Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

August 3, 2025

पहाड़ी राज्य की अवधारणा पर चोट, मैदानी वोटों को तलाशने में जुटी भाजपा, दलित और सिख पर फोकस

उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा ने जिस चुनाव रणनीति पर चल रही है, उससे पहाड़ी राज्य की अवधारणा पर चोट लगती नजर आ रही है। पार्टी संगठन में पर्वतीय क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है।

उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा ने जिस चुनाव रणनीति पर चल रही है, उससे पहाड़ी राज्य की अवधारणा पर चोट लगती नजर आ रही है। पार्टी संगठन में पर्वतीय क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है। इससे कार्यकर्ता नाराज हैं। वहीं, अब पार्टी का फोकस मैदानी क्षेत्र में दलित और सिख वोटों की तरफ बढ़ता नजर आ रहा है। ऐसे में पर्वतीय मूल का स्वर्ण और ब्राह्रमण कार्यकर्ता खुद को जूठी चाय की प्याली महसूस कर रहा है। उत्तराखंड में जिस तरह से राजनीतिक घटनाक्रम चला, उससे तो यही कहा जा सकता है।
चाय की प्याली का रहस्य
जब किसी मेहमान या कुछ लोगों को चाय परोसी जाती है तो उसके साथ नमकीन, बिस्कुट आदि परोसे जाते हैं। मेज में रखी इन सामग्री में जब कोई चाय की किसी प्याली से एक घूंट लगा ले तो उस प्याली पर उसका अधिकार हो जाता है। उसे कोई दूसरा नहीं छूता। तब सबकी नजर नमकीन, बिस्कुट आदि पर रहती है। इसी तर्ज पर एक भाजपा के खांटी कार्यकर्ता का कहना है कि पार्टी संगठन में पर्वतीय मूल के स्वर्ण और ब्राह्रामण कार्यकर्ताओं को चाय की प्याली समझ लिया है। यानी अब हम कहीं नहीं जाएंगे। अब संगठन की नजर नमकीन और बिस्कुट पर है। यानी कि छोटे-छोटे तबकों के वोट लुभाने की तैयारी चल रही है। ऐसे में पुराने कार्यकर्ता खुद को महसूस कर रहे हैं।
चारधाम यात्रा का भी दिया गया तर्क
सिख वोट साधने के लिए चारधाम यात्रा के साथ ही हेमकुंड यात्रा का भी तर्क दिया जा रहा है। वर्तमान में बदरीनाथ धाम में 1000, केदारनाथ धाम में 800, गंगोत्री धाम में 600 और यमुनोत्री धाम में 400 यात्रियों के लिए एक दिन में जाने की अनुमति है। वहीं, हेमकुंड यात्रा जाने के लिए भी एक दिन में एक हजार यात्रियों की अनुमति दी गई है। इसे भी सिख वोट साधने की दृष्टि से देखा जा रहा है। क्योंकि इन सारे धार्मिक स्थलों में सबसे ज्यादा आधारभूत सुविधाएं बदरीनाथ धाम में है।
राज्यपाल और मुख्य सचिव के जरिये भी संदेश
भाजपा हाल ही में उत्तराखंड में राज्यपाल बदला और इस पद पर सिख चेहरे लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) गुरमीत सिंह को जिम्मेदारी दी गई। इससे पहले मुख्य सचिव भी सिख समाज से डॉ. सुखबीर सिंह संधू बनाए गए। इन दोनों को इन महत्वपूर्ण पदों पर बैठाने के पीछे सीधा उद्देश्य सिख समाज को लुभाने का प्रयास है।
चुनाव प्रभारियों से भी संदेश
हाल ही में भाजपा ने उत्तराखंड में तीन चुनाव प्रभारी बनाए। इनमें प्रहलाद जोशी को चुनाव प्रभारी बनाकर ब्राह्रामण वोट साधने की कोशिश की। साथ ही सहप्रभारी सरदार आरपी सिंह के जरिये सिख वोट और दूसरी सह प्रभारी सांसद लॉकेट चटर्जी के जरिए बंगाली वोट साधने की कोशिश की है। इससे पहले बंगाली वोट साधने के लिए उधमसिंह नगर जिले में विस्थापित बंगाली समाज को जारी होने वाले जाति प्रमाणपत्र से ‘पूर्वी पाकिस्तान’ (East Pakistan) शब्द हटा दिया गया था। इससे स्पष्ट है कि अब भाजपा मैदानी क्षेत्र में छोटे छोटे पॉकेट के वोटों को तराशने में जुटी है।
सीएम और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी मैदान से
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भले ही कुमाऊं मंडल से हैं, लेकिन वह उधमसिंह नगर जिले से हैं। यह क्षेत्र मैदानी है। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी मैदानी क्षेत्र हरिद्वार से हैं। ऐसे में पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को को इनमें से किसी भी एक पद से उपेक्षित रखा गया है। हालांकि इससे पहले दो सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत गढ़वाल से थे। अब माना जा रहा है कि भाजपा का मूल उद्देश्य मैदानी क्षेत्र में सिखों को दलितों को साधना है। क्योंकि माना जा रहा है कि अगले परिसीमन में मैदानी क्षेत्र में विधानसभा की सीटें बढ़ने वाली हैं, ऐसे में मैदानी क्षेत्र में ही सरकार और संगठन दोनों का पूरा फोकस है।
हरिद्वार और उधमसिंह पर फोकस
मैदानी क्षेत्र में भाजपा संगठन का पूरा फोकस हरिद्वार और उधमसिंह नगर में ज्यादा है। सीएम के अक्सर दौरे इन दोनों स्थानों पर ज्यादा हो रहे हैं। वहीं, इन दिनों सीएम पुष्कर सिंह धामी के कार्यक्रमों में निगाह डालें तो वह अब गुरुद्वारे में भी जरूर जा रहे हैं। भाजपा सूत्र बताते हैं कि स्वर्ण और ब्राह्रामण वोट चाय की प्याली की तरह है। जो अब कहीं नहीं जाने वाला है। इसलिए अब दलित और सिखों पर ज्यादा फोकस किया जाए।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *