अंतर्राष्ट्रीय नर्सिंग दिवसः जानिए क्यों मनाया जाता है ये दिन, इस दिन का महत्व, बता रहे हैं सोमवारी लाल सकलानी

आज अंतर्राष्ट्रीय नर्सिंग दिवस है। कोरोना महामारी के दौरान इस दिन का महत्व बहुत बढ़ जाता है। यूं तो थोड़ा बहुत सभी लोग जानते हैं कि इस दिवस को क्यों मनाया जाता है। इस दिवस का क्या महत्व है। किसके नाम पर यह दिवस मनाया जाता है। आज थोड़ा इसी मुद्दे पर बातचीत की जाए, तो समीचीन होगा।
इनकी याद में मनाते हैं ये दिन
12 मई सन 1965 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नर्सिंग डे मनाया जाता है। यह उस महान दया और सेवा की प्रतिमूर्ति के जन्म दिवस पर मनाया जाता है, जिन्होंने नर्सिंग की दुनिया में सर्वोच्च कार्य किया है। इसीलिए मिस फ्लोरेंस नाइटेंगल की याद में यह दिवस मनाया जाता है। जिन्हें नर्सिंग आंदोलन का जन्मदाता भी माना जाता है । करुणा, दया ,विनम्रता और सेवा की वह प्रतिमूर्ति ब्रिटिश के एक समृद्ध घराने में पैदा हुई।
कब और क्यों
मिस फ्लोरेंस नाइटेंगल का जन्म इटली के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। उसे “लेडी ऑफ द लैंप” के नाम से पुकारा जाता है। युद्ध पीड़ित, घायल सैनिकों की देख भाल, सेवा करने के लिए वह रात्रि के समय मशाल हाथ में लेकर सैनिकों की सेवा करती थी। इसीलिए उन्हें लेडी ऑफ द लैंप के नाम से जाना जाता है।
जन्म, कार्य और मृत्यु
मिस फ्लोरेंस नाइटेंगल का जन्म 12 मई 1820 को हुआ था। 90 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद 13 अगस्त सन 1910 मेफियर ( लंदन) मे आपने परम पद पाया। मिस फ्लोरेंस नाइटेंगल का योगदान केवल सेवा भावना से ही नहीं जुड़ा है, बल्कि हॉस्पिटल हाइजीन या साफ सफाई से भी उन्हीं याद किया जाता है। सन 1853 में क्रीमिया के भयानक युद्ध में जब हजारों सैनिकों की मृत्यु हुई तो मिस फ्लोरेंस नाइटेंगल की नियुक्ति सेना अस्पताल, बराक अस्पताल में हुई। जब वहां गई तो देखा कि गंदगी का अंबार लगा है। जिस के कारण घायल सैनिकों का जीना दूभर हो रखा है। सर्वत्र, गन्दगी, बदबू और अस्वच्छता थी।
कहा जाता है कि अट्ठारह हजार तुर्की के घायल सैनिकों में से 16000 घायल सैनिकों की मृत्यु गंदगी और संक्रमण के कारण हुई थी। मिस फ्लोरेंस नाइटेंगल ने सर्वप्रथम अस्पताल में साफ सफाई पर ध्यान दिया। फर्श पर पड़ी हुई गंदगी को दूर करने की कोशिश की। नालिया खुदवा कर सिवरेज की व्यवस्था की और घायल सैनिकों के लिए स्वच्छ खाने और कपड़ों की व्यवस्था की।
संक्रमण के कारण और अस्वच्छता के कारण सैनिकों की मौत ना हो, इसका उचित प्रबंध किया। परिणाम यह हुआ कि हजारों घायल सैनिकों की जान बच गई। विश्व स्तर पर उनकी ख्याति फैल गई और लोगों ने उनसे प्रेरणा ली। विश्व के इतिहास में यह पहला मौका था, जब ब्रिटिश सेना में कोई महिला नियुक्त हुई थी। उन्होंने अपनी पूरी टीम के साथ तन्मयता से जो कार्य किया वह आने वाली पीढ़ी के लिए एक मिसाल था। जिसका अनुकरण बाद के वर्षों में मदर टेरेसा और अनेक नर्सेज ने आगे बढ़ाया।
डॉक्टर के बराबर योगदान
डॉक्टर का जीवन देने में जितना बड़ा योगदान है, उतना ही बड़ा योगदान नर्सिंग स्टाफ का भी होता है। नर्सिंग स्टॉफ अस्पताल के रीड माना जाता है। डॉक्टर तभी सफल होते हैं जब उनके साथ सेवा भाव और तन्मयता से कार्य करने वाली नर्सेज हों।
स्वच्छता क्रांति
मिस फ्लोरेंस नाइटइंगेल की यह “स्वच्छता क्रांति” का असर भारत में भी हुआ और ब्रिटिश कालीन भारत के अलावा स्वतंत्र भारत में भी मिस फ्लोरेंस नाइटेंगल के प्रयोग अस्पतालों में जारी रहे। गांधी जी ने भी उनका अनुसरण किया। “गांधी जी वाज फर्स्ट क्लास नर्स” कभी में बच्चों को पढ़ाया था।
सुझाव पर अमल
मिस फ्लोरेंस नाइटेंगल ने ब्रिटिश सरकार को सुझाव दिए थे कि सेना में अलग से मेडिकल, सेनेटरी और सांख्यिकी विभाग खोले जाएं। उनके सुझाव को तत्कालीन सरकार ने स्वीकार किया और आज भी विश्व के अनेक देशों में सैन्य अस्पतालों में मेडिकल, सेनेटरी और सांख्यिकी के अलग-अलग विभाग हैं। सन 1860 में उनके नाम पर लंदन में नर्सिंग स्कूल की स्थापना की गई। यह उस महानायिका की याद में विश्व स्तर का प्रथम नर्सिंग स्कूल है।
त्याग
माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध मिस फ्लोरेंस नाइटेंगल ने नर्सिंग को अपना कैरियर चुना था। एक समृद्ध, कुलीन और धनी परिवार की होते हुए भी मिस फ्लोरेंस नाइटेंगल ने अपनी अंतरात्मा की आवाज से यह कैरियर चुना और लगातार अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक सेवा सुश्रुषा भाव में लगी रही। आप की शिक्षा दीक्षा प्रतिष्ठित किंग किंग्स कॉलेज लंदन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय के अंतर्गत हुई और आजीवन अविवाहित रहकर उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानवता की सेवा में समर्पित कर लिया।
महत्व
वैश्विक महामारी कोरोना के इस काल में मिस फ्लोरेंस नाइटेंगल के कार्यों का महत्व बहुत बढ़ जाता है तथा नर्सिंग स्टाफ के लिए जो एक प्रेरणा स्रोत हैं और हमेशा रहेंगी उनके आदर्शों उनके सेवा भाव और उनके समर्पण का अनुकरण करते रहेंगे। नर्सेज भाई बहनों से अनुरोध है कि वह मानवीय पक्ष को ध्यान में रखते हुए पूर्ण रूप से इस वैश्विक महामारी में सहयोग देते रहेंगे । जैसे कि देते आए हैं। हॉस्पिटल हाइजीन या साफ सफाई के प्रति भी उतनी ही संवेदनशील रहेंगे ताकि संक्रमण न फैलने पाए।
संकल्प
स्वच्छता और संकल्प के द्वारा हम इस वैश्विक महामारी से छुटकारा पा सकते हैं । भले ही डॉक्टर से इलाज कर रहे हैं नर्सेज दिन रात सेवा मे लगी हैं।प्रशासन अपने कार्य में लगा है ।सरकारें चिंतित है। समाजसेवी भी अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं। बुद्धिजीवी वर्ग जन जागरूकता फैलाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं तथा लोगों में ढाढस बनाने का कार्य भी कर रहे हैं लेकिन अस्पतालों की मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ अस्पतालों में स्वच्छता और हॉस्पिटल हाइजीन का प्रबंधन किया जाना भी बहुत लाजमी है।
नमन
अंतर्राष्ट्रीय नर्सेज दिवस के अवसर पर मिस फ्लोरेंस नाइटेंगल (लेडी ऑफ द लैंप )तथा उनकी सेवाओं को नमन करते हुए संपूर्ण मानव जाति के जीवन के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं । चिकित्सा और शिक्षा दो ऐसे कार्य हैं जैन का मूल्यांकन पैसे से नहीं हो सकता, बल्कि असली मूल्यांकन होता है सेवा और समर्पण के भाव से। मानवता के भाव से और इंसानियत के भाव और कर्तव्य से।
लेखक का परिचय
कवि: सोमवारी लाल सकलानी, निशांत।
स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर, नगर पालिका परिषद चंबा ,टिहरी गढ़वाल।
निवास- सुमन कॉलोनी चंबा टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
लेखक सेवानिवृत्ति शिक्षक हैं। वह लगातार पत्र पत्रिकाओं में अपने लेख, कविता, संस्मरण आदि लिखते आ रहे हैं।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।