ग्राफिक एरा में अंतरराष्ट्रीय सेमिनारः हिमालय पर भी जलवायु परिवर्तन का खतरा, सेंटर फॉर हिमालयन स्टडीज घोषणा
जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरे अभी तक नॉर्थ और साउथ पोल में ही दिखाई देते थे, लेकिन शोध बताते हैं कि दुनिया के तीसरे पोल के रूप में जाने जाने वाला हिमालय भी जलवायु परिवर्तन के खतरों की जद में आ गया है। यह बात आज ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में वक्ताओं के मंथन से सामने आई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हिमालय क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, जैव विविधता के नए परिदृश्यो के साथ उनकी चुनौतियों को समझने के लिए ग्राफिक एरा में माउंटेन इकोसिस्टमः बायोडायवर्सिटी एंड एडेप्टेशन अंडर क्लाइमेट चेंज सिनेरियो, पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस शुरू हुआ। सम्मेलन मे विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर हिमालयन स्टडीज की स्थापना की घोषणा की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट, नेपाल के सहयोग से हो रहे इस सम्मेलन में आईसीआईएम ओडी वरिष्ठ सलाहकार और मुख्य वक्ता डॉ. एकलव्य शर्मा ने कहा कि आज जलवायु परिवर्तन एक गंभीर विषय है। इसका असर जीवन के हर क्षेत्र हो रहा है। हिंदूकुश हिमालय के जैव विविधता के सतत् भविष्य पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा की हिमालय क्षेत्र मे हुए नए शोध यह संकेत देते हैं इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन की ज्यादा समस्याएं हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जलवायु परिवर्तन की वजह से यहां के तापमान 1.5 से लेकर 5.1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान है। अभी तक जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरे अभी तक नॉर्थ और साउथ पोल में ही दिखाई देते थे। लेकिन नए शोध यह बताते हैं कि दुनिया के तीसरे पोल के रूप में जाने जाने वाला हिमालय अब जलवायु परिवर्तन के खतरों की जद में आ गया है। इसके लिए नए क्षेत्रों में रिसर्च की आवश्यकता हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के महानिदेशक डॉ. संजय जसोला ने कहा कि क्लाइमेट चेंज का असर पहाड़ों में मिलने वाले फ्लोरा और फौना पर भी स्पष्ट दिख रहा है। यहां पहले मिलने वाले वनस्पति, जीव जंतु अब कम संख्या में दिख रहे हैं, या विलुप्त हो रहे हैं। साथ ही उनके स्वभाव और हैबिटेट में भी परिवर्तन आ रहा है। बेमौसम में वनस्पतियों और फूलों का खिलना, क्लाइमेट चेंज के संकेत हैं। उन्होंने जोर देकर कहा जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव के प्रति लोगों और समुदायों में स्थानीय स्तर पर जन जागृति लानी होगी। इसके लिए ग्रामीण आजीविका और रिवर्स माइग्रेशन की दिशा में और अधिक ध्यान देना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ) कमल घनशाला ने ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर हिमालयन स्टडीज की स्थापना की घोषणा की। विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग, माइक्रोबायोलॉजी विभाग और डिपार्टमेंट ऑफ फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में देश-विदेश के 100 से अधिक वैज्ञानिक और हिमालय क्षेत्र के विशेषज्ञ प्रतिभाग कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आईसीआईएमओडी के मुख्य संचालक प्रोफेसर अनीता पांडे और डॉ नकुल छेत्री ने सम्मेलन में प्रतिभाग कर रहे वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के कार्य क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ सलाहकार प्रोफेसर (डॉ) आर सी जोशी, प्रोफेसर नवीन कुमार, प्रोफ आशीष थपलियाल, प्रोफ निशांत राय, प्रोफेसर पंकज गौतम, प्रोफेसर दिव्या वेणुगोपाल, प्रोफेसर प्रीति कृष्णा और अन्य शिक्षक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर मनु पंत ने किया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।