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September 11, 2025

ग्राफिक एरा में अंतराष्ट्रीय एनालिटिकल संगोष्ठी का आरम्भ, पहले दिन 28 शोधपत्र किए गए प्रस्तुत

देहरादून में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में आज से तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय एनालिटिकल संगोष्ठी और प्रदर्शनी का आरंभ हो गई है। संगोष्ठी में प्रतिभाग कर रहे देश और विदेश से आये वैज्ञानिकों ने पहले दिन 28 शोधपत्र और 125 पोस्टर प्रस्तुत किए।

देहरादून में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में आज से तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय एनालिटिकल संगोष्ठी और प्रदर्शनी का आरंभ हो गई है। संगोष्ठी में प्रतिभाग कर रहे देश और विदेश से आये वैज्ञानिकों ने पहले दिन 28 शोधपत्र और 125 पोस्टर प्रस्तुत किए। संगोष्ठी में 300 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए जाने हैं।
संगोष्ठी में आईओसीएल के निदेशक डॉ. राजकुमार ने अपने व्याख्यान में बताया कि एनालिटिकल केमिस्ट्री यानि विश्लेषात्मक रसायन का आज के समय में प्रयोग केवल वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की ओर से ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि बहुत बड़े स्तर पर इसे प्रभावी दवाइयाँ बनाने से लेकर सर्जरी और अन्य प्रकार से जीवन प्रयोग उदेश्यों के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज के समय में इंडस्ट्री 4.0 की मदद से विश्लेषात्मक रसायन में शोध का दायरा और संभावनाएं और भी बढ़ गयीं हैं।
आईआईपी के निदेशक डॉ. अंजन रे ने अपने व्याख्यान में बाइयोफुएल जैव ईंधन, मिश्रित गैसोलीन, डीजल और पैराफिनिक विमान ईंधन में हो रहे प्रयोगों के बारे में बताया। उन्होंने बताया की भारतीय पेट्रोलियम संसथान सीएसआईआर में बायोडीजल मिश्रित ऑटोमोटिव डीजल में फेम सामग्री का निर्धारण करने के लिए एचपीएलसी आधारित परीक्षण पद्धती मान्य की जा चुकी है।
आईआईटी रूड़की के डा. परविंदर कुमार ने अपने व्याख्यान में बताया की प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोगों के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए रोगाणुओं से सम्बंधित पद्धती का उपयोग किया जा सकता है। जो इस दुष्प्रभाव को ख़त्म कर देता है। संगोष्ठी में दवाईयों, खाद्य और पेय पदार्थों, पेट्रोकेमिकल, कृषि और जीव – प्रौद्योगिकी से जुडी नयी और महत्वपूर्ण शोधों पर कुल मिलाकर 300 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। संगोष्ठी के आयोजन से इन विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे शोधकार्य को बढ़ावा मिलेगा और प्रतिभावान शोधकर्त्ताओं के शोधकार्य को बड़े स्तर पर सराहना और मान्यता मिलेगी।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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