बदल गए सिद्धांत, नासा ने किया हैरान, सूर्य की परिक्रमा नहीं कर रही है पृथ्वी
दुनिया भर के वैज्ञानिक ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने के लिए हर दिन नई नई खोज में जुटे रहते हैं। अब विज्ञान के भी नियम या सिद्धांत में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। बचपन के स्कूली दिनों में विज्ञान या सामान्य ज्ञान में हमने जो पढ़ा अब उसके भी सिद्धांत बदल रहे हैं। अभी तक हमें पढ़ाया जाता रहा है कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है, जिसके कारण दिन-रात का होते हैं। अब यदि हम वैज्ञानिकों के नज़रिए से समझने की कोशिश करें, तो असल में हमारी पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगा ही नहीं रही है। इस सच को अमेरिकी अंतरिक्ष ऐजेंसी ने अपने तर्क से समझाने का प्रयास किया है। ऐसे में ये जानकारी हैरान करने वाली है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नासा की तरफ से कहा गया है कि अगर सौरमंडल में पृथ्वी की मौजूदा गति को समझने की कोशिश की जाती है, तो पाया जाएगा कि धरती इस समय सूर्य की परिक्रमा नहीं कर रही है। हमारे सौरमंडल में सूर्य सबसे बड़ा पिंड है। सूर्य का भार बृहस्पति ग्रह से 1048 गुना अधिक है। तो वहीं माना जाता है कि किसी खोगलीय वस्तु पर पृथ्वी के लगने वाले गुरुत्व बल का खिंचाव समान या कम होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नासा ने बताया कि केप्लर के तीसरे नियम से जानकारी मिलती है कि एक दूसरे के चारों तरफ घूमने वाली दो वस्तुओं के भार और कक्षा के बीच संबंध है। इस तरह समझिए कि एक बड़े तारे की कक्षा में एक छोटा तारा एक बड़े तारे की परिक्रमा रहा हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वास्तव में दोनों तारे भार के एक सामान्य केंद्र के चारों तरफ घूमते हैं। इसे बैरीसेंटर कहा जाता है। यह सच है कि चाहे हर वस्तु का आकार या भार कुछ भी हो। इसलिए पृथ्वी एक बैरीसेंटर के चारों तरफ घूमती है। न कि सूर्य की परिक्रमा करती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आम तौर पर सौर मंडल में पिंडों का बैरीसेंटर सूर्य के पास होता है, जबकि खुद के भार और गुरु और शनि जैसे दिग्गज ग्रहों और कक्षाओं के प्रभाव के कारण यह शायद ही कभी सूर्य के अंदर होता है। यही वजह है कि वर्तमान में बैरीसेंटर सूर्य के बाहर है और उसके अंदर नहीं है। इसलिए, पृथ्वी वर्तमान में इसकी परिक्रमा नहीं कर रही है। वैज्ञानिकों ने तर्क दिया कि इसलिए, पृथ्वी अंतरिक्ष में एक बिंदु के चारों ओर घूम रही है, न कि सूर्य के चारों ओर। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ग्रहीय खगोलशास्त्री और विज्ञान संचारक जेम्स ओ डोनोग्यू का कहना है कि ग्रह सामान्य शब्दों में तो सूर्य का ही चक्कर लगाते हैं।र तकनीकी तौर पर भारी गुरु ग्रह का असर आने से ग्रहों को अंतरिक्ष में एक नए बिंदु का चक्कर लगाना चाहिए। वैज्ञानिक केवल इसी बात को सटीक और वास्तविक तौर पर समझाने की कोशिश कर रहे हैं।
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