भारत के विदेशी कर्ज में इजाफा, जून माह तक 629 अरब डॉलर पार, आरबीआई ने जारी किए आंकड़े
भारत के ऊपर विदेशी कर्ज लगातार बढ़ रहा है। जून 2023 के आखिर में विदेशी कर्ज बढ़कर 629.1 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, हालांकि कर्ज-जीडीपी अनुपात में गिरावट आई है। ये साल भर पहले यानी जून 2022 तक के कुल विदेशी कर्ज की तुलना में 2.7 फीसदी ज्यादा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से जारी आंकड़ों में यह बात सामने आई। आंकड़ों में निकलकर सामने आया है कि, कर्ज में 4.7 अरब अमेरिकी डॉलर का इजाफा हुआ है। मार्च के आखिर में यह 624.3 अरब अमेरिकी डॉलर था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सरकार का सामान्य बकाया कर्ज घटा
आरबीआई ने कहा कि जून 2023 के आखिर में विदेशी ऋण और सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात घटकर 18.6 प्रतिशत हो गया, जो मार्च 2023 के आखिर में 18.8 प्रतिशत था। आरबीआई ने कहा कि सरकार का सामान्य बकाया कर्ज कम हुआ, जबकि गैर-सरकारी कर्ज जून 2023 के आखिर में बढ़ गया। इसके अलावा, विदेशी कर्ज में 32.9 प्रतिशत की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी कर्ज की रही। इसके बाद इसमें मुद्रा और जमा, व्यापार ऋण और एडवांस और ऋण प्रतिभूतियों का योगदान रहा। इससे पहले भारत का विदेशी कर्ज मार्च, 2023 के आखिर में मामूली रूप से बढ़कर 624.7 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया था। दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले देशों में जापान का नाम शुमार है। अमेरिका भी कर्ज लेने के मामले में भारत से आगे है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एनआरआई डिपॉजिट में बढ़ोत्तरी भी कारण
रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक साल के दौरान विदेशी कर्ज बढ़ने का एक मात्र कारण एनआरआई डिपॉजिट में आई ठीक-ठाक बढ़ोतरी है। बकौल सेंट्रल बैंक, इस दौरान विदेशी कर्ज में योगदान देने वाले अन्य सभी फैक्टर लगभग स्थिर रहे हैं। सेंट्रल बैंक को छोड़ दें तो एनआरआई से डिपॉजिट मुख्य तौर पर डिपॉजिट लेने वाले कॉरपोरेशन के माध्यम से आता है और उन्हें डेट यानी कर्ज में गिना जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डिपॉजिट में इस तरह हुई बढ़ोत्तरी
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, जून तिमाही में ऐसे डिपॉजिट 6.5 फीसदी बढ़कर 167 बिलियन डॉलर पर पहुंच गए। साल भर पहले यानी जून 2022 की तिमाही समाप्त होने के बाद यह आंकड़ा 157 बिलियन डॉलर पर था। वहीं नॉन-फाइनेंशियल कॉरपोरेशन के पास डिपॉजिट 250 बिलियन डॉलर पर स्थिर बना रहा। आंकड़े ये भी बताते हैं कि जनरल गवर्नमेंट डेट कम हुआ है, जबकि नॉन-गवर्नमेंट डेट बढ़ा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉलर का है योगदान
भारत के कुल विदेशी कर्ज में अमेरिकी डॉलर वाले कर्ज सबसे बड़े हिस्सेदार बने हुए हैं। जून 2023 की तिमाही समाप्त होने के बाद इनका हिस्सा 54.4 फीसदी था। दूसरे नंबर पर भारतीय रुपये वाले कर्ज रहे, जिनका हिस्सा अभी 30.4 फीसदी था। वहीं 5.7 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ दक्षिण अफ्रीकी रैंड तीसरे स्थान पर, 5.7 फीसदी के साथ जापानी यान चौथे स्थान पर और 3 फीसदी योगदान के साथ यूरो पांचवें स्थान पर रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जीडीपी की तुलना में कम अनुपात
जून तिमाही के दौरान एक्सटर्नल डेट टू जीडीपी रेशियो कम हुआ है. यह अनुपात मार्च 2023 तिमाही के समाप्त होने के बाद 18.8 फीसदी पर था, जो जून तिमाही के समाप्त होने के बाद 18.6 फीसदी पर आ गया। इस दौरान डेट सर्विस यानी कर्ज के भुगतान में अच्छी तेजी आई है। मार्च 2023 के अंत में यह 5.3 फीसदी था, जो जून 2023 के अंत में बढ़कर 6.8 फीसदी पर पहुंच गया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।