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April 18, 2025

ओलंपिक में पुरुष हॉकी के सेमीफाइनल में 5-2 से हारा भारत, कांस्य के लिए खेलेगा, ओडिशा ने जीता दिल, जानिए कारण

ओलंपिक में 49 साल बाद पहली बार सेमीफाइनल खेलने उतरी भारती पुरुष हॉकी टीम को बेल्जियम ने कड़े मुकाबले में 5-2 से पराजित कर दिया। इसके साथ ही ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम अब कांस्य पदक के लिए खेलेगी।

ओलंपिक में 49 साल बाद पहली बार सेमीफाइनल खेलने उतरी भारती पुरुष हॉकी टीम को बेल्जियम ने कड़े मुकाबले में 5-2 से पराजित कर दिया। इसके साथ ही ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम अब कांस्य पदक के लिए खेलेगी। भारत ने ओलंपिक में आखिरी पदक मास्को ओलंपिक 1980 में स्वर्ण पदक के रूप में जीता था। तब केवल छह टीमों ने भाग लिया था और राउंड रोबिन आधार पर शीर्ष पर रहने वाली दो टीमों के बीच स्वर्ण पदक का मुकाबला हुआ था। इस तरह से भारत 1972 में म्यूनिख ओलंपिक के बाद पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचा है। यानि ओलंपिक में 49 साल के बाद भारत की टीम सेमीफाइनल में पहुंची थी। 49 साल में पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल तक पहुंची भारतीय टीम के इस सफर में ओडिशा का अहम योगदान है। ऐसे में ओडिसा के सीएम नवीन पटनायक बधाई के पात्र हैं। देशवासियों की तरफ से उन्हें सबसे पहले बधाई बनती है।
मैच शुरू होने के कुछ ही मिनट में बेलजियम ने पैनल्टी कार्नर के जरिये भारत पर 1-0 से बढ़त बना ली। बेल्जियम के लिए पहला गोल खेल के दूसरे ही मिनट में लूपर्ट ने किया। इसके बाद भारत को दो पैनल्टी कार्नर मिले। इसमें भारत की ओर से 13वें मिनट पर हरमनप्रीत सिंह ने पहला गोल दागा। इसके कुछ ही देर बाद मनप्रीत सिंह ने दूसरा फील्ड गोल दाग दिया। पहले क्वार्टर में स्कोर 2-1 पर रहा।
दूसरा क्वार्टर बेल्जियम के नाम रहा। उसे कई पैनल्टी कार्नर मिले। इसमें बेलजियम ने एक मौके को भुनाते हुए गोल दागकर स्कोर 2-2 से बराबर कर दिया। दूसरा गोल पेनल्टी कॉर्नर से हेंड्रिक्स ने किया, जो उनका टूर्नामेंट में 12वां गोल रहा। तीसरे क्वार्टर में दोनों टीमों के बीच कड़ा संघर्ष हुआ, लेकिन कोई भी टीम गोल करने में सफल नहीं हो सकी। चौथे क्वार्टर में बेल्जियम ने पैनल्टी कार्नर के मौके को भुनाया और एक गोल दागकर 3-2 से बढ़त ले ली। बेलजियम की ओर से चौथा गोल पैनेल्टी स्ट्रोक के रूप में किया गया और स्कोर 4-2 पर पहुंचा। तीसरा और चौथा गोल भी हेंड्रिक्स ने किया। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में 14 गोल किए। 60 वें मिनट पर डोमिनिक डोहमेन ने अंतिम गोल दागकर बेल्जियम को 5-1 से जीत दिला दी।
दोनों टीमों का टोक्यो में प्रदर्शन
भारतीय टीम ने ग्रुप ए में पांच में से चार मुकाबले जीते और दूसरे स्थान पर रही, उसके बाद टीम ने क्वार्टरफाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हराया। वहीं बेल्जियम ने ग्रुप बी में पांच में से चार मुकाबले जीते और एक ड्रॉ खेला। इसके बाद क्वार्टरफाइनल में स्पेन को 3-1 से हराया।
भारत के फाइनल तक सफर में ओडिया का योगदान
हॉकी टीमों को बेहतरीन प्रदर्शन के लिए देशभर से बधाई तो मिल रही है, इसे लेकर ओडिशा सरकार की भी तारीफ हो रही है। यहां हम आपको बताते हैं कि आखिर भारतीय हॉकी टीम के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद यह राज्य चर्चा में क्यों है।
कई खिलाड़ी दिए इस राज्य ने
ओडिशा के कई खिलाड़ी भारतीय हॉकी टीम के या तो हिस्सा रहे हैं या नेतृत्व किया है। चाहे पूर्व कैप्टन प्रबोधन टिर्की हो, वेटरन खिलाड़ी दिलीप टिर्की हो या फिर वर्तमान में तोक्यो ओलिंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम के उपकप्तान बीरेंद्र लकड़ा हों या महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी दीप ग्रेस एक्का, इन सभी ने हॉकी में राज्य और देश का नाम रोशन किया है।
हॉकी को आगे बढ़ाने में मदद
ओडिशा का भारतीय हॉकी को आगे बढ़ाने में योगदान यहीं तक सीमित नहीं है। ओडिशा सरकार भारतीय हॉकी के गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही है। ओडिशा सरकार के हॉकी प्रेम और उसे आगे बढ़ाने की गंभीरता को इसी बात से समझा जा सकता है कि यह राज्य भारत की महिला, पुरुष और जूनियर हॉकी टीमों का 2018 से आधिकारिक स्पॉन्सर है। पिछले कुछ सालों में हॉकी के कई बड़े टूर्नमेंट जैसे पुरुष हॉकी वर्ल्ड कप, वर्ल्ड लीग, प्रो लीग और ओलिंपिक क्वॉलीफायर्स का आदि के मैच राजधानी भुवनेश्वर में हुए हैं। ओडिशा लगातार हॉकी टीमों की विभिन्न तरीके से मदद करता रहता है।
भारत का गौरव वापस लाने में जुटी है ओडिसा सरकार
ओडिशा सरकार भारतीय हॉकी का गौरव वापस लाने के लिए 2018 से ही सभी देश की सभी राष्ट्रीय हॉकी टीमों (महिला, पुरुष और जूनियर ) की मदद कर रही है। ये देश का इकलौता राज्य हैं जो किसी भी नैशनल हॉकी टीम के आधिकारिक पार्टनर हैं। लगातार सपोर्ट मिलने से भारतीय टीमों के प्रदर्शन में स्थिरता आई है। ये सब प्रयास ओडिसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की ओर से किए जा रहे हैं।
कॉरपोरेट नहीं, सरकार आइ आगे
दरअसल, आमतौर पर ओलंपिक जैसे बड़े खेलों में टीमों को कॉरपोरेट स्पॉन्सर करता है, लेकिन भारतीय हॉकी की कहानी कुछ दूसरी है। पुरुष और महिला हॉकी टीम को कोई कॉरपोरेट नहीं, बल्कि ओडिशा की सरकार कर रही है। इसको लेकर आम लोगों से लेकर सोशल मीडिया तक ओडिशा और उसके मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की काफी चर्चा हो रही है।
मदद के नाम पर अपनी फोटो तक सीमित नेता
खेलों को बढ़ावा देने के लिए भले ही केंद्र सरकार ने कुछ विशेष प्रयास नहीं किए हों। खेल के संशोधित बजट में कटौती तक कर दी। वहीं, एक बात तो है कि ओलंपिक में गए खिलाड़ियों को बधाई देने वाले नेताओं की फोटो के विज्ञापन हर जगह दिख जाएंगे। खिलाड़ियों की फोटो की बजाय पीएम हों या खेल मंत्री, उनकी फोटो ऐसे विज्ञापनों में दिख जाएंगी। इसी तरह खिलाड़ी की जीत पर बधाई देने की होड़ सिर्फ ओलंपिक के दौरान ही रहती है। खेल खत्म होने के बाद सब कुछ भुला दिया जाता है। वहीं, ओडिशा सरकार का योगदान अहम है।
जरूरत पड़ी तो साथ दिखे पटनायक
भारतीय हॉकी टीम को जब वित्तीय सहायता की जरूरत थी, तब कोई और नहीं, बल्कि नवीन पटनायक ही साथ खड़े हुए। उनकी सरकार ने दोनों टीमों को स्पॉन्सर किया और आज वह समय है, जब टोक्यो ओलंपिक में सबसे ज्यादा चर्चा वाली टीमों में भारतीय हॉकी टीम भी शामिल हो गई है। दरअसल, नवीन पटनायक खुद भी स्कूल के दिनोंमें गोलकीपर रह चुके हैं। पहली बार ओडिशा ने राष्ट्रीय पुरुष और महिला हॉकी को स्पॉन्सर करने का फैसला किया, जिसके बाद वह इस तरह का पहला राज्य बन गया।
ये है खेल बजट की स्थिति
संसद में पेश किये गये आम बजट में केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए खेलों के बजट में कटौती की है। इस बजट में खेल के लिए कुल 2,596.14 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है जो पिछले साल के बजट से 230.78 करोड़ रुपए कम है। हालांकि खेल प्राधिकरण (साई) को 660.41 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित किया गया है जो पिछले साल 500 करोड़ रुपए ही था। खेल मंत्रालय के प्रमुख आयोजन खेलो इंडिया के बजट में भी कटौती की गई है। इस बार 657.71 करोड़ रुपए का ही आवंटन किया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में इस आयोजन के लिए 890.42 करोड़ रुपए देने की घोषणा हुई थी। खेल के लिए आवंटित कुल बजट की बात करें तो यह पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से 795.99 करोड़ रुपए अधिक है। वर्ष 2020-21 में खेल के लिए पहले 2826.92 करोड़ रुपए देने की घोषणा हुई थी जिसे बाद में घटाकर 1800.15 करोड़ कर दिया गया था।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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