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November 22, 2024

भारत ने अंतरिक्ष में भरी ऐतिहासिक उड़ान, पहले निजी रॉकेट विक्रम-एस की सफल लॉंचिंग

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा में अपने केंद्र से देश का पहला निजी तौर पर विकसित रॉकेट ‘विक्रम-एस’ का सफल प्रक्षेपण आज शुक्रवार यानि कि 18 नवंबर की पूर्वाह्न 11.30 बजे किया। विक्रम-एस लॉन्च के बाद 89.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया और सभी मानकों पर खरा उतरा। चार साल पुराने स्टार्ट-अप स्काईरूट एयरोस्पेस के विक्रम-एस रॉकेट के पहले प्रक्षेपण के लिए तैयारी पहले से ही कर ली गई थी। यह देश के अंतरिक्ष उद्योग में निजी क्षेत्र का प्रवेश है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विक्रम-एस रॉकेट को विकसित करने वाले स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस ने एक ट्वीट में घोषणा की कि- लॉन्च किया गया विक्रम-एस ने आसमान को सुशोभित करने वाले भारत के पहले निजी रॉकेट के रूप में इतिहास रचा है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर हमारे साथ रहने के लिए हम आप सभी का धन्यवाद करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दशकों से इस क्षेत्र में सरकारी स्वामित्व वाले इसरो का प्रभुत्व रहा है। स्काईरूट एयरोस्पेस भारत की पहली निजी क्षेत्र की कंपनी बन गयी है, जो 2020 में केंद्र सरकार द्वारा अंतरिक्ष उद्योग को निजी क्षेत्र के लिए खोले जाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में कदम रख रही है। पहले इसे 15 नवंबर को प्रक्षेपित करने की योजना थी। विक्रम-एस सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण के बाद 81 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचा। रॉकेट का नामकरण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक और दिवंगत वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विक्रम-एस उप-कक्षीय उड़ान में चेन्नई के स्टार्ट-अप स्पेस किड्ज, आंध्र प्रदेश के स्टार्ट-अप एन-स्पेस टेक और आर्मेनियाई स्टार्ट-अप बाजूमक्यू स्पेस रिसर्च लैब के तीन पेलोड ले गया है। स्काईरूट के एक अधिकारी ने कहा कि छह मीटर लंबा रॉकेट दुनिया के पहले कुछ ऐसे रॉकेट में शामिल है, जिसमें घुमाव की स्थिरता के लिए 3-डी प्रिंटेड ठोस प्रक्षेपक हैं। भारतीय अंतरिक्ष नियामक इन-स्पेस ने बुधवार को स्काईरूट के विक्रम-एस उप-कक्षीय यान के प्रक्षेपण को अधिकृत किया था। इस रॉकेट से छोटे सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष की निर्धारित कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इस रॉकेट का वजन 545 किलोग्राम है। इसका व्यास 0.375 मीटर है।

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