानें,जाती जां से
है कोई जो रोके इसको, क्या कोई कहेगा युद्ध विराम!
या मासूमों का खून बहाकर, युद्ध चलेगा यह अविराम
सब कुछ खतम होगा तब शायद, निकलेगी मन की भड़ास
घोर निराशा के इस युग में, फिर भी बची हुई है आश
जय और विजय किसी की होगी, मानव की निश्चित है हार
लड़कर भला हुआ है किसका, चाहें सभी अमन और प्यार
कवि का परिचय
राजेंद्र प्रसाद जोशी
अनुदेशक (instructor)
राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (महिला) देहरादून, उत्तराखंड।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।