साढ़े चार लाख रुपये की छात्रवृत्ति के गबन में इंस्टीट्यूट संचालक गिरफ्तार
छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआइटी ने साढ़े चार लाख रुपये का गबन करने वाले सहारनपुर के एक इंस्टीट्यूट संचालक को गिरफ्तार किया है। उसने मुफ्त शिक्षा का झांसा देकर 52 छात्रों को दाखिला दिया और फिर उनके नाम से छात्रवृत्ति की रकम लेकर हजम कर ली। पूछताछ में संतोषजनक जवाब न देने पर उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया।
छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआइटी के प्रमुख मंजूनाथ टीसी के मुताबिक, पिछले साल हरिद्वार के सिडकुल थाने में रामजीलाल प्राइवेट इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बिलासपुर, देवबंद सहारनपुर के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसकी जांच इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह खोलिया को दी गई। मुकदमे की पड़ताल में सामने आया कि हरिद्वार के जिला समाज कल्याण विभाग की ओर से संस्थान को वर्ष 2014-15 में करीब साढ़े चार लाख रुपये की छात्रवृत्ति दी गई।
एसआइटी ने छात्रों का भौतिक सत्यापन करते हुए उनसे संपर्क साधा तो घोटाले की पूरी कहानी सामने आ गई। छात्रों ने एसआइटी को बताया कि इंस्टीट्यूट संचालक विजय शंकर शर्मा ने मुफ्त ट्रेङ्क्षनग के नाम पर उनके दस्तावेज लेते हुए अपने इंस्टीट्यूट में एडमिशन दिया था। लेकिन, बाद में उन्हें न कोई प्रशिक्षण दिया गया और न परीक्षा दिलाई गई। वहीं एसआइटी ने उन बैंक खातों की कुंडली भी खंगाली, जिनमें छात्रवृत्ति की रकम जारी हुई थी। प
सभी खाते विजय शंकर शर्मा ने अपने मोबाइल नंबर पर खुलवाए थे। इस बारे में पूछताछ के लिए गुरुवार को एसआइटी ने विजय शर्मा को रोशनाबाद स्थित कार्यालय बुलवाया। वह एसआइटी के किसी भी सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। एसआइटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी ने बताया कि आरोपित विजय शंकर शर्मा निवासी शास्त्री नगर, सहारनपुर उत्तर प्रदेश को गिरफ्तार कर लिया गया है। कोर्ट में पेश करने के बाद उसे जेल भेज दिया गया।
सआइटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी ने बताया कि जिन छात्रों के नाम से छात्रवृत्ति ली गई थी, उन्हें बैंक खातों के बारे में जानकारी ही नहीं थी। छात्रों का कहना था कि उनके शैक्षणिक दस्तावेज लेकर कुछ कागजातों पर हस्ताक्षर कराए गए थे। लेकिन, बैंक खातों या छात्रवृत्ति की कोई जानकारी नहीं है। सभी बैंक खातों में एक समान मोबाइल नंबर का प्रयोग होना पाया गया, जो विजय शर्मा का निकला। पुलिस टीम में एसआइटी सदस्य व जोशीमठ थाना इंस्पेक्टर राजेंद्र खोलिया व एसआइटी कांस्टेबल प्रेमपाल शामिल रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।