देहरादून के ग्रीनफील्ड स्कूल में बौद्धि समावेशी देखभाल केंद्र का शुभारंभ, प्रदर्शनी में दिखा दिव्यांग बच्चों का हुनर

देहरादून के एक शैक्षणिक संस्थान ग्रीनफील्ड स्कूल ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए शारीरिक व मानसिक दिव्यागता से ग्रसित बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा व देखभाल केंद्र की विधिवत स्थापना की। इन बच्चों में विशेष तौर पर ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार से पीड़ित बच्चे हैं। उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन व देवभूमि मानव संसाधन विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, प्रसिद्द सर्जन डॉक्टर महेश भट्ट, प्रसिद्द महिला चित्सक डॉक्टर रीटा धवन, डॉक्टर गीतिका माथुर, डॉक्टर राशि भटनागर, मधु मारवाह, नेहा शर्मा व डॉक्टर पिंकी धस्माना ने संयुक्त रूप से रिबन काट कर बौद्धि समावेशी देखभाल केंद्र व दिव्यांग बच्चों के द्वारा तैयार किए गए सामान की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर केंद्र की स्थापना के लिए सोसायटी फॉर इन्क्लूसिव डेवलपमेंट (SFID) के संस्थापक अध्यक्ष डॉक्टर अनिल जग्गी व ग्रीनफील्ड स्कूल की प्रधानाचार्य रीना जग्गी को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सूर्यकांत धस्माना ने बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज देहरादून समेत राज्य में अंग्रेजी शिक्षा के अनेक बड़े बड़े स्कूल खुले हैं, जो आज बड़ी बड़ी इमारतें बड़े बड़े कैंपस बना कर शिक्षा को व्यवसाय के रूप में चला रहे हैं। वहीं, शिक्षा को एक मिशन के रूप में समावेशी बनाने के लिए बहुत कम शैक्षणिक संस्थान काम कर रहे हैं। ऐसे में ग्रीनफील्ड स्कूल ने अपने यहां सामान्य बच्चों के साथ दिव्यांग बच्चों को ना केवल शिक्षित करने, बल्कि उनको विशेष देखभाल और आत्मनिर्भर बनाने के जो कार्यक्रम शुरू किए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस नेता धस्माना ने कहा कि वे राज्य में इस प्रकार की दिव्यागता का दंश झेल रहे बच्चों के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार हर स्कूल में अनिवार्य रूप से दिव्यांग बच्चों को सामान्य स्कूलों में प्रवेश मिले इसके लिए शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्री व आवश्यकता पड़ी तो राज्य के मुख्यमंत्री से भी बात करेंगे। उन्होंने कहा कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार के बारे में राज्य सरकार के पास कोई सही शोध व सही आंकड़े नहीं है। इसके लिए भी वे प्रयास करेंगे कि पूरे राज्य में ऐसे विशेष बच्चों का पता चले व उनको सही उपचार शिक्षा देखभाल मिले। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रसिद्ध सर्जन डॉक्टर महेश भट्ट ने ग्रीनफील स्कूल के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि वास्तव में आज के मशीनी व सैटलाइट युग में बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार का पता बहुत मुश्किल से चल पाता है। अधिकांश अभिभावक बच्चों को इस प्रकार की दिव्यागता को स्वीकार ही नहीं कर पाते। इसलिए बच्चों की देखभाल और उनकी शिक्षा दीक्षा से ज्यादा जरूरी उनके अभिभावकों की काउंसलिंग जरूरी है। इससे वे अपने बच्चे की इस दिव्यागता को स्वीकार करें और उसके भविष्य के लिए उचित कदम उठाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बौद्धि समावेशी देखभाल केंद्र के संस्थापक डॉक्टर अनिल जग्गी ने कहा कि वे पिछले चार दशकों से सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। दुनिया के अनेक देशों में पर्यावरण ग्लोबल वार्मिंग जल संरक्षण आदि विषयों पर काम कर चुके हैं। जब से ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार व मानसिक व शारीरिक दिव्यागता से ग्रसित बच्चों के बीच काम करना शुरू किया है, तब से मन में संकल्प कर लिया कि अब पूरा जीवन इनके लिए ही काम करना है। इसलिए पिछले एक दशक से इस काम में लगी अपनी धर्मपत्नी रीना जग्गी के साथ मिल कर यह समावेशी देखभाल केंद्र शुरू किया है। उन्होंने बताया कि रीना इस तरह के बच्चों की शिक्षा व देखभाल के लिए एक प्रशिक्षित शिक्षिका भी हैं। इसमें उनके सुपुत्र शुभांग जग्गी भी पूर्ण सहयोग कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर धस्माना व अन्य अतिथियों ने दिव्यांग बच्चों की ओर से बनाए गए कपड़े बैग, राखियां व ग्रीटिंग कार्ड भी खरीदे। दिव्यांग बच्चों ने अतिथियों के स्वागत में स्वागत गीत व रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम में बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिये नृत्य, गीत व संगीत की प्रस्तुति भी दी। इस दौरान अमर नाथ तिवारी, डॉक्टर नीलम पंत, प्रियंका काला, स्वाति बिष्ट, पूजा सीरियल, प्रीति बिष्ट, भरत नेगी, दिनेश कौशल व शुभांग जग्गी उपस्थित रहे।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।