रूस से रेकॉर्ड सस्ता तेल खरीद रहा भारत, कंपनियों ने बचाए 57,400 करोड़ रुपये, उपभोक्ताओं को ठेंगा
भारत रूस से इस समय रेकॉर्ड सस्ता तेल खरीद रहा है। भारत ने मौके का फायदा उठाया है और इससे बंपर मुनाफा कमा रहा है। कंपनियों ने कच्चे तेल की खरीद और इसे बेचने में करोड़ों रुपये कमाए, लेकिन भारतीय उपभोक्ताओं को ईंधन की महंगी कीमत चुकानी पड़ रही है। उन्हें एक तरफ से ठेंगा दिखाया जा रहा है। दरअसल रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस पर पश्चिमी देशों ने कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। पश्चिमी देश रूस का बॉयकॉट कर रहे हैं। यूरोपियन यूनियन (EU) ने पिछले साल दिसंबर में रूस को यूक्रेन हमले की सजा देने के लिए रूसी क्रूड ऑयल पर प्रतिबंध लगा दिया था। इन प्रतिबंधों के बीच रूस ने सस्ती दरों पर क्रूड ऑयल बेचना शुरू कर दिया है। इसका फायदा भारत के साथ चीन ने उठाया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कंपनियों को हुई जबरदस्त बचत
रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खऱीदने के चलते देश की ऑयल रिफाइनरी कंपनियों को जबरदस्त फायदा हुआ है. सस्ते दामों पर कच्चा तेल आयात करने के चलते इन कंपनियों को 14 महीने में 7 बिलियन डॉलर की बचत हुई है. ये अलग बात है कि सस्ते कच्चे तेल के आयात के बावजूद भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ते दामों पर पेट्रोल डीजल नसीब नहीं हो सका। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सात अरब डॉलर विदेशी मुद्रा की बचत
रूस के यूक्रेन पर हमले के चलते जब अमेरिका यूरोप के रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया तब रूस ने अपने अर्थव्यवस्था को किसी भी बाहरी झटके से बचाने के लिए भारत को सस्ते में कच्चा तेल बेचने का ऑफर दिया। तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम आसमान छू रहे थे। भारत ने इस ऑफर को हाथों हाथ लपक लिया। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसका नतीजा ये है कि पिछले 14 महीने अप्रैल 2022 से लेकर मई 2023 के बीच देश की ऑयल रिफाइनिंग कंपनियों को सस्ते में रूस से कच्चा तेल खरीदने के चलते 7 अरब डॉलर के करीब विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कच्चे तेल में तीसरा सबसे बड़ा आयातक देश भारत
भारत कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आयातक देश है। भारत अपनी खपत के 85 फीसदी ईंधन जरुरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 139 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा था। इसके बाद भारत ने सस्ते दामों पर रूस से कच्चा तेल आयात करना शुरू किया। पहले रूस भारत को बेहद कम कच्चा तेल निर्यात किया करता था, लेकिन इस डिस्काउंट के चलते रूस भारत को कच्चा तेल बेचने वाला सबसे बड़ा सप्लायर बन गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस तरह से समझिए गणित
रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2022 से लेकर मई 2023 के बीच भारत का कुल कच्चा तेल आयात का बिल 186.45 बिलियन डॉलर रहा है। अगर भारत ने दूसरे सप्लायर देश से इसी कच्चे तेल को आयात किया होता तो भारत को 196.62 बिलियन डॉलर रकम क भुगतान करना पड़ता। भारत ने रूस ने 40 बिलियन डॉलर के वैल्यू का कच्चा तेल आयात किया है। भारत को ये क्रूड ऑयल 79.75 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर मिला है, जो कि दूसरे देशों के औसत कीमत से 14.5 डॉलर प्रति बैरल सस्ता है। इन 14 महीनों में भारत के कुल इंपोर्ट में रूस की हिस्सेदारी 24.2 फीसदी रही। रूस ने कुछ ही समय में इराक और सऊदी अरब जैसे सप्लायर देशों की जगह ले ली, जो भारत को सबसे ज्यादा कच्चा तेल सप्लाई किया करते थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तेल कंपनियां क्यों कम नहीं कर रहीं रेट
देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में पिछले कई महीनों से बदलाव नहीं हुआ है। बाजार में तेल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। करीब 345 दिन हो चुके हैं, जब से पेट्रोल-डीजल की कीमतें चेंज नहीं हुई हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, तेल कंपनियों को प्रति लीटर पर 10 रुपये से ज्यादा का मुनाफा हो रहा है। भारत भले ही रूस से सस्ता क्रूड ऑयल खरीद रहा हो, लेकिन पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतें कम नहीं हुई हैं। तेल की कीमतें कम नहीं करने के पीछे एक वजह बताई जा रही है। दरअसल मार्च 2022 में जब क्रूड ऑयल की कीमत सबसे ज्यादा प्रति बैरल 140 डॉलर हो गई थी। एक लीटर पेट्रोल पर कंपनियों को रिकॉर्ड 17.4 रुपये और डीजल पर 27.7 रुपये घाटा होता था। तब पेट्रोल-डीजल की कीमत नहीं बढ़ाई गई थी। इस वक्त उसी घाटे की भरपाई हो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हो चुकी है नुकसान की भरपाई
कंपनियों ने अप्रैल से सितंबर 2022 के बीच 21,201 करोड़ रुपये के नुकसान होने की बात कही थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, तेल कंपनियों ने दिसंबर 2022 तक इस घाटे की भरपाई कर ली थी। दिसंबर 2022 में भारतीय तेल कंपनियों ने सबसे ज्यादा क्रूड ऑयल रूस से खरीदा था। इससे पहले अक्टूबर और नवंबर में भी रूस से ही सबसे ज्यादा तेल भारत आया था। दिसंबर में भारत ने हर दिन औसतन 11 लाख 90 हजार बैरल क्रूड ऑयल रूस से खरीदा था। इससे एक साल पहले दिसंबर 2021 में भारत प्रतिदिन 36,255 बैरल तेल ही रूस से खरीदता था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रेकॉर्ड सस्ता क्रूड ऑयल खरीद रहा भारत
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय तेल रिफाइनरियों ने यूरोप के बड़े मार्केट पर अपना कब्जा कर लिया है। मार्च में रूसी तेल के आयात में लगातार 7 वें महीने में इजाफा दर्ज किया गया है। भारत अभी सबसे ज्यादा कच्चा तेल रूस से ही खरीद रहा है। जहाजों के डाटा पर नजर रखने वाली फर्म केप्यर (Kpler) के मुताबिक, रूस यूक्रेन युद्ध से पहले भारत से यूरोपीय देशों के बीच 154,000 बैरल प्रतिदिन के हिसाब से जेट ईंधन और डीजल का निर्यात होता था। अब यह बढ़कर 200,000 बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।