भूखमरी वाले देशों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी पिछड़ा भारत, बौखलाई सरकार ने खारिज किए आंकड़े
क्या भारत में भूखमरी पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी ज्यादा है। उस भारत की ऐसी स्थिति क्यों है, जहां भरपूर अन्न पैदा किया जाता है, फिर भी यहां भूखमरी पिछले आंकड़ों के मुकाबले और बढ़ गई है। सत्ताधारी राजनेता भारत को दुनियां की सबसे बड़ी पांचवी अर्थव्यवस्था बताते हुए नहीं थकते हैं, वहीं, यदि ऐसे आंकड़े आएं तो लोगों को परेशानी करने वाले हो सकते हैं, आखिर सच क्या है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नौ साल में बढ़ा विदेशी कर्ज
हम भारत के पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दावा किस आधार पर करते हैं। क्या कर्ज के पैसे लेकर हम बड़ी अर्थव्यवस्था बन रहे हैं। ये आंकड़ों से समझा जा सकता है। ऐसे में ही आप सच को समझ पाएंगे। वित्त वर्ष 2014-15 के मुताबिक तब भारत सरकार पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपए था। 2014 में देश की कुल जनसंख्या 130 करोड़ मान ली जाए तो उस समय हर भारतीय पर औसत कर्ज करीब 42 हजार रुपए था। अब 2023 में भारत सरकार पर कुल कर्ज बढ़कर 155 लाख करोड़ रुपए हो गया है। भारत की कुल आबादी 140 करोड़ मान लें तो आज के समय में हर भारतीय पर 1 लाख रुपए से ज्यादा कर्ज है। इन नौ साल में सौ लाख करोड़ कर्ज बढ़ गया है। फिर देश किस आधार पर तरक्की कर रहे हैं। ये भी सोचनीय प्रश्न है। अब भूखमरी की रिपोर्ट आई तो इसे भारत सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत का 111वां स्थान
दुनिया में भुखमरी को लेकर नई रिपोर्ट जारी की गई है। इसमें भारत को 111वें स्थान बताया गया है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। इसके साथ ही सरकार और दो अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों के बीच लंबे समय से चली आ रही लड़ाई गुरुवार को फिर से शुरू हो गई। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स को खारिज कर दिया, जिसमें भारत को 125 देशों में से 111वें स्थान पर रखा गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पड़ोसी देशों से भी पहुंचा पीछे
पिछले साल भारत का स्थान 107 वाँ था। हैरत की बात ये है कि इस बार भारत पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल जैसे देशों से भी पीछे चला गया है। 12 अक्टूबर को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को 28.7 स्कोर के साथ भुखमरी के मामले में गंभीर स्थिति वाला देश बताया गया है। वैश्विक भूख सूचकांक 2023 में पाकिस्तान 102वें स्थान पर, बांग्लादेश 81वें स्थान पर, नेपाल 69 वें स्थान पर और श्रीलंका 60वें स्थान पर है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स ग्लोबल, रीजनल और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करने का एक टूल है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार ने कहा कि सूचकांक गंभीर कार्यप्रणाली संबंधी मुद्दों से ग्रस्त है और दुर्भावनापूर्ण इरादे को दर्शाता है। सूचकांक में भारत की रैंकिंग को खारिज करते हुए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि सूचकांक भूख का एक गलत माप है और गंभीर पद्धतिगत मुद्दों से ग्रस्त है। सूचकांक की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले चार संकेतकों में से तीन बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं और पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते हैं। चौथा और सबसे महत्वपूर्ण संकेतक अल्पपोषित (पीओयू) जनसंख्या का अनुपात 3,000 के बहुत छोटे नमूना आकार पर किए गए एक जनमत सर्वेक्षण पर आधारित है। आपको बता दें कि इस सूचकांक में भारत का स्कोर 28.7 है, जो भुखमरी के गंभीर स्तर को दर्शाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये दर्शाती है रिपोर्ट
इंडेक्स के मुताबिक, भारत में अल्पपोषण की दर 16.6 प्रतिशत और पांच साल से कम उम्र की मृत्यु दर 3.1 प्रतिशत है। 15 से 24 वर्ष की आयु की महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता 58.1 प्रतिशत है। सूचकांक के अनुसार, भारत में बच्चों की कमजोरी की दर दुनिया में सबसे अधिक 18.7 प्रतिशत है, जो तीव्र अल्पपोषण को दर्शाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस तरह के गिर रही है रैंकिग
पिछले साल 121 देशों की रैंकिंग में भारत 107वें नंबर पर था। 2021 में 101वें और 2020 में 94वें नंबर पर था। इस साल भारत की रैंकिंग चार पायदान और गिर गई है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (102वें), बांग्लादेश (81वें), नेपाल (69वें) और श्रीलंका (60वें) नंबर पर हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्या है ग्लोबल हंगर इंडेक्स
ग्लोबल हंगर इंडेक्स दुनियाभर में भूख को मापने का जरिया है। इसे चार पैमानों पर मापा जाता है। इनमें कुपोषण, बच्चों में बच्चों में ठिगनापन (उम्र के हिसाब से कम हाइट), बच्चों का वजन (हाइट के हिसाब से कम वजन) और बाल मृत्यु दर (5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत) शामिल है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।