Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

July 30, 2025

जनसंकृति दिवस के रूप में मनाया इप्टा का स्थापना दिवस, राजा ने दिया आदेश, बोलना बंद

भारतीय जन नाट्य संघ, इप्टा के 83वें स्थापना दिवस को जन संस्कृति दिवस के रूप में मनाया गया। देहरादून में पंडित दीनदयाल पार्क में आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने इप्टा के इतिहास और क्रियाकलापों की विस्तार से जानकारी दी। साथ ही कविताओं और जनगीतों की प्रस्तुति भी दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इप्टा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. वी के डोभाल ने बताया कि इप्टा की उत्पत्ति 1936 में आयोजित पहले प्रगतिशील लेखक संघ सम्मेलन, 1940 में कलकत्ता में युवा सांस्कृतिक संस्थान की स्थापना और 1941 में अनिल डिसिल्वा द्वारा बैंगलोर में पीपुल्स थिएटर की स्थापना में निहित है। पीपुल्स थिएटर नाम प्रसिद्ध वैज्ञानिक होमी जे. भाभा ने सुझाया था, जो बदले में रोमां रोलांड की पीपुल्स थिएटर की अवधारणाओं पर पुस्तक से प्रेरित थे। इसकी आरंभिक गतिविधियों में बंगाल सांस्कृतिक दल के बिनॉय रॉय द्वारा आयोजित नुक्कड़ नाटक शामिल थे, जिसका उद्देश्य लोगों को बंगाल में 1942 में आए मानव निर्मित अकाल के बारे में जानकारी देना था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दया राम कोठारी ने कहा कि इप्टा के इतिहास को आज समाज के सामने रखना और सहेजना बहुत ज़रूरी है। क्योंकि, हमारे इतिहास को आज साम्प्रदायिक ताक़तें मिटाना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि इप्टा के शुरुआती सदस्यों में वैचारिक रूप से पीसी जोशी और प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव सज्जाद ज़हीर समूह के कुछ शुरुआती सदस्यों में थे। बाद मे पृथ्वीराज कपूर, बिजोन भट्टाचार्य, बलराज साहनी, ऋत्विक घटक, उत्पल दत्त, ख्वाजा अहमद अब्बास, सलिल चौधरी, पंडित रविशंकर, ज्योतिरींद्र मोइत्रा, निरंजन सिंह मान, एस. तेरा सिंह चान, जगदीश फरयादी, खलीली फरयादी, राजेंद्र रघुवंशी, सफदर मीर, हसन प्रेमानी, अमिया बोस, सुधीन दासगुप्ता, अन्नाभाऊ साठे, शाहिर अमर शेख आदि रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस मौके पर हरिओम पाली ने देवी प्रसाद मिश्र की कविता का पाठ किया-राजा ने आदेश दिया: लिखना बंद,
क्योंकि लोग लिखते हैं तो राजा के विरुद्ध लिखते हैं।
राजा ने आदेश दिया: हँसना बंद
क्योंकि लोग हँसते हैं तो राजा के विरुद्ध हँसते हैं।
राजा ने आदेश दिया: होना बन्द
क्योंकि लोग होते हैं तो राजा के विरुद्ध होते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सतीश धौलाखंडी ने अपने अधिकारों के लिए अपना हक़ को लेकर जनगीत गाया। वरिष्ठ रंगकर्मी राकेश पन्त ने कहा कि ढाई आख़र प्रेम की तथा अन्य यात्रओं की कार्य योजना बनाकर हमें निरंतर ज़मीनी स्तर पर झूठ और नफरत की राजनीति फैलाने वाली राजनीतिक सांस्कृतिक शक्तियों के खिलाफ प्रेम सद्भाव सामाजिक न्याय और इतिहास बोध बढ़ाना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर शोभा राम, हरजिंदर, इप्टा देहरादून के सचिव विक्रम पुंडीर, मंज़ूर अहमद बेग, ललित पन्त, शंकर दत्त, जयकृत कंडवाल, सुरेंदर आर्य और सुमित थपलियाल मुख्य रूप में उपस्थित रहे।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page